देश में महंगाई कम होने के बजाए बढ़ती ही जा रही है. पिछले 6 हफ्ते के अंदर लहसुन की कीमत में दोगुनी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. महंगाई का आलम यह है कि थोक मार्केट में अच्छी क्वालिटी के लहसुन का रेट 250 रुपये किलो हो गया है. ऐसे में खुदरा मार्केट में आते- आते इसकी कीमत 300 रुपये किलो हो जा रही है. इससे आम जनता के किचन का बजट बिगड़ गया है.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, थोक मार्केट में लहसुन का औसत रेट 130 से 140 रुपये किलो है. जबकि, अच्छी क्वालिटी वाले लहसुन की होलसेल कीमत 220 से 250 रुपये किलो है. यही वजह है कि दिसंबर महीने के दौरान लहसुन की कीमत में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई है. कहा जा रहा है कि सप्लाई में कमी आने की वजह से लहसुन की कीमतें बढ़ी हैं. पुणे एपीएमसी के थोक व्यापारी विलास भुजबल ने कहा कि हर साल सर्दी के मौसम में लहसुन की मांग बढ़ जाती है. ऐसे में हर साल दिसंबर महीने में आपूर्ति प्रभावित होने से लहसुन महंगा हो जाता है.
वहीं, लहसुन की कीमत में बढ़ोतरी होने से आम जनता की जेब पर महंगाई का बोझ बढ़ता जा रहा है. हालांकि, केंद्र सरकार महंगाई पर लगाम लगाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है. उसने हाल ही में प्याज के निर्यात पर 31 मार्च 2024 के लिए बैन लगा दिया है. इससे किसान और व्यापारी नाराज भी हो गए हैं. इससे पहले, बांग्लादेश और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों में मजबूत निर्यात के कारण कुछ थोक बाजारों में प्याज की कीमतें 45 रुपये किलो से ऊपर पहुंच गई थीं.
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कहा जा रहा है कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से थोक भाव में गिरावट आई है. लासलगांव बाजार में प्याज का रेट 35 रुपये से घटकर 25 रुपये किलो रह गया है. नासिक के कई अन्य बाजारों में भी इसकी कीमत में गिरावट आई है. हालांकि, रविवार को महाराष्ट्र के अन्य थोक बजारों में प्याज की कीमतें 25 रुपये किलो से 45 रुपये किलो के बीच रहीं.
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