FPO यानी (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन) में एकता में कितनी ताकत होती है ये किसी को समझाने की जरूरत नहीं है, लेकिन एग्रीकल्चर सेक्टर में ये योजना किस तरह का क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है ये बताया अनुभवी किसान कैप्टन आरपी पचौरी ने. कैप्टन पचौरी बताते हैं कि वह सेना की सिग्नल कोर में 33 साल तक तैनात रहे हैं. 2014 में रिटायरमेंट के बाद पूर्व सैन्यकर्मियों को अपने साथ जोड़कर आलू उत्पादन और निर्यात के काम में जुट गए. कोमलिका के नाम से एफपीओ बनाकर आलू का निर्यात ईरान समेत कई देशों में कर रहे है. अब तक 120 टन से ज्यादा आलू ईरान की राजधानी तेहरान और दक्षिण अमेरिका के गुयाना भेजा जा चुका हैं. वहीं अगर बात एफपीओ के सालाना टर्नओवर की करें तो ये आंकड़ा 7 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका हैं.
इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में कैप्टन आरपी पचौरी ने बताया कि 11 जुलाई 2018 को कोमलिका एफपीओ किसानों का नेतृत्व कर रही है. वर्तमान समय में इस एफपीओ से 1560 किसान जुड़े हुए है. पहली बार 2022 में आलू को पहली बार दक्षिण अमेरिका के गुयाना भेजा था. उस वक्त हमको नुकसान उठाना पड़ा, क्योंकि आलू को पहुंचने में 2 महीने से अधिक का समय लग गया. जिससे आलू में सफेद रंग के पानी आने से वो सड़ गया. उन्होंने बताया कि 2024 में हमने ईरान की राजधानी तेहरान में सूर्या किस्म का 60 टन आलू भेजा, जो कम दूरी होने के कारण जल्दी पहुंच गया. वहीं कंटेनर 15 दिन बहरीन पहुंच जाता है.
कैप्टन आरपी पचौरी ने आगे बताया कि अलीगढ़ का आलू विदेशों में ज्यादा पसंद आ रहा है, क्योंकि यह स्वाद में बेमिसाल और साइज में बेहतरीन है. विदेशों को भेजे जाने वाले आलू का आकार बड़ा होता है और इसका वजन भी करीब 250 ग्राम होता है. आमतौर पर एक क्विंटल में इस किस्म के 25 किलो आलू ही निकल पाते हैं. लेकिन, निर्यात करने के लिए ऐसी किस्मों के आलू की छंटाई करके उन्हें बोरों में पैक कर दिया जाता है. उन्होंने बताया कि विदेशों में बड़े साइज के आलू की डिमांड ज्यादा होती है. वहीं आमतौर पर घर में इस्तेमाल करने वाले आलू 50 ग्राम का होता है. होटल और शादी ब्याह में कैटरर का काम करने वाले लोग बड़े साइज के आलू को फौरन खरीद लेते है.
अलीगढ़ निवासी रिटायर्ड कैप्टन पचौरी ने बताया कि अब तक 120 टन आलू का निर्यात हम लोग गुयाना और ईरान में कर चुके हैं. वहीं, वर्ष 2025 में आलू को अलीगढ़ से विदेश भेजा जाएगा. उन्होंने बताया कि आलू के निर्यात को बढ़ाने पर जोर दिया गया है. इस वर्ष सूर्या किस्म की आलू 250 ग्राम साइज को बड़े पैमाने में विदेशों भेजा जाएगा. उन्होंने बताया कि यह तय किया गया है कि किसानों को मॉडल के जरिए खेती के अत्याधुनिक तरीके बताए और समझाए जाएं, ताकि वह खेती में नवाचार कर आगे बढ़ सकें और निर्यात को आगे बढ़ाया जा सके.
वहीं, जिला उद्यान अधिकारी अलीगढ़ शिवानी तोमर बताती हैं कि बीते दो वर्ष में आलू का एक्सपोर्ट लगातार बढ़ रहा है. अच्छी किस्म का आलू पैदा होने से यह संभव हो सका है. लगभग 9 देशों में इसका एक्सपोर्ट हो रहा है. जिसे आगे बढ़ाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि कोमलिका एफपीओ इसमें बेहतर काम कर रहे हैं. इस साल भी आलू की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है, जिससे निर्यात को बढ़ावा मिलेगा.
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