Flaxseed Framing: अलसी की फसल में लगते हैं ये चार रोग, बचाव और रोकथाम के उपाय जानिए

Flaxseed Framing: अलसी की फसल में लगते हैं ये चार रोग, बचाव और रोकथाम के उपाय जानिए

देश में अलसी की खेती लगभग 2.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में होती है, जो विश्व के कुल क्षेत्रफल का 15 प्रतिशत है. क्षेत्रफल की दृष्टि से अलसी की खेती के मामले में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है. वहीं असली कई प्रमुख रोग भी लगते हैं जिनका बचाव बहुत जरूरी है. आइए इसके बारे में जानते हैं.

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Flaxseed Framing: अलसी की फसल में लगते हैं ये चार रोग, बचाव और रोकथाम के उपाय जानिएअलसी की फसल में लगते हैं ये चार रोग

भारत में अलसी की खेती बड़े पैमाने पर होती है. हमारे देश में अलसी की खेती लगभग 2.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में होती है, जो विश्व के कुल क्षेत्रफल का 15 प्रतिशत है. अलसी की खेती में क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का विश्व में दूसरा स्थान है. उत्पादन में तीसरा और उपज प्रति हेक्टेयर में आठवां स्थान है. वहीं मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, राजस्थान और उड़ीसा अलसी के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं. मध्यप्रदेश में अलसी का क्षेत्रफल 1.09 लाख हेक्टेयर है. मध्य प्रदेश के सागर, दमोह, टीकमगढ़, बालाघाट और सिवनी प्रमुख अलसी उत्पादक जिले हैं.

मध्य प्रदेश में अलसी के खेती अलग-अलग परिस्थितियों में वर्षा आधारित कम उपजाऊ वाली जमीन पर की जाती है. अलसी को शुद्ध फसल, मिश्रित फसल, सह फसल, पैरा या उतेरा फसल के रूप में उगाया जाता है. इसी क्रम में असली की फसल में कई रोग लग जाते हैं. आइए जानते हैं अलसी में कौन से रोग लगते हैं.

अलसी में लगने वाले प्रमुख रोग

अलसी के विभिन्न प्रकार के रोग जैसे गेरुआ, उकठा, चूर्णिल आसिता और आल्टरनेरिया अंगमारी नाम के रोग प्रमुख तौर पर लगते हैं, जो फसलों को नष्ट कर देते हैं. इन सभी रोगों से किसानों को बहुत नुकसान होता है. वहीं अगर आप किसान हैं और आपके अलसी की फसल में कोई रोग लगा है तो आप इसे नीचे बताए गए उपायों से बचा सकते हैं.

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गेरुआ (रस्ट) रोग

यह रोग मेलेम्पसोरा लाइनाई नामक फफूंद से होता है. इस रोग का प्रकोप प्रारंभ होने पर पत्तियों पर चमकदार नारंगी रंग का धब्बा होने लगता है और धीरे-धीरे यह पौधे के सभी भागों में फैल जाता है. वहीं रोग नियंत्रण के लिए किसानों को रासायनिक दवा के रूप में टेबुकोनाजोल और केप्टान हेक्सा कोना जालध का 500-600 ग्राम मात्रा को 500 लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करना चाहिए.

उकठा (विल्ट) रोग

उकठा (विल्ट) रोग अलसी का प्रमुख हानिकारक मिट्टी जनित रोग है. इस रोग का प्रकोप अंकुरण से लेकर पकने तक कभी भी हो सकता है. इस रोग से ग्रस्त पौधों की पत्तियां अंदर की ओर मुड़कर मुरझा जाती हैं. इस रोग का प्रसार किसी इलाके में बेकार पड़े फसल अवशेषों के द्वारा होता है. किसान वैसे पौधों को तोड़कर उसे जला दें. इससे रोग से राहत मिलेगी.

चूर्णिल आसिता रोग

चूर्णिल आसिता (भभूतिया रोग) रोग के संक्रमण की दशा में पत्तियों पर सफेद चूर्ण सा जम जाता है. इस रोग की तीव्रता अधिक होने पर दाने सिकुड़ कर छोटे हो जाते हैं. देर से बुवाई करने और शीतकालीन वर्षा होने की दशा में इस रोग का प्रकोप बढ़ जाता है. किसानों को इस रोग से बचाव के लिए कवकनाशी के रूप में थायोफिनाईल मिथाइल डब्ल्यू. पी. 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए.

अंगमारी रोग

अंगमारी रोग से अलसी के पौधे का समस्त बाहरी भाग प्रभावित होता है, लेकिन इस रोग में सर्वाधिक संक्रमण पत्तियों पर दिखाई देता है. फूलों की पंखुड़ियों के निचले हिस्सों में गहरे भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं. अनुकूल वातावरण में धब्बे बढ़कर फूल के अन्दर तक पहुंच जाते हैं, जिसके कारण फूल निकलने से पहले ही सूख जाते हैं. इस प्रकार रोगी फूलों में दाने नहीं बनते हैं. इस रोग से बचने के लिए केप्टान हेक्सा कोना जालध का 500 से 600 ग्राम मात्रा को 500 लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करना चाहिए.

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