अंजीर की खेती भारत, अमेरिका और अफ्रीका समेत कई देशों में की जाती है. इसके फल को ताजा और सुखाकर उपयोग में लाया जाता है. साथ ही इसके पके फल का उपयोग मुरब्बा बनाकर किया जा सकता है. भारत में अंजीर की खेती व्यापारिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. बाज़ार में अंजीर के फल अच्छा दाम मिलने के कारण इसकी खेती करने वाले किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. अंजीर का फल अपने स्वास्थ्यवर्धक गुणों के लिए भी जाना जाता है. भारत में अंजीर की खेती करने वाले प्रमुख राज्यों में महाराष्ट्र का पहला स्थान हैं. राज्य में व्यापारिक दृष्टि से अंजीर की खेती की जाती हैं. महाराष्ट्र के अलावा अंजीर की खेती तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात के अलावा उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में की जाती है. अंजीर के फल में अनेक प्रकार के पोषक तत्व विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, फाइबर और कैल्शियम पाये जाते है.
इसके फल का सेवन ताजा और फल को सुखाकर कर सकते हैं.अंजीर के फल का सेवन करने से सर्दी-जुकाम, दमा, स्तन कैंसर और अपच और मधुमेह जैसी बीमारियों में काफी राहत मिलती है. इसके चलते बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है और कीमत भी अच्छी मिलती है. ऐसे में किसानों के लिए इसकी खेती फायदे का सौदा है. इसके पेड़ लगाने का उचित समय सितंबर से अक्टूबर का महिना माना जाता हैं. इस खरीफ सीजन में किसान अंजीर सही तरीके से खेती कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों कमा सकते हैं.
अंजीर को बहुत हल्के बागों से मध्यम काली और लाल मिट्टी में उगाया जा सकता है. अंजीर बड़ी मात्रा में चूना पत्थर के साथ नमकीन काली मिट्टी में सबसे अच्छा बढ़ता है. अच्छी जल निकासी वाली एक मीटर गहरी मिट्टी अंजीर के लिए आदर्श होती है. हालांकि इस मिट्टी में चूने का अनुपात होना चाहिए. इस फलदार वृक्ष के लिए बहुत अधिक काली मिट्टी अनुपयुक्त है. पेड़ उथली और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में उतना नहीं बढ़ता, जितना उसे बढ़ना चाहिए.
अंजीर के पौधों की रोपाई के लिए बारिश का मौसम जुलाई से अगस्त का महीना सबसे उपयुक्त होता है. सबसे पहले आप अंजीर के पौधें की नर्सरी तैयार कर लें या आप अपने पास की नर्सरी से उन्नत किस्म का पौधा खरीद सकते हैं. एक हेक्टेयर में करीब 250 पोधों की जरूरत होती है. एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच की दूरी 5 मीटर रखें.
ये भी पढ़ें- एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने के खिलाफ बंद रहेंगी नासिक की प्याज मंडियां, गुस्से में किसान और व्यापारी
अंजीर की खेती में पौधे की सिंचाई मौसम के चक्र के अनुसार होती हैं. अगर आपने बारिश के मौसम समानतयः जुलाई व अगस्त में लगाया है, तो आपको सिंचाई की जरुरत कम ही पड़ेगी. सर्दियों के मौसम में 14 से 20 दिन के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए. गर्मियों के मौसम में अंजीर के पौधों को अधिक सिंचाई की जरुरत होती हैं, गर्मियों में अंजीर के पौधों की सप्ताह में दो बार सिंचाई कर देनी चाहिए. जबकि बारिश के मौसम में इसके पौधों को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती. लेकिन अगर समय पर बारिश न हो तो पौधों की आवश्यकता अनुसार सिंचाई करनी चाहिए.
अंजीर की कई किस्में होती हैं. सिमराना, कालीमिरना, कडोटा, काबुल, मार्सेलस, और वाइट सैन पेट्रो जैसी कुछ प्रसिद्ध किस्में हैं. पुणे क्षेत्र को पूना अंजीर या सामान्य किस्म के रूप में जाना जाता है इन किस्मों से अच्छा उत्पादन मिलता है.
अंजीर के पौधे का उत्पादन किस्मों के आधार पर अलग-अलग पैदावार प्रदान करते है. एक हेक्टेयर के खेत में लगभग 250 अंजीर के पौधों को लगाया जा सकता है तथा एक पौधे से लगभग 20 किलो अंजीर का फल प्राप्त होता है. अंजीर के फल गुणवत्ता के हिसाब से 500 रुपये से 800 रुपये प्रति किलो तक बिकता हैं, इस हिसाब से किसान भाई अंजीर की 1 हेक्टेयर खेती से सालाना 25 से 30 लाख रुपये तक आसानी से कमा सकते हैं.
ये भी पढ़ें- Onion Export: प्याज की खेती का बादशाह है भारत, 75 देशों में लगता है भारतीय 'कांदा' का तड़का
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today