उत्तर प्रदेश के कई जिलों में और गांवों में लगातार तेज बारिश का सिलसिला जारी है. इसकी वजह से कुछ जिलों में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं. राजधानी लखनऊ समेत कानपुर, मिर्जापुर, वाराणसी के करीब चंदौली में गंगा के स्तर में लगातार इजाफा हो रहा है. गंगा का पानी इस समय चेतावनी बिंदु 76.724 M के नजदीक 76.50 M तक पहुंच चुका है. बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित सदर तहसील के मल्लेपुर और नरसिंगपुर है. नरसिंगपुर में गंगा का पानी खेतों को डुबोते हुए घरों तक पहुंच गया है. गंगा में सबसे ज्यादा पानी की बढ़ोतरी पिछले 24 घंटों में हुई है, जिसके कारण किसानों की पूरी फसल डूब गई है. हरीसिंघपुर में तो घरों तक पानी पहुंच गया है, वहां लोगों के घर और झोपड़ी डूब गए हैं.
पहाड़ों और मैदानी इलाकों में हो रही लगातार बारिश की वजह से गंगा नदी समेत दर्जनों नदियां उफान पर हैं. उत्तर प्रदेश के कई जिलों में एक तरफ जहां बाढ़ की वजह से लोग परेशान हैं. वहीं दूसरी तरफ बारिश ने भी लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. बाढ़ और बारिश की वजह से फसलों को भी काफी नुकसान हुआ है.
पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली से होकर गुजरने वाली गंगा और उसकी सहायक नदी कर्मनाशा नदी बढ़े हुए जलस्तर ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. हालांकि चंदौली के रिहायशी इलाकों में अभी बाढ़ की स्थिति नहीं है. गंगा और कर्मनाशा नदी तटवर्ती इलाकों में पानी पहुंचने से धान और सब्जी की फसलों को काफी नुकसान हुआ है. गंगा और कर्मनाशा नदी के तटवर्ती इलाकों में सैकड़ों एकड़ फसल डूब गई है. जिला प्रशासन का कहना है कि किसानों के हुए नुकसान का आकलन कर उन्हें मुआवजा दिया जाएगा. चंदौली जिले से होकर प्रमुख रूप से तीन नदियां बहती हैं जिनमें गंगा कर्मनाशा और चंद्रप्रभा नदी शामिल है. जिले से होकर बहने वाली नदियों में गंगा नदी और कर्मनाशा नदी उफान पर हैं. हालांकि बाढ़ का पानी रिहायशी इलाकों तक नहीं पहुंचा है लेकिन इन नदियों के किनारे खेती करने वाले किसानों के लिए नदी की बाढ़ मुसीबत लेकर आई है.
गंगा नदी के साथ-साथ करनास नदी के किनारे सब्जी और धान की फैसले डूब गई है इसके साथ-साथ ही पशुओं को खाने के लिए उगाया जाने वाला चारा भी डूब गया है. कर्मनाशा नदी के किनारे बसे मैढ़ी सहित दर्जनों गांव के खेतों में पानी भर जाने से सब्जी और धान की फसल का नुकसान हुआ है. बाढ़ के पानी में बर्बाद हो रही अपनी फसलों को देखकर किसान चिंतित हैं. मैढ़ी गांव के किसान पराहु राम और ने बताया कि इलाके में तकरीबन 50 एकड़ की सब्जी और धान की फसल कर्मनाशा नदी में आई बाढ़ की वजह से डूब गई है. जिलाधिकारी निखिल टी फुंडे नें बताया कि गंगा और कर्मनाशा का जलस्तर बढ़ा हुआ था लेकिन अब वह धीरे-धीरे कम हो रहा है. उन्होंने बताया कि जिन किसानों की फसलों का नुकसान हुआ है, उसका आकलन कराकर उनको मुआवजा दिलाए जाने की कार्रवाई की जाएगी.
इसी तरह से मिर्जापुर में गंगा में बाढ़ के कारण सबसे ज्यादा दो तहसीलें प्रभावित हैं. सदर तहसील में के 46 गांव बाढ़ से प्रभावित है. वहीं चुनार तहसील में 29 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं .जनपद में गंगा के जलस्तर में तेजी के साथ वृद्धि हुई है. बाढ़ के कारण सदर तहसील के हरसिंहपुर, मल्लेपुर, बेलवन में फसल और आवागमन दोनो प्रभावित हुआ है. यहां बाढ़ का पानी बस्तियों तक पहुच चुका है. बाढ़ की वजह से जिले के 39 गांवो में फसलें प्रभावित हुई हैं. बीजर कलां गांव में गंगा के किनारे रहने वाले 8 परिवारों के 42 लोगों को विस्थापित किया गया है. इन्हें पंचायत भवन पर बनाये गये राहत शिविर में रखा गया है. वहीं, चुनार तहसील में 29 गांव बाढ़ के कारण प्रभावित है. इनमें 22 गांवो में किसानों की फसलों को नुकसान हुआ है.
उन्नाव में लगातार बढ़ रहे गंगा के जलस्तर से सैकड़ों बीघे फसलें किसानों की जलमग्न हो गई है. उन्नाव में बाढ़ के पानी से चार तहसीले प्रभावित होती हैं जिनमें सदर तहसील उन्नाव, बांगरमऊ, बीघापुर, सफीपुर तहसील है इन तहसील क्षेत्रों में किसानों की सैकड़ो बीघा फसलें बाढ़ की चपेट में आ चुकी है. बांगरमऊ तहसील के कटरी गदनपुर आहार, फरीदपुर कट्टर, नयापुरवा, धन्नापुरवा, मन्नापुरवा समेत अन्य गांव की फसलें अभी तक डूबी हुई हैं.
सैकड़ों ग्रामीणों की 300 हेक्टेयर फसल पूरी तरह से जलमग्न हो चुकी है. एडीएम प्रशासन नरेंद्र सिंह ने बताया कई गांव बाढ़ से प्रभावित हुए है. अभी कुल 300 हेक्टेयर तक किसानों की फसलें डूबी हुईं है जिनमें वह धान, तिल्ली और उड़द की फसलें कर रखी थी. उन्होंने बताया कि सर्वे करवाया जा रहा है जिनकी फसलें 33 प्रतिशत से ज्यादा बर्बाद हुई है उनकी ऑनलाइन फीडिंग करवा कर जल्द ही उन्हें मुआवजा दिया जाएगा.
लखनऊ के करीब सीतापुर में भी बैराजों से छोड़े जा रहे लाखों क्यूसेक पानी के कारण हालात बेकाबू हो गए हैं. बाढ़ ने विकराल रूप ले लिया है. वहीं सरयू नदी में आए उफान के कारण 80 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. करीब 25 हजार की आबादी प्रभावित है. आसपास के गांवों का हाल यह है कि बाढ़ के पानी ने गांव को चारों ओर से घेर लिया है, जिससे गांव टापू बन में तब्दील हो चुके हैं.
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में 10 सितंबर से लगातार हो रही बारिश से किसानों की फसलों को नुकसान हुआ है. जिलाधिकारी सी पी सिंह ने सभी सातों तहसील क्षेत्र में एसडीएम तहसीलदार और लेखपाल के माध्यम से किसानों की फसलों को हुए नुकसान के आकलन के निर्देश दिए हैं, साथ ही खुद भी नुकसान का खुरजा व शिकारपुर तहसील क्षेत्र के गांव में इंस्पेक्शन किया है. किसानों का कहना है कि जनपद में बारिश से धान की फसल गिरी है और 15 से 20 प्रतिशत नुकसान है.बाजरा व ज्वार में 30 से 40 फीसदी, अरहर, उड़द व मूंग दलहन की फसलों में 35 से 45 प्रतिशत और सब्जियों में 15 से 25 फीसदी नुकसान की आशंका है. सबसे अधिक नुकसान पालक, गोभी, मिर्च, मूली और शलजम की फसल को है. दोबारा 18 सितंबर से शुरू हुई बारिश से धान की फसल को सर्वाधिक नुकसान की संभावना है.
जालौन में लगातार बारिश से खेतों में पानी भर गया और जिससे खेतों में खड़ी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई. किसानों के अनुसार इस समय खेतों में 80 से 90 फीसदी दलहन की फसल बोई गई थी जो पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. इस बात को लेकर किसान काफी चिंतित नजर आ रहे हैं. जालौन में मुख्य रूप से अरहर, मूंग, उड़द, धान ,तिली की खेती की जाती है. लेकिन भारी बारिश से वह भी बर्बाद हो गई है. उधर जिलाधिकारी ने उप निदेशक कृषि व जिला कृषि अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि बीमा कंपनियों के साथ मिलकर फसलों का सर्वे किया जाए ताकि पता चल सकें कि नुकसान का प्रतिशत क्या है. ऐसी स्थिति में प्रशासन की तरफ से कुछ नंबर भी जारी किए हैं जहां पर किसान अपने फसल के नुकसान की शिकायत कर सकता है.
बुंदेलखंड के ललितपुर जिले में भी लगातार बारिश के चलते दलहनी फसलों को काफी नुकसान हुआ है. खेतों में पानी भर जाने की वजह से उड़द और मूंग की फसलें सड़ गयी हैं. इसकी वजह से किसानों को काफी नुकसान हुआ है. किसानों की खराब हुई फसलों के नुकसान को लेकर ललितपुर DM अक्षय त्रिपाठी की तरफ से टीमें बनाकर क्रॉप कटिंग के जरिये से फसलों के नुकसान का आकलन किया जा रहा है ताकि किसानों को मुआवजा दिलाया जा सके.
झांसी जनपद में पिछले 36 घंटे लगातार बारिश हुई है. लगातार हुई बारिश के कारण किसानों के खेतों में पानी भर गया है. खेतों में पानी भरे होने के कारण उड़द, मूंग, तिल और मूंगफली की फसल डूब जाने से खराब होने के आसार हैं. पानी बंद होने के बाद जब किसान खेतों में पहुंचे तो डूबी फसल को देख वह काफी परेशान हो गए हैं. इनमें मऊरानीपुर तहसील क्षेत्र के चूरारी, घाटकोटरा, पुरवा, अटारन समेत बाकी तहसील क्षेत्र के गांव शाामिल हैं. यहां सैंकडों बीघा फसल खेत की फसल पानी में डूबकर खराब हो गई है. जिला प्रशाशन ने इसी गंभीरता से लेते हुए सर्वे कर भरपाई कराने के आदेश जारी कर दिए है.
झांसी के कृषि उप निदेशक महेन्द्र पाल सिंह का कहना है कि इस बार काफी ज्यादा बारिश हुई है. इस कारण उड़द, मूंग, तिल और मूंगफली की फसल को काफी नुकसान हुआ है. खेतों में पानी भरा हुआ है. मूंग और उड़द की फसल पककर तैयार खड़ी थी. धूप निकलते ही दाना फट जायेगा. वहीं, खेतों में पानी भरे होने के कारण फसलों की जड़ें खराब हो रहीं हैं. मूंगफली में भी काफी नुकसान हुआ है. उन्होंने बताया कि क्षेत्रीय कर्मचारियों की मदद से सर्वे कराया जा रहा है.
यमुना नदी में भारी बारिश होने कारण बाढ़ आ गई जिस के चलते यमुना नदी के किनारे बसे गांवों का संपर्क मार्ग टूट गया गया है. वहीं किसानों की सैकड़ों एकड़ फसल पानी में डूब गई हैं. जिला प्रशासन द्वारा बराबर निगरानी की जा रही है. किसानों की फसलों के नुकसान के आकलन के लिए जिला अधिकारी इंद्रमणि त्रिपाठी की तरफ से राजस्व विभाग की टीमों को लगाया गया है. जिलाधिकारी के अनुसार किसानों की फसलों के नुकसान को लेकर सर्वे के आदेश दे दिए गए हैं. इससे किसानों की फसलों के नुकसान को लेकर आर्थिक मदद दिलाई जा सके.
(चंदौली से उदय गुप्ता, मिर्जापुर से सुरेश सिंह, उन्नाव से सूरज सिंह, बुलंदशहर से मुकुल शर्मा, जालौन से अलीम सिद्दीकी,झांसी से प्रमोद गौतम, ललितपुर से मनीष और औरैया से सूर्य शर्मा के इनपुट के साथ)
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