किसानों के लिए मोदी सरकार ने इन तीन बड़ी योजनाओं को दी मंजूरी, आय और उपज बढ़ेगी

किसानों के लिए मोदी सरकार ने इन तीन बड़ी योजनाओं को दी मंजूरी, आय और उपज बढ़ेगी

सरकार ने किसानों और उपभोक्ताओं को अधिक प्रभावी ढंग से सेवा प्रदान करने के लिए मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) और मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) योजनाओं को पीएम-आशा के अंतर्गत एकीकृत किया है. इस एकीकरण का उद्देश्य किसानों को उनकी फसलों के लिए लाभकारी मूल्य प्रदान करना है, साथ ही आवश्यक वस्तुओं के बाजार मूल्यों को स्थिर करना है, जिससे उन्हें उपभोक्ताओं के लिए आसानी से खरीदे जाने योग्‍य बनाया जा सके.

Advertisement
किसानों के लिए मोदी सरकार ने इन तीन बड़ी योजनाओं को दी मंजूरी, आय और उपज बढ़ेगीसरकार ने दी पीएम आशा योजना को मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को किसानों के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करने और उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं में मूल्य उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) को जारी रखने को मंजूरी दे दी. इस विस्तार से 15वें वित्त आयोग के चक्र के दौरान 2025-26 तक 35,000 करोड़ रुपये का वित्तीय खर्च आएगा. इस फैसले पर पीएम मोदी ने भी एक्‍स पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्‍होंने कहा है कि इससे किसानों को अपनी फसल का लाभकारी मूल्य मिलेगा. 

पीएम-आशा के बड़े बदलाव

सरकार ने किसानों और उपभोक्ताओं को अधिक प्रभावी ढंग से सेवा प्रदान करने के लिए मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) और मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) योजनाओं को पीएम-आशा के अंतर्गत एकीकृत किया है. इस एकीकरण का उद्देश्य किसानों को उनकी फसलों के लिए लाभकारी मूल्य प्रदान करना है, साथ ही आवश्यक वस्तुओं के बाजार मूल्यों को स्थिर करना है, जिससे उन्हें उपभोक्ताओं के लिए आसानी से खरीदे जाने योग्‍य बनाया जा सके. सरकार की मानें तो पीएम-आशा की एकीकृत योजना को संचालित करना ज्‍यादा प्रभावशील होगा जो पहले कभी नहीं था. इससे न केवल किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी, बल्कि उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करके उनकी कीमतों में उतार-चढ़ाव को भी नियंत्रित किया जा सकेगा. 

100 फीसदी होगी तुअर उड़द की खरीद

पीएम-आशा में अब मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य स्थिरीकरण कोष ( PSF) के तत्‍व भी शामिल होंगे. साथ ही इसमें मूल्य घाटा भुगतान योजना  (पीओपीएस) और बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) को भी जगह मिली है.  मूल्य समर्थन योजना के तहत एमएसपी पर नोटिफाइड दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद 2024-25 से इन नोटिफाइड फसलों के राष्ट्रीय उत्पादन के 25 फीसदी पर होगी. इससे राज्यों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और मजबूरी में बिक्री को रोकने के लिए किसानों से एमएसपी पर इन फसलों की अधिक खरीद करने में मदद मिलेगी. हालांकि साल 2024-25 सीजन के लिए तुअर, उड़द और मसूर के मामले में यह सीमा लागू नहीं होगी.  2024-25 सीजन के दौरान तुअर, उड़द और मसूर की 100 फीसदी खरीद होगी जैसा कि पहले तय किया गया था. 

सरकार ने बढ़ाई गारंटी 

सरकार ने इसे रिन्‍यू किया है और किसानों से एमएसपी पर अधिसूचित दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद के लिए मौजूदा सरकारी गारंटी को बढ़ाकर 45,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है. इससे कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्ल्यू) की तरफ से किसानों से एमएसपी पर दलहन, तिलहन और खोपरा की अधिक खरीद करने में मदद मिलेगी. इसमें भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) के ई-समृद्धि पोर्टल और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) के ई-संयुक्ति पोर्टल पर पहले से रजिस्‍टर्ड किसान शामिल हैं. जब कभी भी कीमतें गिरेंगी तो ये संगठन आगे आएंगे. इससे किसानों को खेती करने के लिए भी प्रेरणा मिलेगी.  देश में इन फसलों की अधिक पैदावार होगी और इन फसलों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में योगदान मिलेगा. इससे घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता भी कम होगी.  

बाजार में कीमतें रहें नियंत्रित 

मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) योजना के विस्तार से दालों और प्याज का रणनीतिक बफर स्टॉक बनाए रखने, जमाखोरी और बेईमान सट्टेबाजी को हतोत्साहित करने और उपभोक्ताओं को आपूर्ति के लिए कृषि-बागवानी वस्तुओं की कीमतों में अत्यधिक अस्थिरता से उपभोक्ताओं को बचाने में मदद मिलेगी और वह भी सस्ती कीमतों पर. जब भी बाजार में कीमतें एमएसपी से ऊपर होंगी, तो उपभोक्ता मामले विभाग (डीओसीए) द्वारा नैफेड के ई-समृद्धि पोर्टल और एनसीसीएफ के ई-संयुक्ति पोर्टल पर पूर्व-पंजीकृत किसानों सहित बाजार मूल्य पर दालों की खरीद की जाएगी.  बफर रखरखाव के अलावा, पीएसएफ योजना के तहत टमाटर जैसी अन्य फसलों और भारत दाल, भारत आटा और भारत चावल की सब्सिडी वाली खुदरा बिक्री में हस्तक्षेप किया गया है.  

राज्यों को अधिसूचित तिलहनों के लिए एक विकल्प के रूप में मूल्य घाटा भुगतान योजना (पीडीपीएस) के कार्यान्वयन के लिए आगे आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, कवरेज को राज्य तिलहन उत्पादन के मौजूदा 25 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया गया है. साथ ही कार्यान्वयन अवधि को भी 2018-19 में 25 फीसदी से बढ़ा दिया गया है. किसानों के लाभ के लिए 3 महीने से 4 महीने तक का समय दिया जाएगा. एमएसपी और बिक्री/मॉडल मूल्य के बीच अंतर का मुआवजा केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा, जो एमएसपी के 15 फीसदी तक सीमित है. 

टमाटर, प्‍याज और आलू रहें सस्‍ते 

बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के कार्यान्वयन का विस्तार बदलावों के साथ होगा. जल्दी खराब होने वाली बागवानी फसलों को उगाने वाले किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करना. सरकार ने कवरेज को उत्पादन के 20 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया है और MIS के तहत भौतिक खरीद के बजाय अंतर भुगतान सीधे किसानों के खाते में करने का एक नया विकल्प जोड़ा है.  इसके अलावा, टीओपी (टमाटर, प्याज और आलू) फसलों के मामले में, शीर्ष कटाई के समय उत्पादक राज्यों और उपभोक्ता राज्यों के बीच टीओपी फसलों की कीमत के अंतर को पाटने के लिए, सरकार ने किसानों द्वारा किए जाने वाले कार्यों के लिए परिवहन और स्‍टोरेज खर्च को उठाने का निर्णय लिया है. नैफेड और एनसीसीएफ जैसी केंद्रीय नोडल एजेंसियां ​​न केवल किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करेंगी, बल्कि बाजार में उपभोक्ताओं के लिए शीर्ष फसलों की कीमतों को भी कम करेंगी.

यह भी पढ़ें 

POST A COMMENT