महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दावा किया है कि उनकी सरकार ने पिछले डेढ़ साल में किसानों को 45 हजार करोड़ रुपये की मदद की है. इस दौरान 120 सिंचाई परियोजनाएं शुरू की गई हैं. इससे प्रदेश की 15 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचाई के दायरे में आ जाएगी.अतिवृष्टि और ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं में हमने किसानों की मदद की है. हमारा देश मुख्यतः कृषि प्रधान है, इसलिए हम किसानों को केंद्र बिंदु मानकर सभी योजनाएं बना रहे हैं. वो बीड जिले में किसान क्रेडिट कार्ड डिजिटलीकरण-जनसमर्थ परियोजना की शुरुआत कर रहे थे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम खेती, मिट्टी और किसान से जुड़े हैं. इसलिए अब किसानों के 1 लाख 60 हजार रुपये तक के कर्ज पर स्टाम्प ड्यूटी माफ कर रहे हैं. सरकार किसानों के साथ खड़ी रहेगी. शिंदे ने राज्य सरकार द्वारा लागू की गई एक रुपये की फसल बीमा योजना और जलयुक्त शिवार जैसी योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी. मुख्यमंत्री ने बीड जिले के 22 किसानों के खाते में एक क्लिक के माध्यम से सीधे किसान क्रेडिट कार्ड की राशि जमा की.
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राज्य के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के डिजिटलीकरण की इस सार्वजनिक परियोजना के लिए देश के दो जिलों को चुना गया था. यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि बीड जिला इसमें शामिल हुआ. पिछले कुछ दिनों में बीड जिले में राजस्व, कृषि जैसे विभिन्न विभागों ने एक साथ आकर 4 लाख 75 हजार किसानों का पंजीकरण किया है और उनकी किसान आईडी बनाई है.
इसके लिए दो ऐप भी बनाए गए हैं. इस प्रणाली के माध्यम से, किसान दस्तावेज़ रहित और घर-आधारित अल्पकालिक ऋण के लिए आवेदन कर सकता है. इसके अलावा, इस आईडी से उन्हें सरकार की अन्य योजनाओं के लिए आवेदन करना और उनका लाभ उठाना भी आसान हो जाएगा. यह परियोजना "एग्रीस्टैक-सीपीएमयू" द्वारा क्रियान्वित की जा रही है.
कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने कहा कि कृषि क्षेत्र के विकास के लिए डिजिटल क्रांति का उपयोग किया जाएगा. यह परियोजना किसानों के जीवन में भी क्रांति लाएगी. किसान अन्नदाता हैं. उन्होंने कहा कि 1.6 लाख के लोन पर स्टांप शुल्क माफ करने के फैसले से फसली ऋण लेने वाले किसानों को बड़ी राहत मिलेगी. यह पायलट प्रोजेक्ट देश के छह जिलों में लागू किया गया है. इनमें उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद और महाराष्ट्र का बीड जिला इसे सफलतापूर्वक लागू कर चुके हैं.
बीड जिले की सभी प्रणालियों ने चौबीसों घंटे काम किया और लगभग 1 हजार 251 गांवों के किसानों का डेटा एकत्र किया. इससे करीब 4 लाख 75 हजार किसानों की किसान आईडी बनाई जा चुकी है.
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