तेलंगाना में धान की खेती करने वाले किसानों का विरोध प्रदर्शन, गिरती कीमतों को लेकर सड़क पर उतरे

तेलंगाना में धान की खेती करने वाले किसानों का विरोध प्रदर्शन, गिरती कीमतों को लेकर सड़क पर उतरे

तेलंगाना में धान के किसान गिरती कीमतों से पहले ही परेशान हैं. खुले बाजार में धान की कीमत में भारी गिरावट ने रबी किसानों में डर की स्थिति पैदा कर दी है. संकट में बिक्री को रोकने के लिए समानांतर खरीद के मकसद से सरकार ने बाजार हस्तक्षेप जरूर किया है. लेकिन इस पहल के बावजूद इसका प्रभाव बहुत कम रहा है. निजी खरीदार खासतौर पर मिल मालिक, बाजार से काफी हद तक गायब हैं.

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धान की खेती करने वाले किसानों का विरोध प्रदर्शन, गिरती कीमतों को लेकर सड़क पर उतरेतेलंगाना में क्‍यों नाराज हैं धान के किसान (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

तेलंगाना में इन दिनों चावल की खेती करने वाले किसान खासे नाराज हैं. यहां के दस्तूराबाद मंडल के पेराकापल्ली गांव में मंगलवार को किसानों ने चावल मिलर्स के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर सड़क पर धरना दिया है. किसानों का आरोप है कि मिलर्स ने खराब गुणवत्‍ता और नमी की आड़ में धान की खरीद करते समय 41.300 किलोग्राम अनाज वाले हर बैग पर करीब 2 किलोग्राम धान काटा है. आपको बता दें कि तेलंगाना में पिछले कुछ सालों में धान की खेती में इजाफा हुआ है. 

किसानों ने ब्‍लॉक किया हाइवे 

गांव के सैकड़ों किसानों ने निर्मल-खानापुर हाइवे पर ट्रैफिक ब्‍लॉक कर दिया था. इससे कुछ समय के लिए वाहनों की आवाजाही पर असर पड़ा. किसानों ने अधिकारियों से मांग की कि वो उन  मिलर्स के खिलाफ कार्रवाई करें, जो उत्पादकों से अनाज खरीदते समय अनाज के प्रति बैग पर करीब 2 किलोग्राम धान काटते हैं. किसानों का कहना है कि मिलर्स की इस हरकत की वजह से उन्हें घाटा हो रहा है. जब पुलिस और राजस्व अधिकारियों ने आरोपों की जांच करके इंसाफ दिलाने का भरोसा दिलाया तब जाकर कहीं किसान पीछे हटे और विरोध वापस ले लिया. पुलिस और राजस्व अधिकारियों ने आंदोलनकारियों से कहा कि वे इस मामले को उच्च अधिकारियों के संज्ञान में लाएंगे. अगर मिल मालिक दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. 

चावल की कीमतों में गिरावट  

तेलंगाना में धान के किसान गिरती कीमतों से पहले ही परेशान हैं. खुले बाजार में धान की कीमत में भारी गिरावट ने रबी किसानों में डर की स्थिति पैदा कर दी है. संकट में बिक्री को रोकने के लिए समानांतर खरीद के मकसद से सरकार ने बाजार हस्तक्षेप जरूर किया है. लेकिन इस पहल के बावजूद इसका प्रभाव बहुत कम रहा है. निजी खरीदार खासतौर पर मिल मालिक, बाजार से काफी हद तक गायब हैं.  

खुले बाजार में बढ़िया किस्म का धान 1,900 रुपये से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत पर बेचा जा रहा है. यह कटाई के मौसम जो मार्च से मई तक चलता है, के दौरान सामान्य किस्मों के अनुमानित कीमतों से अपेक्षाकृत बहुत कम है. आमतौर पर कीमतें 2,320 रुपये से 2,530 रुपये और ए-ग्रेड किस्मों के लिए 2,630 रुपये से 2,970 रुपये के बीच होती हैं.

समझौता करने पर मजबूर किसान 

किसान सीजन के दौरान ज्‍यादा उत्पादन लागत की वजह से चिंतित हैं. सीजन के ज्‍यादातर समय में अभाव की स्थिति बनी रही और कटाई के समय के अंत में बेमौसम बारिश के कारण भारी नुकसान हुआ. अब कीमतों में गिरावट से किसानों पर और बोझ पड़ने की आशंका है. कई किसान तो बारिश से खराब होने से पहले खुले में पड़े स्टॉक को निपटाने के लिए कीमतों पर समझौता कर रहे हैं. 

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