Oilseed Farming: अब तीनों सीजन में तिलहन फसलों की खेती, गर्मी में 1.11 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र में हुई बुवाई

Oilseed Farming: अब तीनों सीजन में तिलहन फसलों की खेती, गर्मी में 1.11 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र में हुई बुवाई

पहली बार गर्मी के मौसम में हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, असम और बिहार समेत दस राज्यों में मूंगफली, सूरजमुखी और तिल की खेती की जा रही है. ऐसा राष्‍ट्रीय मिशन के तहत किया जा रहा है, ताकि खाद्य तेलों के उत्‍पादन को बढ़ाया जा सके.

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अब तीनों सीजन में तिलहन फसलों की खेती, गर्मी में 1.11 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र में हुई बुवाईगर्मी के मौसम में तिलहन फसलों की खेती को बढ़ावा. (सांकेतिक तस्‍वीर)

भारत में तेल के आयात को घटाने और तिलहन फसलों के उत्‍पादन को बढ़ावा देने के लिए त‍िलहन मिशन चलाया जा रहा है. इस मिशन के तहत देश में तिलहन फसलों का रकबा बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्‍साह‍ित किया जा रहा है. इस क्रम में पहली बार गर्मी के मौसम में हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, असम और बिहार समेत दस राज्यों में मूंगफली, सूरजमुखी और तिल की खेती की जा रही है. ऐसा राष्‍ट्रीय मिशन के तहत किया जा रहा है, ताकि खाद्य तेलों के उत्‍पादन को बढ़ाया जा सके.

आमतौर पर त‍िलहन फसलों की खेती मुख्‍य रूप से खरीफ और रबी सीजन में होती है, लेकिन इस बार गर्मी के मौसम (फरवरी से जून) में तिलहन फसलों की खेती शुरू की गई और 1.11 लाख हेक्‍टेयर से ज्‍यादा रकबे में बुवाई हो चुकी है. केंद्र सरकार ने साल 2032 तक खाद्य तेल के आयात को 57 प्रतिशत से घटाकर 28 प्रति‍शत करने का लक्ष्‍य बनाया है.

ति‍लहन मिशन पर 10 हजार करोड़ से ज्‍यादा होंगे खर्च

इसके लिए सरकार राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन पर 10,103 करोड़ रुपये खर्च करेगी, जिससे रेपसीड-सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी और तिल जैसी मुख्‍य तिलहन फसलों का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है. यह मिशन पिछले साल शुरू हुआ था. मिशन के तहत सरकार इस बात पर भी जोर दे रही है कि खाद्य तेल के द्वितीयक स्रोतों जैसे कपास के बीज (कॉटन सीड), चावल की भूसी (राइस ब्रान) और पेड़ से निकलने वाले तेलों से कैसे ज्‍यादा निष्‍कर्षण कर तेल उत्‍पादन की दक्षता बढ़ाई जा सके और इसे संग्रहित किया जा सके.

त‍िलहन फसलों की प्रोसेस‍िंग को मिल रहा बढ़ावा

मिशन को सफल बनाने के लिए सरकार सेकेंडरी तेलों कॉटन सीड ऑयल, राइस ब्रान ऑयल, पेड़ों से निकलने वाले तेल की प्रोसेस‍िंग को बढ़ावा दे रही है. सरकार अभी किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), सहकारी समितियों और खाद्य तेल उद्योग के प्‍लेयर्स को क्लस्टर डेवलपमेंट के जरिए पोस्‍ट हार्वेस्‍ट प्रोसेंसि‍ग (फसल की कटाई के बाद प्रोसेस‍िंग) को बढ़ावा देने के लिए यूनि‍ट्स बनाने और मौजूदा यूनिट्स को अपग्रेड करने के लिए वित्तीय मदद दे रही है. 

भारत इन तेलाें का करता है आयात

रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के कुछ सालों में भारत में खाद्य तेल की खपत में बहुत वृद्धि हुई है, जिसके कारण घरेलू उत्पादन से मांग पूरी नहीं हो रही है, जिसके चलते इन तेलों के आयात में तेजी देखी गई है. देश में जितना तेल उत्‍पादन होता है, उसके बाद भारत को 57 प्रतिशत तेल आयात करना पड़ता है. भारत बड़ी मात्रा में पाम ऑयल, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल आयात करता है.

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