
भारत में तेज पत्ते की खेती मसाले के रूप में की जाती है. यह एक ऐसा मसाला है जिसकी डिमांड हमेशा रहती है. इसलिए किसान कम समय में और कम जगहों पर इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. अब ज्यादातर किसान गेहूं-धान जैसी मुख्य फसलों को उगाने की बजाए औषधीय पौधों, मसाले वाली फसलों और फूलों आदि की खेती ओर ज्यादा रुख कर रहे हैं. इससे भरपूर लाभ कमा रहे हैं. इसकी खेती से किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. तेज पत्ते का प्रयोग हम खाने में करते हैं और यह सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होता है.
बहरहाल अभी बात हम इसकी खेती की करेंगे. ताकि किसान अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकें. इसकी खेती को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड की ओर से 30 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है, जो किसानों के लिए एक बड़ी मदद होती है. इसकी खेती से किसान एक पौधे से करीब 3000 से 5000 रुपए तक प्रति वर्ष तथा इसी तरह के 25 पौधों से 75,000 से 1,25,000 रुपए हर साल कमाई कर सकते हैं.
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तेज पत्ते का ज्यादातर उत्पादन करने वाले देशों में भारत, रूस, मध्य अमेरिका, इटली, फ्रांस, उत्तर अमेरिका और बेल्जियम आदि हैं. वहीं भारत में इसका ज्यादातर उत्पादन उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र के अलावा उत्तरी पूर्वी भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में किया जाता है.
यह मुख्य रूप से ऊसर और पथरीली जमीन इसके लिए मुफीद होती है. वैसे अब वैज्ञानिकों की मदद से इसे हर प्रकार की मिट्टी में उगाया जाने लगा है. लेकिन उस जमीन का पीएच मान 6-8 के मध्य होना चाहिए. मिट्टी सूखी तथा कार्बनिक पदार्थ से युक्त होनी चाहिए. इसकी खेती से पहले भूमि को तैयार करना चाहिए. इसके लिए मिट्टी की दो से तीन बार अच्छी तरह जुताई करनी चाहिए.
नए पौधे को लेयरिंग या कलम के द्वारा लगाना चाहिए. क्योंकि इसे बीज से उगाना मुश्किल होता है. इसके पौधे का रोपण करते समय पौधे से पौधे की दूरी 4 से 6 मीटर रखनी चाहिए. ध्यान रहे कि खेत में पानी की समुचित व्यवस्था हो. इन्हें पाले से भी बचाने की जरुरत होती है
वैज्ञानिकों के अनुसार पौधे की समुचित विकास के लिए खाद और उर्वरक देना चाहिए. 20 किलो गोबर की खाद, 20 ग्राम नाइट्रोजन, 18 ग्राम फास्फोरस तथा 25 ग्राम पोटाश प्रति पौधा की दर से देना चाहिए. उर्वरक की मात्रा को समान भागों में बाटकर एक भाग को सितम्बर-अक्टूबर माह तथा दूसरे भाग को गोबर खाद की पूरी मात्रा के साथ मई-जून माह में देना चाहिए. खाद एवं उर्वरक की मात्रा हर साल आवश्यकता अनुसार बड़ा कर देना चाहिए.
इसकी समय पर छटाई करने से पेड़ों का विकास पूरी तरह होता है. इसलिए समय-समय पर छटाई आवश्यक है. वैसे अलग से इसकी छटाई की आव्यशकता कम ही पड़ती है. तेजपत्ता का पौधा एक सदाबहार पौधा होता है, जिसमे पूरे साल पत्ते निकलते रहते हैं, पत्तों की तुड़ाई के बाद इन्हें सुखाकर इनका उपयोग कर सकते हैं.
तेज पत्ते में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के कारण ही इसका उपयोग कई रोगों में दवा के तौर पर भी किया जाता है. तेज पत्ता त्वचा और बालों के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है. इसमें पाए जाने वाले एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल कॉस्मेटिक उद्योग में क्रीम, इत्र और साबुन बनाने में किया जाता है.
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