मक्का की फसल एक बहुपयोगी फ़सल है क्योंकि मक्का मनुष्य और पशुओं के आहार का प्रमुख स्रोत है. मक्का औद्योगिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है. एक प्रमुख खाद्य फसल हैं, जो मोटे अनाजो की श्रेणी में आता है. भारत के पहाड़ी क्षेत्रों के साथ-साथ मैदानी इलाकों में बहुतायत में उगाई जाती है. मक्का को खरीफ सीजन की फसल भी कहा जाता है. कुछ और ऐसी किस्मे है जिसका जो सिर्फ रबी सीजन में ही उपयुक्त रहती है. किसान भाई दोनों सीजन में उगाकर अच्छी पैदावार लेने के साथ-साथ अच्छी कमाई भी कर सकते है. मक्का की खेती भारत में मुख्य रूप आंध्र प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र,कर्नाटक, राजस्थान, एमपी, छ्त्तीसगढ़, झारखंड, गुजरात और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में की जाती है.
खरीफ सीजन शुरू हो चुका है कई राज्यों में किसान बुवाई भी कर रहे हैं. ऐसे में जानिए की मक्का की खेती के करने के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखा चाहिए. जानिए कैसी होनी चाहिए मिट्टी और किस्म
मक्का की खेती विभिन्न प्रकार की जलवायु में की जा सकती है, परन्तु उष्ण क्षेत्रों में मक्का की वृद्धि, विकास एवं उपज अधिक पाई जाती है. यह गर्म ऋतु की फसल है. इसके जमाव के लिए रात और दिन का तापमान ज्यादा होना चाहिए. मक्के की फसल को शुरुआत के दिनों से भूमि में पर्याप्त नमी की आवश्यकता होती है.जमाव के लिए 18 से 23 डिग्री सेल्सियस तापमान एवं वृद्धि व विकास अवस्था में 28 डिग्री सेल्सियस तापमान उत्तम माना गया है.
वैसे तो मक्के की खेती को विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन इसके लिए दोमट मिट्टी या बुलई मटियार वायु संचार और पानी के निकास की उत्तम व्यवस्था के साथ साथ 6 से 7.5 पीएच मान वाली मिटटी उपयुक्त मानी गई है.
पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें उसके बाद देसी हल से करें, मिट्टी के ढेले तोड़ने एवं खेत सीधा करने हेतु हर जुताई के बाद पाटा या सुहागा लगाएँ यदि मिट्टी में नमी कम हो तो पलेवा करके जुताई करनी चाहिए. गोबर के खाद काप्रयोग करना हो तो पूर्ण रूप से सड़ी हुई खाद अन्तिम जुताई के समय जमीन मे मिला दें. सिंचित अवस्था में 60 सेंटीमीटर की दूरी पर मेड़े बनानी चाहिए जिससे जल निकासी में आसानी रहती है और फसल भी अच्छी बढ़ती है. भूमि परीक्षण उपरांत जहां जस्ते की कमी हो वहां 25 किलो जिंक सल्फेट वर्षा से पूर्व खेत में डाल कर खेती की अच्छे से जुताई करें.
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मक्का की पूरी फसल अवधि को करीब 400-600 mm पानी की जरुरत होती है. इसकी सिंचाई की महत्वपूर्ण अवस्था पुष्पन और दाने भरने का समय है. मक्का के खेत से जल निकासी उचित व्यवथा होनी चाहिए जिससे खेत में अपनी जमा नहीं होना चाहियें.
मक्का का बुवाई खरीफ सीजन में जून से जुलाई तक क्या जाता है. रबी सीजन में अक्टूबर से नवम्बर तक. जायद में फरवरी से मार्च तक बुवाई क्या जा सकता है.
फसल अवधि पूर्ण होने के पश्चात अर्थात् चारे वाली फसल बोने के 60-65 दिन बाद, दाने वाली देशी किस्म बोने के 75-85 दिन बाद, व संकर एवं संकुल किस्म बोने के 90-115 दिन बाद तथा दाने मे लगभग 25 प्रतिशत् तक नमी हाने पर ही फसल की कटाई करनी चाहिए.
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