समुद्र में बढ़ती गर्मी, जिसकी वजह से जून 2023 से अल नीनो मौसम पैटर्न विकसित हुआ, वह चरम पर है और अब घट रहा है. दो वैश्विक मौसम एजेंसियों की मानें तो अल नीनो अब खत्म होने वाला है. ऑस्ट्रेलिया के मौसम विज्ञान ब्यूरो की तरफ से कहा गया है कि अल नीनो उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में जारी है. मॉडल पूर्वानुमान से इस तरफ इशारा मिलता है कि मध्य उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्र की सतह का तापमान (एसएसटी) चरम पर है और अब यह घट रहा है.
ऑस्ट्रेलियाई मौसम विज्ञान ब्यूरो ने मंगलवार को अपने जलवायु ड्राइवर अपडेट में कहा, उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्र की सतह का तापमान साउथ पोल में सर्दियों के मौसम में यानी मार्च से 20 जून के बीच तटस्थ अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) स्तर पर लौटने की उम्मीद है. यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) की एक ब्रांच, क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर (सीपीसी) ने सोमवार को अपने वीकली अपडेट में कहा है कि दिसंबर 2023 के बाद से, प्रशांत क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में सकारात्मक एसएसटी विसंगतियां थोड़ी कमजोर हो गई हैं. साथ ही सुदूर-पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में अधिक महत्वपूर्ण कमजोरी आई है.
यह भी पढ़ें- पॉम आयल इंपोर्ट नीति से सरसों को नुकसान! किसानों की परेशानी पर क्या कहता है CACP?
अल नीनो मौसम पैटर्न के प्रमुख संकेतकों में से एक, जिसके परिणामस्वरूप एशिया में लंबे समय तक शुष्क अवधि और सूखा पड़ता है. पिछले कुछ हफ्तों में, नकारात्मक ओएलआर (आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन) विसंगतियां हिंद महासागर से पश्चिमी और मध्य भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर, जबकि सकारात्मक ओएलआर विसंगतियां इंडोनेशिया की ओर स्थानांतरित हो गई हैं.
अल नीनो की वजह से ही साल 2023 में रिकॉर्ड गर्मी पड़ी और यह सबसे गर्म साल बन गया. जून 2023 के बाद से हर महीना दूसरे की तुलना में अधिक गर्म रहा. भारत के लिए, मौसम के मिजाज के कारण अगस्त 2023, 120 सालों में सबसे शुष्क रहा. अल नीनो की वजह से कारण दिसंबर तक भारत का कम से कम 25 प्रतिशत हिस्सा सूखे की चपेट में था, जबकि जनवरी में देश के 60 प्रतिशत से अधिक हिस्से में कम, अत्यधिक कमी या बिल्कुल बारिश नहीं हुई.
पिछले साल आई कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि सितंबर में समाप्त हुए दक्षिण-पश्चिम मानसून की अल-नीनो-प्रेरित अनिश्चितता की वजह से इस सीजन (जुलाई 2023-जून 2024) में खरीफ फसलों के उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला कि पिछले सीजन की तुलना में कई फसलों के उत्पादन में गिरावट की संभावना है. अरहर का उत्पादन अधिक होने का अनुमान लगाया गया. खरीफ की फसलों में भी गिरावट की बात कही गई थी.
यह भी पढ़ें-
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today