फूलगोभी भारत की प्रमुख सब्जियों में से एक है. इसकी खेती से किसान शानदार मुनाफा कमा सकते हैं. लोग इसका इस्तेमाल सब्जी, सूप और आचार आदि के रूप में करते हैं. वहीं, फूलगोभी में विटामिन सी, के, फाइबर, फोलेट, विटामिन बी, पोटैशियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस, मैगनीज जैसे तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर को कई लाभ पहुंचाने में मदद करते हैं. भारत में आजकल पॉलीहाउस में इसकी खेती लगभग सभी सीजन में की जा रही है. वहीं किसान फूलगोभी की अगेती खेती करके भारी मुनाफा कमा सकते हैं. अगेती फूलगोभी की खेती जुलाई-अगस्त में होती है. इसकी खेती जुलाई-अगस्त में करने पर फसल ठंड की शुरुआत से पहले ही यानी सितंबर-अक्टूबर तक तैयार हो जाएगी.
वहीं, फूलगोभी की अगेती फसल के लिए अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी की जरूरत होती है. ऐसे में आइए आज फूलगोभी की अगेती किस्मों और खेती के दौरान रखे जाने वाली सावधानियों के बारे में जानते हैं-
आईसीएआर, पूसा के वैज्ञानिकों ने फूलगोभी की कई अगेती उन्नत किस्में विकसित की हैं, जिनमें पूसा अश्विनी, पूसा मेघना, पूसा कार्तिक और पूसा कार्तिक संकर आदि शामिल हैं. फूल गोभी की अन्य अगेती किस्मों में पूसा दिपाली, अर्ली कुवारी, अर्ली पटना, पन्त गोभी- 2, पन्त गोभी- 3, पूसा कार्तिक, पूसा अर्ली सेन्थेटिक, पटना अगेती, सेलेक्सन 327 और सेलेक्सन 328 आदि शामिल हैं.
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वहीं फूलगोभी की पछेती किस्मों में पूसा स्नोबाल-1, पूसा स्नोबाल-2, पूसा स्नोबाल-16 आदि शामिल हैं, जबकि मध्यम किस्मों में पंत सुभ्रा, पूसा सुभ्रा, पूसा सिन्थेटिक, पूसा अगहनी उयर पूसा स्नोबाल आदि शामिल हैं. वहीं, फूलगोभी की फसल में रोग लगने की काफी समस्या रहती है. इसके मद्देनजर बीजों की बुवाई से पहले कृषि वैज्ञानिकों द्वारा अनुशंसित फफूंदनाशक से शोधन कर लेना चाहिए.
• एक हेक्टेयर खेत में बुवाई के लिए 450 ग्राम से 500 ग्राम बीज की नर्सरी तैयार करें.
• पंक्ति से पंक्ति 45 सेंटी मीटर और पौधे से पौधे की दूरी 45 सेंटी मीटर रखें.
• फूलगोभी की रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करें.
• फसल में जब फूल बन रहा हो, तो उस समय जमीन में नमी का ध्यान रखें.
• खरपतवारों की रोकथाम के लिए आवश्यकता अनुसार निराई-गुड़ाई करते रहें.
• निराई-गुड़ाई ज्यादा गहरी न करें और खरपतवार को उखाड़ कर नष्ट कर दें.
• अधिक उपज लेने के लिए ज़मीन में पर्याप्त मात्रा में खाद डालें.
• एक हेक्टेयर जमीन में 35-40 क्विंटल गोबर की अच्छे तरीके से सड़ी हुई खाद डालें.
• खेत में उचित जल निकासी की व्यवस्था करें.
• बदलते मौसम में कीड़े और रोगों से फसल को नुकसान हो सकता है इसलिए फसल का खास खयाल रखें.
• अगेती फूलगोभी की खेती के लिए मिट्टी का पीएच 5.5 से 6.8 के बीच होना चाहिए.
• फूलगोभी की अगेती किस्म की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी वाली भूमि उपयुक्त होती है.
• सर्दियों में इसके खेत की सिंचाई 12 से 15 दिनों के अंतराल पर करें.
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