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इस साल धनिया सहित ये मसाले हो सकते हैं महंगे, इस वजह से उत्पादन में भारी गिरावट की है संभावना

इस साल धनिया सहित ये मसाले हो सकते हैं महंगे, इस वजह से उत्पादन में भारी गिरावट की है संभावना

गुजरात में सरसों, मेथी और धनिया की खेती करने वाले अधिकांश किसानों ने ऊंची कीमतों के कारण जीरे की खेती करना शुरू कर दिया है. कहा जा रहा है कि गुजरात में सरसों की बुआई का रकबा 2022 से 10 प्रतिशत कम हो गया. एफआईएसएस के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि इस साल सरसों की बुआई 2.78 लाख हेक्टेयर में हुई, जबकि 2022 में इसका आंकड़ा 3.07 लाख हेक्टेयर था.

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धनिया के रकबे में गिरावट. (सांकेतिक फोटो) धनिया के रकबे में गिरावट. (सांकेतिक फोटो)

इस साल गुजरात में धनिया के उत्पादन में गिरावट आ सकती है. धनिया पिछले साल से 44 फीसदी गिरकर 1.58 लाख टन होने का अनुमान है. इसके अलावा सरसों और मेथी के उत्पादन में भी कमी आने की बात कही जा रही है, क्योंकि सरसों, मेथी और धनियां की खेती करने वाले किसानों ने इस अपने खेतों में जीरे की बुवाई अधिक की है. ऐसे में कहा जा रहा है कि गुजरात में सरसों, धनिया और मेथी का रकबा घटने से इन फसलों का उत्पादन गिर सकता है.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात में सरसों, मेथी और धनिया की खेती करने वाले अधिकांश किसानों ने ऊंची कीमतों के कारण जीरे की खेती करना शुरू कर दिया है. कहा जा रहा है कि गुजरात में सरसों की बुआई का रकबा 2022 से 10 प्रतिशत कम हो गया. एफआईएसएस के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि इस साल सरसों की बुआई 2.78 लाख हेक्टेयर में हुई, जबकि 2022 में इसका आंकड़ा 3.07 लाख हेक्टेयर था. पिछले साल किसानों को जीरे की अच्छी कीमत मिली थी. ऐसे में पिछले साल से मेथी और धनिया उगाने वाले कई किसानों ने जीरा उगाना शुरू कर दिया, जिससे गुजरात में जीरे का रकबा भी 100 फीसदी बढ़ गया है. हालांकि, इस साल जीरे की बंपर पैदावार के साथ, कीमतों में बड़ी तेजी देखने की संभावना नहीं है.

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क्या है सरसों का मार्केट में रेट

अधिकारियों ने कहा कि इस साल सरसों की कम कीमतें भी इसके कम रकबे का एक कारण थीं. अधिकारियों ने कहा कि गुजरात में सरसों की खेती छह या सात साल से बढ़ रही है. इस वर्ष गुजरात में सरसों की बुआई कम क्षेत्र में हुई है, जबकि अन्य राज्यों में सरसों के रकबे में वृद्धि देखी गई है. जबकि, भारत में सरसों का कुल रकबा पिछले वर्ष के बराबर ही है. पिछले साल सरसों की कीमतें 1,300 रुपये प्रति 20 किलोग्राम की ऊंचाई पर पहुंच गई थीं. तब से उनमें गिरावट आई है और वर्तमान में वह एमएसपी स्तर से नीचे हैं. अभी 20 किलो सरसों के पैकेट की कीमत 950 रुपये से लेकर 1,100 रुपये के बीच है. ऐसे में अगले कुछ महीनों में कीमतें इसी दायरे में रहने की उम्मीद है.

इसबगोल के रकबे का विस्तार 

गुजरात इसबगोल या साइलियम भूसी (प्लांटैगो ओवाटा प्रजाति से) के उत्पादन और प्रसंस्करण में देश में सबसे आगे है, जिसे आम बोलचाल की भाषा में 'घोडाजिरू' कहा जाता है. राज्य कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि इसबगोल का बुआई क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों में बढ़ रहा है और 2024 में पिछले दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. पिछले 10 वर्षों में इसबगोल का रकबा मार्च 2018 को समाप्त वित्तीय वर्ष में सबसे अधिक 25,127 हेक्टेयर था. 

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