कपास किसानों ने इस बार अपनी उपज रोक कर रखी है. किसानों को उम्मीद है कि पिछली बार की तरह इस बार भी अचानक रेट बढेंगे और कपास से बेहतर कमाई होगी. लेकिन अब इसकी संभावना कम है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि एक हफ्ते में मॉनसून आने वाला है. मॉनसून अपने साथ बारिश लेकर आएगा. ऐसी स्थिति में कपास के खराब होने की आशंका बढ़ जाती है. इसे देखते हुए स्टोर किए कपास को बेच देने में ही भलाई बताई जा रही है. इससे किसान घाटे में नहीं जाएंगे और उनकी उपज बाजार में निकल जाएगी. देश में कपास (रूई) धुनने वाली मिलों के सबसे बड़े संगठन सदर्न इंडिया मिल्स एसोसिएशन (SIMA) ने किसानों से आग्रह किया है कि मॉनसून शुरू होने से पहले वे अपना स्टॉक किया हुआ कपास बेच दें. एसआईएमए का कहना है कि किसान अगर मॉनसून से पहले कपास बेच देंगे तो उन्हें अच्छे दाम मिल जाएंगे. वरना बाद में उपज खराब होने से दाम गिर सकते हैं.
शुरुआती मई की तुलना में देखें तो अभी कपास के रेट गिरे हैं. कहा जा रहा है कि अब इसके उठने की गुंजाइश कम है क्योंकि जून तक यही ट्रेंड बने रहने की संभावना है. दो मई को कपास का बाजार भाव 62,000 रुपये दर्ज किया गया था जो अभी 56,500 रुपये पर चल रहा है. एक्सपर्ट बताते हैं कि जून तक यही भाव चलता रहेगा. फिर जून में मॉनसून शुरू होने और बारिश से कपास के भाव और भी स्थिर हो जाएंगे. हो सकता है कि अभी के रेट से उसमें और कमी देखी जाए.
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कपास के रेट में औसतन 7,000 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है. उसमें भी दिसंबर 2022 से फरवरी 2023 के बीच 8,200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई है. हालांकि अच्छी बात ये है कि कपास का मौजूदा रेट न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से 11 फीसद अधिक चल रहा है. कपास की एमएसपी 6,080 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि किसानों को अभी 62,000 रुपये प्रति क्विंटल का रेट मिल रहा है. इसे देखते हुए किसानों से अपील की जा रही है कि वे मॉनसून शुरू होने से पहले कपास बेच दें क्योंकि बारिश शुरू होने के बाद रेट में बड़ी गिरावट दर्ज की जा सकती है.
देश में इस बार किसानों ने बड़ी मात्रा में कपास को स्टोर किया है. किसानों को उम्मीद है कि अगले एक हफ्ते या दस दिन में रेट अगर बढ़ जाए तो वे अपनी उपज को निकाल देंगे. लेकिन अब इसकी गुंजाइश कम दिखती है. एक आंकड़ा बताता है कि 31 मार्च तक किसानों ने 60 परसेंट तक उपज को रोक कर रखा. अभी तक का रिकॉर्ड बताता है कि देश में 31 मार्च तक 85-90 परसेंट कपास की उपज निकल जाती है. लेकिन इस बार किसानों ने 30 परसेंट से लेकर 45 परसेंट तक उपज स्टोर किया हुआ है.
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पिछले साल जिन किसानों ने कपास को स्टोर किया हुआ था, उन्हें सीजन के अंत में अच्छी कमाई हो गई थी. पिछले साल दिसंबर से इस साल फरवरी तक कपास का रेट 9,000 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा था जबकि अप्रैल आते-आते यह भाव 11,000 रुपये पर पहुंच गया. कई जगह किसानों ने 12,000 रुपये में अपनी उपज को बेचा. इस बार भी किसान इसी उम्मीद में बैठे हुए हैं कि अचानक बाजार में कपास का भाव बढ़ेगा और वे स्टोर किए कपास को बेच कर अच्छा मुनाफा कमा लेंगे. लेकिन एक्सपर्ट की मानें तो अब रेट बढ़ने की संभावना बहुत कम है.
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