शीतलहर गेहूं के लिए है फायदेमंद, UP सहित इन राज्यों में बढ़ सकता है उत्पादन, जानें एक्सपर्ट की राय

शीतलहर गेहूं के लिए है फायदेमंद, UP सहित इन राज्यों में बढ़ सकता है उत्पादन, जानें एक्सपर्ट की राय

विशेषज्ञों के अनुसार, शीतलहर और कड़ाके की ठंड न केवल गेहूं की फसल के विकास में सहायक होते हैं, बल्कि देर से बोई गईं किस्मों के अंकुरण में भी मदद करते हैं. पीएयू के वीसी डॉ. एसएस गोसल ने कहा कि वर्तमान तापमान पिछले 53 वर्षों के सामान्य औसत से लगभग 7-8 डिग्री सेल्सियस कम है.

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शीतलहर गेहूं के लिए है फायदेमंद, UP सहित इन राज्यों में बढ़ सकता है उत्पादन, जानें एक्सपर्ट की रायदेश में बढ़ जाएगा गेहूं का उत्पादन. (सांकेतिक फोटो)

नए साल के आगमन के साथ ही उत्तर भारत में कोहरे और शीतलहर के साथ कड़ाके की ठंड पड़ रही है. इससे इंसान के साथ- साथ पशु-पक्षी भी परेशान हो गए हैं. लेकिन इस कड़ाके की ठंड से किसानों के चेहरे खिल गए हैं. खास कर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों का कहना है कि शीतलहर गेहूं की फसल के लिए काफी फायदेमंद है. इससे गेहूं की अच्छी उपज हो सकती है. वहीं, भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह का कहना है कि शीतलहर और ठंड गेहूं की फसल के लिए वरदान से कम नहीं है. उनका कहना है कि अगर अगले कुछ दिनों में हल्की बारिश हो जाती है, तो गेहूं उत्पादकों के लिए और अच्छा होता. इससे फसल की ग्रोथ तेजी से होती. 

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर भारत में कई दिनों से पड़ रही सर्दी और शीतलहर की वजह से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों के विशेषज्ञों ने भी इस बार अच्छी उपज की उम्मीद जताई है. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, ठंड के चलते गेहूं की फसल तेजी से ग्रोथ कर रही है. इससे फसल में पीले रतुआ रोग का असर भी नहीं देखने को मिल रहा है, जोकि किसानों के लिए अच्छी बात है. इसी बीच खबर है कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने भी अगले 24 घंटों तक उत्तर भारत में घना कोहरा छाए रहने की भविष्यवाणी की है. इस दौरान कड़ाके की ठंड पड़ेगी.

सामान्य से कम तापमान है लाभदायक

कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि सामान्य से कम तापमान रबि फसल में गेहूं के लिए सबसे ज्यादा लाभदायक होता है. क्योंकि अधिक ठंत और शीतलहर की वजह से गेहूं के दाने अधिक पुष्ट हो जाते हैं. आईआईडब्ल्यूबीआर के निदेशक डॉ ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि देश भर में गेहूं की बुआई बेल्ट के व्यापक क्षेत्र सर्वेक्षण के बाद, अब तक पीले रतुआ या किसी अन्य बीमारी की कोई रिपोर्ट या संकेत नहीं मिले हैं. उन्होंने कहा कि आईआईडब्ल्यूबीआर ने किसानों को एक सलाह जारी की है, जिसमें उनसे फसल की निगरानी करने का आग्रह किया गया है. 

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इतना है औसत तापमान

विशेषज्ञों के अनुसार, शीतलहर और कड़ाके की ठंड न केवल गेहूं की फसल के विकास में सहायक होते हैं, बल्कि देर से बोई गईं किस्मों के अंकुरण में भी मदद करते हैं. पीएयू के वीसी डॉ. एसएस गोसल ने कहा कि वर्तमान तापमान पिछले 53 वर्षों के सामान्य औसत से लगभग 7-8 डिग्री सेल्सियस कम है. हालांकि, उन्होंने लंबे समय तक बादल और कोहरे वाले मौसम के संभावित नकारात्मक प्रभाव के बारे में भी किसानों को आगाह किया है.

114 मिलियन टन हो सकता है उत्पादन

उन्होंने कहा है कि शीतलहर के साथ- साथ गेहूं की फसल को प्रयाप्त मात्रा में धूप भी मिलती रहनी चाहिए. साथ ही उन्होंने सरसों और सब्जियां उगाने वाले किसानों को ठंड के मौसम के प्रभाव को कम करने के लिए हल्की सिंचाई करने की सलाह दी गई है. ऐसे में आईआईडब्ल्यूबीआर करनाल के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस बार देश में गेहूं का उत्पादन, सरकार द्वारा अनुमानित लक्ष्य 114 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा.

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