केंद्र सरकार ने अनुमान लगाया है कि भारत अगले 5 वर्षों में 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के केले का निर्यात करने में सक्षम हो सकता है. इससे 25,000 से अधिक किसानों की आय में वृद्धि होगी. एपिडा ताजे फलों के निर्यात की संभावनाओं को बढ़ा रहा है. इसके लिए नीदरलैंड को आईएनआई फार्म्स द्वारा समुद्री मार्ग से ताज़े केलों की पहली परीक्षण खेप के निर्यात की सुविधा प्रदान की है. नीदरलैंड के लिए केले के एक कंटेनर की पहली निर्यात खेप को 9 नवंबर, 2023 को महाराष्ट्र के बारामती से झंडी दिखाकर रवाना किया गया. यूरोप में केले की परीक्षण खेप एपिडा से रजिस्टर्ड 'आईएनआई फार्म्स' द्वारा किया गया था, जो भारत से फलों और सब्जियों का एक शीर्ष निर्यातक है और उनकी उपज दुनिया भर के 35 से अधिक देशों में निर्यात की जा रही है.
एपिडा ने केले की परीक्षण खेप के लिए तकनीकी सहायता भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के केंद्रीय उपोष्णकटिबंधीय बागवानी संस्थान (सीआईएसएच), लखनऊ से ली है. जबकि आईएनआई फार्म्स ने यूरोप में मार्केटिंग और वितरण के लिए डेल मोंटे और लॉजिस्टिक्स के लिए मेर्स्क के साथ साझेदारी की है. पिछले दो वर्षों में, फर्म ने यूरोपीय बाजार के कड़े मानकों को पूरा करने के लिए केले की गुणवत्ता और सेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए व्यापक प्रयास किए हैं. आईएनआई फार्म्स ने एग्रोस्टार समूह के हिस्से के रूप में किसानों के साथ सीधे काम करके केले के लिए एक वैल्यू चेन भी स्थापित की है.
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एपिडा के अध्यक्ष अभिषेक देव ने कहा कि नीदरलैंड को केले का निर्यात शुरू होने से केले के दाम में वृद्धि होगी. किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी. उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यह परीक्षण खेप भारतीय केले के लिए यूरोपीय बाजार की महत्वपूर्ण निर्यात क्षमता में वृद्धि करेगा. केले की पहली परीक्षण खेप के निर्यात से गुणवत्ता वाले फलों के निर्यात को सुनिश्चित करके भारतीय निर्यातकों और यूरोपीय संघ (ईयू) के आयातकों के बीच क्षमता निर्माण में मदद मिलेगी.
विश्व का सबसे बड़ा केला उत्पादक देश होने के बावजूद, वैश्विक बाजार में भारत का केले के निर्यात का हिस्सा वर्तमान में केवल एक प्रतिशत ही है. भले ही विश्व के 35.36 मिलियन मीट्रिक टन केले के उत्पादन में देश की हिस्सेदारी 26.45 प्रतिशत है. भारत ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में, 176 मिलियन अमरीकी डॉलर के केले का निर्यात किया, जिसकी मात्रा 0.36 मिलियन मीट्रिक टन के बराबर है.
यूरोपीय बाजार में पहली परीक्षण खेप के साथ, यह अनुमान लगाया गया है कि भारत अगले पांच वर्षों में एक अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य के केले का निर्यात करने में सक्षम हो सकता है. इससे 25,000 से अधिक किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है और आपूर्ति श्रृंखला में 10,000 से अधिक लोगों के लिए प्रत्यक्ष रूप से ग्रामीण आजीविका का सृजन हो सकता है और अप्रत्यक्ष रूप से खेतों में 50,000 से अधिक लोगों को रोजगार मिल सकता है.
भारतीय केले के प्रमुख निर्यात स्थलों में ईरान, इराक, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, उज्बेकिस्तान, सऊदी अरब, नेपाल, कतर, कुवैत, बहरीन, अफगानिस्तान और मालदीव शामिल हैं. इसके अतिरिक्त, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, जापान, जर्मनी, चीन, नीदरलैंड, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों में अच्छा अवसर है.
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भारत पिछले 15 वर्षों से मध्य पूर्व के साथ केले के व्यापार में बड़ी भूमिका निभा रहा है. इसलिए अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 2024 में केले का निर्यात 303 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक हो जाएगा. केला आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश राज्यों में उगाई जाने वाली एक प्रमुख बागवानी फसल है.
आंध्र प्रदेश सबसे बड़ा केला उत्पादक राज्य है, इसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश हैं. ये पांच राज्य वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत के केला उत्पादन में सामूहिक रूप से लगभग 67 प्रतिशत का योगदान देते हैं. अन्य राज्य जो केले का उत्पादन करते हैं, उनमें गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मिजोरम और त्रिपुरा शामिल हैं.
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