सोयाबीन की खेती कर रहे किसान इसकी बुवाई जून के पहले सप्ताह से कर सकते हैं. सोयाबीन की खेती से बंपर पैदावार लेने के लिए किसान इसकी उन्नत किस्मों की बुवाई कर आसानी से अच्छी कमाई कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए बुवाई की सही जानकारी का होना बहुत जरूरी है. बाजारों सोयाबीन किसानों को अच्छे दाम मिलते हैं क्योंकि सोयाबीन से तेल निकाला जाता है. इसके अलावा सोयाबीन से सोया बड़ी, सोया दूध, सोया पनीर आदि चीजें बनाई जाती हैं. आपको बता दें कि सोयाबीन तिलहन फसलों के अंतर्गत आता है और इसकी खेती देश के कई राज्यों में की जाती है. इसकी खेती मुख्य रूप से मध्य प्रदेश में की जाती है.
भारत में 12 मिलियन टन सोयाबीन का उत्पादन होता है. भारत में सोयाबीन का सर्वाधिक उत्पादन मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में होता है. सोयाबीन की खेती कर रहे किसानों के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि बुवाई के बाद खेतों में सोयाबीन का बीज जमेगा या नहीं. इसके लिए आप इन आसान तरीके का इस्तेमाल कर सकते हैं.
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मानसून की बारिश शुरू होने के बाद बुआई की तैयारी के साथ-साथ बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के बाद भी किसानों को यह चिंता सताती रहती है कि जो बीज वे बो रहे हैं वह अच्छे से अंकुरित हो. इसलिए कृषि विशेषज्ञ डॉ. वी.पी. भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर के सिंह बुंदेला ने दस मिनट में सोयाबीन के स्वस्थ बीजों की पहचान करने का अपना व्यावहारिक अनुभव साझा किया है.
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डॉ. बुंदेला कहते हैं कि बुवाई के लिए उपलब्ध बीज शुद्ध होना चाहिए. इसमें किसी अन्य किस्म के बीज नहीं मिलाने चाहिए और इसकी अंकुरण क्षमता अच्छी होनी चाहिए. बीज का अंकुरण कई कारणों से प्रभावित होता है. इनमें बीजों की नमी., हड़म्बा (राजस्थानी मशीन) से गहाई करने पर सोयाबीन के बीज का ऊपरी छिलका और बीज का आवरण फट जाता है. जिस गर्भ से बीज अंकुरित होता है वह भी प्रभावित होता है.
बीज की शुद्धता और अंकुरण परीक्षण चार प्रकार से किया जाता है. सबसे पहले, आप बीज को अपने हाथ में लेकर उन्हें आकार, रंग, हाइलम रंग और अन्य सोयाबीन प्रजातियों के बीज के अनुसार अलग कर सकते हैं. परीक्षण में सोयाबीन के कुछ दाने अपने मुंह में रखें और उन्हें दांतों से दबाएं. यदि बीज टूटने की आवाज सुनाई दे तो समझ लें कि बीज सूखा हुआ है. केवल सूखे बीज ही अंकुरित होते हैं. तीसरे परीक्षण में यदि बीज टूटने की आवाज न आए तो बीज में नमी की स्थिति समझ लें. यदि आप ऐसे बीजों को ध्यान से देखेंगे जो भंडारण के कारण खराब हो गए हैं, तो आप पाएंगे कि उनकी चमक कम हो गई है और उनका रंग लाल हो गया है. ऐसे लाल बीज अंकुरित नहीं होंगे. चौथे परीक्षण में यह जांचा जाता है कि जहां से बीज उगता है उसका भ्रूण (fetus) स्वस्थ है या नहीं. यदि किसी कारण से भ्रूण क्षतिग्रस्त हो जाए तो बीज चमकदार तो हो सकता है परंतु अंकुरित नहीं हो पाएगा.
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