Bathua Farming: किसानों के लिए फायदे का सौदा है बथुआ की खेती, बुआई-सिंचाई और उन्नत किस्मों के बारे में जानिए

Bathua Farming: किसानों के लिए फायदे का सौदा है बथुआ की खेती, बुआई-सिंचाई और उन्नत किस्मों के बारे में जानिए

बथुआ की खेती से भी किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. इसकी खेती का उचित समय अक्टूबर महीने का माना जाता है. यहां जानिए इसकी खेती के लिए कैसी होनी चाहिए मिट्टी और कौन सी है सबसे बेहतर किस्म.

Advertisement
Bathua Farming: किसानों के लिए फायदे का सौदा है बथुआ की खेती, बुआई-सिंचाई और उन्नत किस्मों के बारे में जानिएजानिए बथुआ की खेती के बारे में

देश में किसान अब धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं. पारंपरिक फसलों के साथ-साथ वे कम समय में बढ़िया मुनाफा देने वाली फसलों की भी खेती करने लगे हैं. इस दौरान किसान अब सीजनल सब्जियों की खेती की तरफ तेजी से रुख कर रहे है. बथुआ भी कुछ इसी तरह की फसल है. इसकी खेती से भी किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. बथुआ पौष्टिकता से भरपूर होने के साथ-साथ कई तरह के रोगों से भी हमारे शरीर को बचाता है. इसकी खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं बथुआ की खेती करना बहुत ही आसान है और आप साल में 3 बार इसकी की खेती कर सकते है.

बथुआ की सब्जी बनाई जाती है जो शरीर के लिए गुणकारी होती है. स्वादिष्ट, पोषक तत्वों से युक्त होता है.इसके चलते बाजारों में इसकी मांग हमेशा बनी रहेती है. ऐसे में किसानों के लिए बथुआ की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती हैं. ऐसे में किसान सही तरीके के इसकी खेती कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों ले सकते हैं.

खेती उपयुक्त समय 

बथुआ की बुवाई के समय ठंड का मौसम होनी चाहिये इसीलिए इसकी बुवाई अक्टूबर से मार्च के महीने में की जाती हैं. इसकी बेहतर फसल उत्पादन के लिए 7 डिग्री से 20 डिग्री तक का तापमान उपयुक्त होता हैं.

खेती करने के लिए खेत की तैयारी 

बथुआ की खेती करने के लिए खेत की मिट्टी का पीएच मान 6 से 8 के बीच तक का होना चाहिए. इसकी खेती करते समय सबसे पहले खेत की मिट्टी पलटने वाले हल या कल्टीवेटर की मदद से 2 से 3 बार गहरी जुताई करके खेत की मिट्टी को भुरभुरा बना ले. उसके बाद खेत में पाटा लगाकर खेत को समतल कर लें.

ये भी पढ़ें: Benefits of Mushrooms: खेती के बारे में बहुत सुना होगा आपने, अब मशरूम के फायदों को भी जान लीज‍िए

बथुआ की बुवाई कैसे करें

बुवाई से पहले खेत में 2-3 बार जुताई करें और आखिरी जुताई से पहले प्रति हेक्टेयर 5-6 टन गोबर की खाद मिलाएं. बथुआ के बीज बहुत छोटे होते हैं, इसलिए गोबर की खाद में मिलाकर 5-10 मिलीमीटर गहराई में बो सकते हैं. बथुआ की नर्सरी भी तैयार की जा सकती है और फिर पौधों के 7-8 सेंटीमीटर लंबा होने पर उन्हें खेत में लगाया जा सकता है.

 फसल की कटाई का समय 

अगर आप बथुआ की फसल की पत्तियों को बेचना चाहते हैं तो आप इसकी फसल से पत्तियों का उत्पादन 45 से 50 दिन के बाद कर सकते हैं. आप इसकी फसल से पत्तियों की तुड़ाई 3 से 4 बार तक कर सकते है. अगर आप इसकी खेती बथुआ की बीजों के लिए कर रहे हैं तो इसकी फसल 100 दिन में तैयार हो जाती है। अच्छी तरह से विकसित फसल की लंबाई 4 से 6 फिट तक की होती है.

बथुआ की खेती से मुनाफा

बथुआ की खेती से किसान डबल मुनाफा कमा सकते हैं. सर्दियों के सीजन में इसका सांग 40 से 100 रुपए प्रति किलो तक बिकता है. एक तो इसकी पत्तियों की बिक्री करके किसान 40 से 80 हजार रुपए तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं. किसान बथुआ के बीजों को भी बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

ये भी पढ़ें: Sugarcane Price: क‍िसानों के आक्रोश से गन्ना ब‍िक्री मामले में बैकफुट पर सरकार, वापस हुआ फैसला


 

POST A COMMENT