बासमती चावल अपने खास स्वाद और मोहक खुशबू के लिए काफी मशहूर है. यह चावल भारत की लंबे चावल की एक उत्कृष्ट किस्म है. वहीं भारत से बासमती चावल के निर्यात में पाकिस्तान के फिसड्डी साबित होने के बाद भारत का बासमती में एक्सपोर्ट बढ़ गया है. बासमती उत्पादन में इस साल पाकिस्तान की हालत नाजुक रही है. वहीं अगर बात करें खुशबू वाले लंबे चावल की तो उसमें भारत के अलावा पाकिस्तान वैश्विक बाजार में एक मात्र प्रतिद्वंधी है.
कृषि और प्रसंस्कृत (APEDA) के आंकड़े से पता चला है कि चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-नवंबर के दौरान बासमती का शिपमेंट बढ़कर 2.73 मिल्यन टन (mt) हो गया है. जो 2021-22 में 2.4 मिलियन टन से 13 प्रतिशत अधिक है. दूसरी ओर, निर्यात का मूल्य 2.06 अरब डॉलर से बढ़कर 2.87 अरब डॉलर हो गया है.
पूरे 2021-22 के अप्रैल-नवंबर के दौरान 39 प्रतिशत बढ़कर 860 डॉलर प्रति टन से 1051 डॉलर प्रति टन हो गया है. रुपये के मामले में दाम में 48.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि आंकड़ें केवल नवंबर तक ही उपलब्ध हैं. वहीं जुलाई-दिसंबर की अवधि के दौरान पाकिस्तान के बासमती निर्यात में 44 फीसदी की गिरावट से तस्वीर ही बदल गई है और इसके बाद से बासमती चावल के दाम और बढ़ गए हैं. फिलहाल भारत के सुगंधित चावल की कीमत 1450 डॉलर प्रति टन है. जबकि पाकिस्तान की चावल की कीमत 1350 डॉलर है.
निर्यात में तेजी के कारण बासमती के खेती करने वाले किसानों को चालू वित्त वर्ष में 60 फीसदी अधिक कीमत मिली है. कृषि मंत्रालय की एक शाखा एग मार्केट के आंकड़ों के अनुसार बासमती धान का औसत कीमत एक साल पहले के 2688 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले 4326 रुपये प्रति क्विंटल है. “बासमती चावल: द नेचुरल हिस्ट्री एंड ज्योग्राफिकल इंडिकेशन” पुस्तक के लेखक और व्यापार विश्लेषक एस चंद्रशेखर ने कहा, “पाकिस्तान में बासमती की कमी को देखते हुए भारत के लिए बासमती की कीमतों में और बढ़ोतरी करने की गुंजाइश है”
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वहीं दूसरी ओर चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान ईरान द्वारा 6.28 लाख टन बासमती चावल खरीदने से भारत को काफी लाभ हुआ है. यह पिछले वित्त वर्ष के उसके कूल बासमती आयात का दो-तिहाई है. वहीं सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात भारतीय बासमती के अगले बड़े खरीदार हैं. जिन्होंने पहली छमाही में 4.45 (lt) और 1.8 (lt) आयात किया है.
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