हमारे देश में कई धर्म, जाति और वर्ग के लोग रहते हैं. यहां देश में धार्मिक पर्वों का बहुत महत्व है. कहा जाता है ये पर्व त्योहार आपसी भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए मनाए जाते हैं. देश में हर धर्म के त्यौहार के प्रति लोगों का विशेष सम्मान रहा है. त्यौहार मनाने के साथ- साथ वर्षों से चली आ रही परंपरा को भी लोग बखूबी निभाते हैं. माना जाता है कि त्यौहार और परंपरा आपसी मतभेद को मिटाने और लोगों में प्रेम की भावना जागृति करने के लिए पुराने समय से ही मनाए जाते हैं. हर त्यौहार की अपनी कुछ विशेषताएं होती हैं जो पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मनाई जाती हैं.
जैसे दिवाली में दिए जलाना, होली में रंग खेलना, दशहरे में शक्ति पूजा आदि उसी तरह से हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले मकर संक्रांति (खिचड़ी) के त्यौहार में तिल खाने का भी बड़ा महत्व है. अधिकांश लोग मकर संक्रांति में तिल खाते हैं. लेकिन, उसके महत्व और कारण से अनजान हैं. आइए जानते हैं मकर संक्रांति पर्व में तिल और गुड़ खाने का क्या महत्व है.
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हम सब मकर संक्रांति के के त्यौहार सालों से मनाते आ रहे हैं, ये त्यौहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है. कहा जाता है कि सूर्य राशि परिवर्तित करते हैं. जब वे धनु से निकल कर मकर राशि में आते हैं तो मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. इस दिन लोग कई तरह से लोग घरों में पूजा पाठ करते हैं. कई जगहों में गंगा स्नान का बड़ा महत्व है. साथ ही लोग दान दक्षिणा भी बढ़- चढ़ कर करते हैं. पतंगों का भी विशेष महत्व है. इस दिन तिल विशेष रूप से खाया जाता है. दरअसल काले तिल और गुड़ से बने लड्डू खाने के पीछे यह मान्यता है कि इसे खाने और दान करने से सूर्य देव और शनिदेव की विशेष कृपा होती है.
हिंदू धर्म में पौराणिक मान्यताओं का बहुत महत्व होता है. कहा जाता है कि काली तिल का शनि देव से संबंध होता है और गुड़ का सूर्य देव से. ये दोनों ही लोगों की राशि के महत्वपूर्ण ग्रह होते हैं. इस दिन काली तिल और गुड़ के बने लड्डू खाने और दान करने से लोगों के कष्ट दूर होते हैं.
मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ खाने के पीछे का आध्यात्मिक कारण तो आप जान ही चुके हैं. लेकिन, इसके पीछे एक विज्ञान भी है. असल में जनवरी का महीना भीषण ठंड का भी होता है. ऐसे में तिल और गुड़ की तासिर गर्म होती है. जिसका सेवन शरीर को गर्म रखता और ठंड से भी बचाता है.
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