भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए क्रूड और रिफाइंड एडीबल ऑयल पर बेसिक इंपोर्ट ड्यूटी यानी आयात शुल्क 20 प्रतिशत बढ़ा दिया है. माना जा रहा है कि सरकार के इस फैसले से तिलहन की कम कीमतों से जूझ रहे किसानों की बड़ी मदद हो सकेगी. साथ ही तिलहन वाली फसलों खासतौर पर सोयाबीन के दाम भी बढ़ेंगे. गौरतलब है कि सोयाबीन का भाव महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों से पहले बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है.
सरकार के फैसले के बाद 14 सितंबर से कच्चे पाम ऑयल, सोया ऑयल और सूरजमुखी तेल पर 20 फीसदी ड्यूटी बढ़ा दी गई है. इससे इन तीनों ही तेलों पर कुल इंपोर्ट ड्यूटी 5.5 फीसदी से बढ़कर 27.5 फीसदी हो जाएगी. ये तीनों ही तेल भारत के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस एंड सोशल वेलफेयर सरचार्ज के तहत आते हैं. केंद्र सरकार के फैसले से खाद्य तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं और मांग कम हो सकती है.
इसका नतीजा होगा कि पाम ऑयल, सोया ऑयल और सूरजमुखी तेल की विदेशी खरीद पर असर पड़ेगा और उसमें गिरावट आ सकती है.रिफाइंड पाम ऑयल, रिफाइंड सोया ऑयल और रिफाइंड सनफ्लावर ऑयल के आयात पर अब 35.75 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगेगी जबकि पहले यह इंपोर्ट ड्यूटी 13.75 फीसदी तक थी.
अगस्त महीने के अंत में खबर आई थी कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों को देखते हुए केंद्र सरकार इस दिशा में कोई बड़ा फैसला ले सकती है. सूत्रों के हवाले से बताया गया था कि सोयाबीन किसानों की मदद करने के मकसद से केंद्र सरकार वनस्पति तेलों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने पर विचार कर रही है. वनस्पति तेल ब्रोकरेज फर्म सनविन ग्रुप के सीईओ संदीप बाजोरिया ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से कहा, 'लंबे समय के बाद सरकार उपभोक्ताओं और किसानों दोनों के हितों में संतुलन बनाने का प्रयास कर रही है.'
उन्होंने कहा कि इस कदम से किसानों को सोयाबीन और रेपसीड की फसल के लिए सरकार की तरफ से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलने की संभावना बढ़ गई है. घरेलू सोयाबीन की कीमतें लगभग 4,600 रुपये (54.84 डॉलर) प्रति 100 किलोग्राम हैं, जो राज्य द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य 4,892 रुपये से कम है. भारत अपनी वनस्पति तेल की 70 फीसदी से से ज्यादा की मांग आयात के जरिये से पूरी करता है. यह मुख्य तौर पर इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से पाम तेल खरीदता है, जबकि यह अर्जेंटीना, ब्राजील, रूस और यूक्रेन से सोया तेल और सूरजमुखी तेल आयात करता है.
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