Apple Farmers Demand GST Waiver: सेब उत्पादक किसान खराब मौसम और बागवानी की बढ़ती लागत से जूझ रहे हैं. ऐसे में इन्हें आगामी बजट से कई उम्मीदें है. सेब किसानों का दावा है कि पिछले कुछ साल में उनका प्रोफिट मार्जिन में खासी कमी हुई. इन समस्याओं से जूझ रहे सेब उत्पादकों ने कीटनाशक, खाद, मशीनरी आदि पर लगने वाले जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) को माफ करने या घटाकर सबसे कम टैक्स वाली जीएसटी स्लैब लागू करने की मांग कर रहे हैं.
‘दि ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रोग्रेसिव ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष लोकिंदर बिष्ट ने सेब उत्पादक किसानों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि लाभ मार्जिन घटने के कारण सरकार को कीटनाशक, खाद, कृषि मशीनरी जैसी चीजों पर से जीएसटी हटा देना चाहिए. अगर ऐसा भी नहीं कर सकते तो इन्हें सबसे कम जीएसटी स्लैब वाली में रखना चाहिए, ताकि सेब उत्पादकों की कुछ मदद हो सके.
फल, सब्जी और फूल उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने भी लोकिंदर बिष्ट के बयान पर सहमति जताते हुए कहा कि खेती-बागवानी इनपुट में जीएसटी को माफ करने या सबसे कम टैक्स स्लैब में लाए जाने से उत्पादकों को बड़ी राहत मिलेगी.इसके अलावा, उत्पादक लंबे समय से चली आ रही मांग को लेकर मुखर नजर आ रहे हैं.
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उनका कहना है कि केंद्र को सेब पर आयात शुल्क बढ़ाना चाहिए, ताकि भारत के सेब उत्पादकों को थोड़ी राहत मिल सके. सेब उत्पादक वर्तमान आयात शुल्क जो कि 50 प्रतिशत है, को बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने की मांग कर रहे है. उनका कहना है कि 50 प्रतिशत आयात शुल्क से लोकल उत्पादक प्रभावित हो रहे है. इसके पीछे ईरान और तुर्की जैसे देशों से कम कीमतों पर आयात होने वाले सेब है.
बिष्ट ने सरकार से सेब को विशेष श्रेणी का दर्जा देने की मांग करते हुए इसपर आयात शुल्क 100 प्रतिशत करने का आग्रह किया है. अगर सरकार यह भी नहीं कर सकती तो सरकार को सेब की न्यूनतम कीमत 50 रुपये से बढ़ाकर 100 रुपये कर देना चाहिए, ताकि स्थानीय उत्पादक ईरान और तुर्की से आने वाले सस्ते सेब के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें. केंद्र सरकार ने न्यूनतम आयात मूल्य 50 रुपये निर्धारित किया है, लेकिन उत्पादकों का कहना है कि इससे उनकी मदद नहीं हुई है. इसके अलावा, उत्पादकों ने केंद्र से मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (एमआईएस) के लिए पर्याप्त बजट आवंटन की मांग उठाई है. MIS के तहत, राज्य तय कीमतों पर उत्पादकों से सेब, आम और सिट्रस फल खरीदती हैं.
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