भारत के खिलाफ जाकर पाकिस्तान का समर्थन करना तुर्की को भारी पड़ा है. खासकर व्यापार की दृष्टि से. भारत के कारोबारी तुर्की के विरोध में खुलकर खड़े हो गए हैं. कई सामानों का आयात-निर्यात ढीला कर दिया गया है. तुर्की से बड़े पैमाने पर सेब का आयात होता है. उस आयात को या तो बंद कर दिया गया है. या उसकी मात्रा बहुत कम हो गई है. इसी में नागपुर के सेब व्यापारी भी हैं जिन्होंने तुर्की का सेब मंगाना बंद कर दिया है. यहां तक कि बाजारों में ग्राहक भी तुर्की का सेब नहीं खरीद रहे हैं.
भारत-पाकिस्तान के बीच चले युद्ध में तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन किया था. तुर्की के इस फैसले के बाद देशभर में आक्रोश फैल गाया है. तुर्की से अब सेब नहीं मंगाने के पीछे व्यापारी ये तर्क दे रहे हैं कि युद्ध के बाद ग्राहकों में तुर्की के सेब की डिमांड न के बराबर है. खुदरा व्यापारी भी तुर्की का सेब बड़े व्यापारियों से नहीं खरीद रहे हैं. इसके पीछे तर्क यही दिया जा रहा है कि दुश्मन को समर्थन देने वाले तुर्की को आर्थिक रूप से चोट पहुंचाई जाए. इस बात की जानकारी नागपुर के व्यापारी सचिन केथवास ने दी.
विदेशी फलों का व्यापार करने वाले व्यापारी सचिन ने बताया कि व्यापारियों के साथ आम जनता ने भी तुर्की का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है. लोगों ने तुर्की का सेब खाना बंद कर दिया है. इसकी डिमांड काफी कम हो गई है. खुदरा व्यापारियों ने बड़े व्यापारियों से इसकी खरीदारी भी बंद कर दी है. बड़े व्यापारियों ने अब तुर्की का सेब खरीदने का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है. अभी व्यापारियों ने इटली, वाशिंगटन, चिली न्यूजीलैंड, साउथ अफ्रीका सेब मांगना शुरू कर दिया है.
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सचिन केथवास ने कहा, तुर्की को लेकर पब्लिक में काफी आक्रोश है. वे चाहते हैं कि तुर्की का सेब ना खाएं. इससे तुर्की के से की डिमांड काफी गिर गई है. सचिन ने बताया कि थोड़े बहुत सेब उनके कोल्ड स्टोर में हैं, लेकिन वह बिक नहीं रहा है. अब इसे मांगना पूरी तरीके से बंद कर दिया गया है और व्यापारियों ने फैसला लिया है तुर्की से सेब नहीं मंगाएंगे.
सचिन केथवास वो व्यापारी हैं जो महाराष्ट्र के विदर्भ के साथ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे तमाम राज्यों में सेब का व्यापार करते हैं. सचिन ने बताया कि जैसे ही लोगों को पता चला कि तुर्की पाकिस्तान के समर्थन में खड़ा है, तो लोगों ने उस देश के सेब नहीं के बराबर खाना शुरू कर दिया. बाजार में उसकी डिमांड ना के बराबर है. व्यापारियों से मिली जानकारी के अनुसार एक लाख मीट्रिक टन से भी ज्यादा सेब का आयात तुर्की से होता है. लेकिन अब इसमें बहुत कमी आई है.
तुर्की का यह बहिष्कार पूरे देश में देखा जा रहा है. एशिया की सबसे बड़ी दिल्ली की आजादपुर मंडी में भी तुर्की के सेब का विरोध हो रहा है. व्यापारियों ने वहां का सेब मंगाना बंद कर दिया है. इसी तरह गाजियाबाद की साहिबाबाद मंडी में भी तुर्की के सेब का आयात बंद कर दिया गया है.
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हालांकि भारत से तुर्की को होने वाला निर्यात अभी जारी है. अप्रैल-फरवरी 2025-25 तक भारत ने तुर्की को 5.2 अरब डॉलर की चीजें निर्यात की थीं. जबकि साल 2023-24 में यह आंकड़ा 6.65 अरब डॉलर का था. भारत कुल 437 अरब डॉलर का निर्यात करता है और तुर्की की हिस्सेदारी इसमें सिर्फ 1.5 प्रतिशत है. आयात की बात करें तो अलग-अलग तरह के मार्बल (ब्लॉक और स्लैब), ताजे सेब (करीब 10 लाख डॉलर), सोना, सब्जियां, चूना और सीमेंट, मिनिरल ऑयल (2023-24 में 1.81 अरब डॉलर), केमिकल, नैचुरल या कल्चर्ड मोती, लोहा और स्टील आयात किया जाता है.(योगेश वसंत पांडे की रिपोर्ट)
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