ब्रोकोली की जैविक खेती से बढ़ी अरुणाचल की इस महिला किसान की कमाई, पत्ती बेचकर भी कमाए पैसे

ब्रोकोली की जैविक खेती से बढ़ी अरुणाचल की इस महिला किसान की कमाई, पत्ती बेचकर भी कमाए पैसे

ओटोक नोपी तग्गू एक किसान महिला हैं. वह अरुणाचल प्रदेश के अपर सियांग जिले की रहने वाली हैं. ओटोक ने स्कूल छोड़ खेती करने का फैसला लिया था. वह पिछले 10-15 वर्षों से विभिन्न कृषि और बागवानी फसलों की सफलतापूर्वक खेती कर रही हैं.

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ब्रोकोली की जैविक खेती से बढ़ी अरुणाचल की इस महिला किसान की कमाई, पत्ती बेचकर भी कमाए पैसेब्रोकोली की जैविक खेती

आज के समय में बढ़ती महंगाई के कारण हर कोई अधिक आय अर्जित करना चाहता है. जिसके कारण वे नौकरी के अलावा कई अन्य काम भी करते हैं ताकि लाभ कमा सकें. ऐसे में खेती एक बेहतर विकल्प के रूप में उभरती हुई नजर आ रही है. कई लोग खेती को अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति को भी सुधार रहे हैं. यह एक ऐसा काम है जिसकी मांग हमेशा बनी रहती है. ऐसे में कई लोग अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए आज के समय में खेती करते नजर आते हैं. इसी कड़ी में आज हम एक ऐसी महिला की बात करेंगे जो ब्रोकोली की जैविक खेती कर अच्छा लाभ कमा रही है.

केवीके की मदद से शुरू की खेती

ओटोक नोपी तग्गू एक किसान महिला हैं. वह अरुणाचल प्रदेश के अपर सियांग जिले की रहने वाली हैं. ओटोक ने स्कूल छोड़ खेती करने का फैसला लिया था. वह पिछले 10-15 वर्षों से विभिन्न कृषि और बागवानी फसलों की सफलतापूर्वक खेती कर रही हैं और खुद को जिले में एक प्रसिद्ध प्रगतिशील किसान महिला के रूप में स्थापित कर चुकी हैं. केवीके, अपर सियांग के मार्गदर्शन में, उन्होंने पिछले ढाई वर्षों से ब्रोकोली की जैविक खेती शुरू की. इससे उनकी आय में कई गुना बढ़त हुई है.

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उपज और मुनाफा

उन्होंने केवीके, अपर सियांग, अरुणाचल प्रदेश द्वारा आयोजित ब्रोकोली खेती के तरीकों पर प्रशिक्षण प्राप्त किया और ब्रोकोली की नर्सरी बढ़ाने पर एक प्रदर्शन में भाग लिया. उन्हें प्रोत्साहित करने और समर्थन देने के लिए, केवीके ने अन्य सामग्रियों के साथ ब्रोकोली किस्म (सोलन ग्रीन) के बीज प्रदान किए. वैज्ञानिक नियमित रूप से ओटोक के खेत का दौरा करते थे उन्हें 3.35 लाख की उपज मिली और 3.35 बीसीआर के साथ 1.74 लाख रुपये का शुद्ध लाभ कमाया. 

पत्तियां बेच कमा रही मुनाफा

उन्होंने ब्रोकोली को 50 रुपये प्रति किलो और पत्तियों को 20 रुपये प्रति गुच्छा बेचा.  ओटोक ने कहा कि बेहतर उत्पादन के कारण उनकी आय में वृद्धि हुई है. ब्रोकोली न केवल स्वादिष्ट होती है बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं. इसलिए, बाजार में ब्रोकोली की मांग भी लगातार बढ़ रही है. इससे पता चलता है कि अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले में ब्रोकोली की खेती की संभावना है क्योंकि यह आर्थिक रूप से लाभदायक है और किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकते हैं.

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ब्रोकोली की खेती के लिए जलवायु

ब्रोकोली की खेती के लिए 18 से 23 डिग्री के बीच का तापमान सबसे अच्छा माना जाता है. इसकी खेती के लिए ठंडी जलवायु अच्छी मानी जाती है. ब्रोकोली को उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में सर्दियों के मौसम में यानी सितंबर के मध्य से फरवरी तक उगाया जा सकता है. वैसे तो ब्रोकोली की खेती कई तरह की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन बलुई दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए बहुत अच्छी होती है. इसकी पौध सितंबर के मध्य से नवंबर की शुरुआत तक तैयार की जा सकती है.

ब्रोकोली की उन्नत किस्में

ब्रोकोली की मुख्य रूप से तीन किस्में होती हैं, सफ़ेद, हरी और बैंगनी. इनमें से हरी किस्में लोगों को ज़्यादा पसंद आती हैं. नाइन स्टार, पेरेनियल, इटैलियन ग्रीन स्प्राउटिंग या सेलेब्रस, बाथम 29 और ग्रीन हेड ब्रोकोली की मुख्य किस्में हैं. इसकी संकर किस्मों में मुख्य रूप से पाइरेट पैक, प्रीमियम क्रॉप, क्लिपर, क्रूजर, स्टिक और ग्रीन सर्फ शामिल हैं.

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