इस साल भी फरवरी में गर्मी ने अपने तेवर दिखाएं हैं. फरवरी में ही उत्तर भारत के कई शहरों का तापमान सामान्य से अधिक दर्ज किया गया है. ऐसे में चिंता जताई जा रही थी कि इस साल भी समय से पहले पड़ रही गर्मी से गेहूं की फसल को नुकसान पहुंच सकता है. ऐसी संभावनाओं के मद्देनजर कृषि व किसान कल्याण विभाग ने पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में गेहूं की फसल पर गर्मी के असर को लेकर एक मॉनटिरिंंग कमेटी बनाई थी. कमेटी ने अपनी आकलन संबंधी रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कमेटी ने कहा कि फरवरी में बढ़ी गर्मी का असर गेहूं की फसल पर नहीं पड़ा है और गेहूं की फसल सामान्य है.
असल में गेहूं की फसल की स्थिति की निगरानी के लिए कृषि और किसान कल्याण विभाग (डीए एंड एफडब्ल्यू) द्वारा गठित समिति की एक बैठक हाल ही में आईसीएआर- भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल में आयोजित की गई थी. बैठक में आईएमडी, आईसीएआर, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू), प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ डीए एंड एफडब्ल्यू के अधिकारियों ने भाग लिया. गेहूं की फसल की स्थिति को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश राज्यों द्वारा प्रस्तुत किया गया और विस्तार से चर्चा की गई, जो कि गेहूं के क्षेत्रफल का 85% से अधिक है.
समिति ने आकलन किया कि आज की तारीख में सभी प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में गेहूं की फसल की स्थिति सामान्य है. आईसीएआर और एसएयू के गहन प्रयासों के कारण, बड़ी संख्या में टर्मिनल हीट स्ट्रेस सहिष्णु किस्मों का विकास किया गया और अब 50% से अधिक के अनुमानित क्षेत्र में खेती की जा रही है, विशेष रूप से उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र में. इसके अलावा, हरियाणा और पंजाब में लगभग 75% क्षेत्र जल्दी और समय पर बुवाई की स्थिति में है और इसलिए, जल्दी बुवाई वाले फसल क्षेत्र मार्च के महीने में गर्मी की स्थिति से प्रभावित नहीं होंगे.
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आईसीएआर-सीआरआईडीए, हैदराबाद में स्थित अखिल भारतीय समन्वित कृषि मौसम विज्ञान अनुसंधान परियोजना (एआईसीआरपीएएम) के सहयोग से आईएमडी जिला कृषि मौसम विज्ञान इकाइयों (डीएएमयू) के एक नेटवर्क के माध्यम से सप्ताह में दो बार मंगलवार और गुरुवार को कृषि सलाह जारी कर रहा है, जो पूरे केवीके का हिस्सा हैं. आईसीएआर- भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल उन किसानों को आवश्यक फसल-विशिष्ट सलाह प्रदान करता है जो या तो केवीके से मोबाइल ऐप या राज्य कृषि विभागों के माध्यम से जुड़े हुए हैं.
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में, फ़सल की स्थिति की निगरानी के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के संबंधित विभागों और मंत्रालयों को शामिल करते हुए हर सप्ताह फ़सल मौसम निगरानी समूह की बैठकें आयोजित की जाती हैं.
यह भी निर्णय लिया गया कि आईसीएआर/एसएयू के साथ केंद्र और राज्य सरकारों की सभी विस्तार एजेंसियों को नियमित रूप से किसानों के खेतों का दौरा करना चाहिए और जहां भी गर्मी के तनाव की स्थिति होती है, वहां किसानों को समय पर परामर्श देना चाहिए.
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