देश के कुल धान एरिया में से करीब 60 फीसदी में रोपाई और बुवाई हो चुकी है. लेकिन सभी किसानों के खेत में फसल अच्छी नहीं है. इसलिए पूसा के वैज्ञानिकों ने एक एडवाइजरी जारी की है. इसमें बताया गया है कि धान की फसल में यदि पौधों का रंग पीला पड़ रहा हो तो क्या करें. पौधे की ऊपरी पत्तियां पीली हों और नीचे की हरी हों तो इसके लिए जिंक सल्फेट (हेप्टा हाइडेट्र 21%) 6.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 300 लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे करें. इससे समस्या दूर हो सकती है.
एडवाइजरी में कहा गया है कि बारिश के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए किसान किसी प्रकार का छिड़काव न करें. दलहनी फसलों, खड़ी फसलों, सब्जी नर्सरियों में पानी निकासी का मैनेजमेंट करें. किसानों को सलाह है कि बाजरा, मक्का, सोयाबीन व सब्जियों में खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई का काम जल्दी करें. फसलों में सफेद मक्खी तथा चूसक कीटों की नियमित निगरानी करें, क्योंकि ये सब आपकी मेहनत पर पानी फेर देंगे.
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यह समय चारे के लिए ज्वार की बुवाई करने के लिए सही है. किसान पूसा चरी-9, पूसा चरी-6 या अन्य संकर किस्मों की बुवाई कर सकते हैं. बीज की मात्रा 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर चाहिए होगी. जिन किसानों की टमाटर, हरी मिर्च, बैंगन व अगेती फूलगोभी की पौध तैयार है, वे मौसम को ध्यान में रखते हुए रोपाई ऊथली क्यारियों पर करें. इस मौसम में किसान ग्वार (पूसा नव बहार, दुर्गा बहार), मूली (पूसा चेतकी), लोबिया (पूसा कोमल), भिंडी (पूसा ए-4), सेम (पूसा सेम 2, पूसा सेम 3), पालक (पूसा भारती), चौलाई (पूसा लाल चौलाई, पूसा किरण) आदि फसलों की बुवाई ऊंची मेंड़ों पर कर सकते हैं.
एडवाइजरी में कहा गया है कि किसान वर्षाकालीन प्याज की पौध की रोपाई इस समय कर सकते हैं. इस मौसम में किसान स्वीट कॉर्न (माधुरी, विन ऑरेंज) तथा बेबी कॉर्न (एच एम-4) की बुवाई कर सकते हैं. कद्दूवर्गीय एवं अन्य सब्जियों में मधुमक्खियों का बड़ा योगदान है क्योंकि, वे परागण में सहायता करती है इसलिए जितना संभव हो मधुमक्खियों के पालन को बढ़ावा दें.
कीड़ों एवं बीमारियों की निरंतर निगरानी करते रहें. कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क रखें व सही जानकारी लेने के बाद ही दवाईयों का प्रयोग करें. किसानों को यह भी सलाह दी गई है कि वे अपने खेतों के किसी एक भाग में बारिश के पानी को इकट्ठा करने की व्यवस्था करें, जिसका उपयोग वे बारिश न आने के दौरान फसलों की उचित समय पर सिंचाई के लिए कर सकते हैं.
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