Crop Study: खरीफ के सीजन ने किसानों को किया तबाह, 60 फीसदी ज्‍यादा बारिश से फसलें चौपट

Crop Study: खरीफ के सीजन ने किसानों को किया तबाह, 60 फीसदी ज्‍यादा बारिश से फसलें चौपट

साल 2025 के मॉनसून सीजन के प्रभाव पर एक इंटर्नल रिपोर्ट जारी की गई है. एक स्‍टडी रिपोर्ट में देश के प्रमुख कृषि राज्यों में बड़े स्‍तर पर हुए फसल नुकसान, पोषक तत्वों का बहना यानी न्यूट्रिएंट लीचिंग और किसानों की आर्थिक परेशानियों को सामने लाया गया है. साउथ वेस्‍ट मॉनसून की वजह से मई से लेकर अक्टूबर तक अनियमित और लगातार बारिश मुसीबत बन गई.

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Crop Study: खरीफ के सीजन ने किसानों को किया तबाह, 60 फीसदी ज्‍यादा बारिश से फसलें चौपट farmers monsoon

देश के अलग-अलग हिस्‍सों जैसे दिल्‍ली-एनसीआर, राजस्‍थान, उत्तर प्रदेश और महाराष्‍ट्र तक फल और सब्जियों की कीमतों में तेजी से इजाफा हुआ है. टमाटर से लेकर केला और संतरा तक सब-कुछ फिलहाल महंगा हो चुका है. वहीं अब एक रिसर्च में इस बात का पता लगा है कि फल और सब्जियों के दामों में तो तेजी से इजाफा हो रहा है लेकिन किसानों को उसका फायदा नहीं मिल पा रहा है. किसानों की स्थिति इतनी खराब है कि वो फसल की लागत तक नहीं निकाल पा रहे हैं. इस स्‍टडी में कंज्‍यूमर्स के अलावा किसानों की भी उन तकलीफों का जिक्र किया गया है जो साउथ-वेस्‍ट मॉनसून के चलते पैदा हुई हैं. 

खरीफ रहा सबसे खराब सीजन 

ट्रांसवर्ल्ड फर्टिकेम लिमिटेड जो फसल पोषण और पौधों की रिकवरी से जुड़े सॉल्‍यूशंस मुहैया कराती है, उसकी तरफ से हाल ही में एक स्‍टडी हुई है. इस कंपनी की तरफ से साल 2025 के मॉनसून सीजन के प्रभाव पर एक इंटर्नल रिपोर्ट जारी की गई है. इस स्‍टडी रिपोर्ट में देश के प्रमुख कृषि राज्यों में बड़े स्‍तर पर हुए फसल नुकसान, पोषक तत्वों का बहना यानी न्यूट्रिएंट लीचिंग और किसानों की आर्थिक परेशानियों को सामने लाया गया है. कंपनी की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि फील्ड सर्वे, डीलर्स के रिएक्‍शंस और एग्रोनॉमिस्ट्स के बयानों के आधार पर तैयार की गई इस रिव्‍यू रिपोर्ट से पता लगता है कि साल 2025 का खरीफ सीजन हाल के वर्षों में सबसे ज्‍यादा परेशानियों का सामना करने वाला सीजन रहा है. 

केला, अंगूर, टमाटर सब बर्बाद 

रिपोर्ट के अनुसार, साउथ वेस्‍ट मॉनसून की वजह से मई से लेकर अक्टूबर तक अनियमित और लगातार बारिश मुसीबत बन गई. महाराष्‍ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात, बिहार और उत्तर भारत के कई जिलों में मॉनसून के इस दौर में सामान्य से 25 से 60 फीसदी ज्‍यादा बारिश दर्ज की गई. इससे खेतों और बागवानी फसलों में जलभराव, फूल गिरना, फफूंद संक्रमण, कीट प्रकोप और गंभीर तनाव जैसी समस्याएं पैदा हुईं. स्‍टडी के मुताबिक महाराष्‍ट्र के अंगूर उत्पादक क्षेत्रों, जिनमें नासिक भी शामिल है, में उत्पादन में करीब 50 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई. इससे संभावित नुकसान 3,500 करोड़ रुपये से ज्‍यादा होने का अनुमान है. कुछ इलाकों में यह गिरावट लगभग 70 प्रतिशत तक देखी गई. नांदेड़ में 6.48 लाख हेक्टेयर से अधिक फसलों को नुकसान पहुंचा, जिसके लिए राज्य राहत मानकों के तहत 553.48 करोड़ रुपये मंजूर किए गए. 

रबी का सीजन भी मुश्किल में 

महाराष्‍ट्र, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश के किसानों ने बताया कि टमाटर की मंडी कीमतें सामान्यतः 25-30 रुपये प्रति किलो के स्तर के मुकाबले घटकर 5-15 रुपये प्रति किलो रह गईं. इस बात का भी जिक्र है कि प्रमुख केला उत्पादक क्षेत्रों में कीमतें 1.5-3 रुपये प्रति किलो तक गिर गईं. इसके बाद तटीय आंध्र प्रदेश में चक्रवात ‘मोंथा’ के कारण तो स्थिति बद से बदतर हो गई. रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि लंबे चले इस मॉनसून का असर रबी सीजन तक जारी रहेगा. अक्टूबर के अंत तक लगातार हुई बारिश के कारण खेतों में गाद भरने और जलभराव से अगले सीजन के लिए जमीन तैयार करने में देरी हुई है. इससे रबी की बुवाई धीमी रहने, खरीफ उत्पादन में कमी आने, खाद्यान्न भंडार घटने और आने वाले महीनों में महंगाई बढ़ने की आशंका जताई गई है. 

गुजर-बसर भी बना चुनौती  

ट्रांसवर्ल्ड फर्टिकेम लिमिटेड के एजीएम वरुण कंधारी ने बताया कि कई जिलों के डीलर्स और किसानों काफी परेशान हैं. वो सिर्फ खराब फसलों को लेकर ही नहीं, बल्कि इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि कि वे आने वाले महीनों में गुजारा कैसे होगा. उन्‍होंने बताया कि जब खेती से जुड़ी खरीदारी धीमी हो जाती है और बाजार में कीमतें गिर जाती हैं, तो पूरे इकोसिस्टम पर बहुत ज्‍यादा दबाव आ जाता है. कंपनी ने प्रभावित जिलों में टारगेटेड एड प्रोग्राम शुरू किए हैं. इनमें पोषक तत्वों की कमी के बाद फसलों को पुनर्जीवित करने के लिए ‘रैपिड रीबाउंड न्यूट्रिशन’ किट, मिट्टी और पानी की जांच के आधार पर न्यूट्रिएंट एडजस्टमेंट रणनीतियां, और किसानों की कम हुई खरीद के कारण प्रभावित डीलरों के लिए क्रेडिट अवधि बढ़ाना शामिल है.

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