राज्य सरकार की सख्ती का असर अब जमीन पर दिखे लगा है. हरियाणा में इस साल पराली जलाने के मामले में 37 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. प्रदेश में 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच पराली जलाने की कुल 2303 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 3661 था. खास बात यह है कि इस साल सबसे ज्यादा 579 मामले फतेहाबाद में सामने आए हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा के अलावा पंजाब में भी गिरावट देखी गई है. यहां पर पराली जलाने के मामले में 26.5 प्रतिशत की कमी आई है. इस साल पंजाब में पराली जलाने के कुल 36,663 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि साल 2022 में इसी अवधि के दौरान कुल 49,922 मामले सामने आए थे.
वहीं, कृषि महानिदेशक नरहरि बांगर का कहना है कि सरकार के उचित कदम की वजह से पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है. उनकी माने तो हरियाणा सरकार ने किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी और कस्टम हायरिंग सेंटरों (सीएचसी) को 80 प्रतिशत सब्सिडी पर फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी उपलब्ध कराई. इससे किसानों को काफी फायदा हुआ. उन्होंने पराली जलना छोड़ दिया. साथ ही पराली किसानों के लिए कमाई का जरिया भी बन गया.
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उन्होंने कहा कि साल 2022-23 में कुल 80,071 सीआरएम मशीनें सब्सिडी पर उपलब्ध कराई गईं, जबकि इस साल 11,007 सीआरएम मशीनें किसानों ने सब्सिडी पर खरीदी हैं. अधिकारियों ने बताया कि गांठें बनाने और बेचने वाले किसानों की संख्या भी इस साल बढ़ी है. इसके अलावा, किसानों को उनके उत्पादन के निपटान में मदद करने के लिए हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी को भी शामिल किया गया था.
खास बात यह है कि इस साल हरियाणा ने पहली बार राज्य में 2.5 लाख एकड़ भूमि के लिए पूसा डीकंपोजर प्रदान किया. इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद पुलिस की दंडात्मक कार्रवाई भी की गई, जिसमें उन्हें पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए जवाबदेह ठहराया गया था. हरियाणा ने पराली के लिए समर्थन मूल्य तय करने के अलावा इस समस्या पर अंकुश लगाने के लिए किसानों के साथ-साथ पंचायतों को भी प्रोत्साहित किया है. जानकारी के मुताबिक, राज्य पुलिस ने 185 शिकायतें दर्ज की हैं. दोषी किसानों पर 46.90 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और 1,782 चालान जारी किए हैं. हालांकि, प्रभावित क्षेत्रों में आग बुझाने के लिए कुल 49 फायर टेंडरों को लगाया गया था.
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