चक्रवाती तूफान मिचौंग के कारण ओडिशा के तटीय जिलों में हुई भारी बारिश के कारण फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है. सूबे के विभिन्न जिलों में धान के अलावा सब्जी और बागवानी फसलों को भी बेमौसम हुई बारिश के कारण क्षति पहुंची है. यह नुकसान ऐसे समय में हुआ है जब किसानों की फसल कटाई के लिए तैयार थी. इसे लेकर अब किसान सरकारी मदद के लिए सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की है. ओडिशा के कोरापुट जिले में कॉफी की खेती को भी नुकसान हुआ है. इसे देखते हुए ओडिशा कॉफी ग्रोअर्स एसोसिएशन (ओसीजीए) ने सरकार से आधुनिक सुखाने की तकनीक को अपनाने की सुविधा के लिए सब्सिडी प्रदान करने का आग्रह किया.
किसानों के संगठन के अनुसार, कॉफी बागानों के लिए मशहूर कोरापुट जिले में मंगलवार और बुधवार को बारिश हुई और फसलों को नुकसान पहुंचा है. कॉफी के फसलों को यह नुकसान उस वक्त हुआ है जब फसल कटाई के लिए तैयार थी. इस दौरान हुई बारिश के कारण पके की फलों की गुणवत्ता और बनावट प्रभावित हुई है. कॉफी उत्पादकों के निकाय के उपाध्यक्ष सुजॉय प्रधान ने कहा कि यह कॉफ़ी फलों के पकने का चरम मौसम है. इस मौसम में चक्रवाती तूफान ने कॉफी उत्पादकों को काफी प्रभावित किया है. बेमौसम बारिश के बाद कटाई की गई कॉफी को सुखाना काफी परेशानी वाला काम हो गया है, जिसका सामना हम लगभग हर साल करते हैं. इसके अलावा, गुणवत्ता भी प्रभावित होती है.
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सुजॉय प्रधान ने सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, कॉफी किसानों को हर बार बेमौसम बारिश के कारण नुकसान होता है ऐसे में उन्हें नुकसान से बचाने के लिए ऊंची बेड बनाने के लिए और सोलर ड्रायर के साथ साथ पारदर्शी पॉलीहाउस स्थापित करने के लिए सब्सिडी की मांग करते हैं. ताकि किसान अपने नुकसान को कम कर सकें. उल्लेखनीय है कि भारतीय कॉफी बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी केजी जगदीशा की हाल ही में जिले की यात्रा के दौरान एसोसिएशन द्वारा मांगों का चार्टर औपचारिक रूप से प्रस्तुत किया गया था.
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पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबित वर्तमान में, कोरापुट में 3,500 हेक्टेयर से अधिक कॉफी बागान हैं, जिसमें लगभग 4,300 उत्पादक शामिल हैं. कॉफी बोर्ड, कोरापुट के वरिष्ठ संपर्क अधिकारी, उपेंद्र कुमार साहा ने कहा फलों को सुखाने की पॉलीहाउस विधि के बारे में जानने के लिए जिले के कॉफी उत्पादकों के लिए एक्सपोज़र विजिट आयोजित करने की योजना है, उनके समक्ष एसोसिएशन ने अपनी मांग रखी है. उन्होंने स्वीकार किया की कटाई के मौसम में बेमौसम बारिश से कॉफी के फलों की गुणवत्ता प्रभावित हुई है.
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