राजधानी जयपुर में चल रहे मसाला मेले में लोगों का जबरदस्त रुझान देखने को मिल रहा है. मेले में अब तक लोगों ने 1.20 करोड़ रुपये के मसाले खरीद लिए हैं. सहकारिता उपभोक्ता भंडार जैसे कोटा, राजसमंद, नागौर, जोधपुर, भरतपुर, अजमेर, बीकानेर, बारां, जैसलमेर क्षेत्रों में उत्पादित होने वाले मसालों को उचित मूल्य पर मेले में उपलब्ध कराया जा रहा है. मेले की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें सिर्फ सात दिन में ही 1.20 करोड़ रुपये से अधिक के मसाले बेचे जा चुके हैं. रोजाना सैंकड़ों की संख्या में ग्राहक मेले में पहुंच रहे हैं.
मेले में राजस्थान के अलग-अलग जिलों की प्रसिद्ध चीजें उपलब्ध कराई जा रही हैं. इनमें भीलवाड़ा उपभोक्ता भंडार पर 20 प्रकार के आचार सभी का ध्यान खींच रहे हैं. इनमें प्रमुख रूप से केरी, नीबू का मीठा आचार, आमछुन्दा, लहसुन, केर सांगरी, केर गुन्दा, हरी मिर्च, गुन्दा, हल्दी सहित अन्य प्रकार के आचार अलग-अलग रेसिपी में मिल रहे हैं.
वहीं, मेले में नागौर की कसूरी मैथी, जोधपुर एवं जैसलमेर की स्टॉल्स पर केर सांगरी, भरतपुर की स्टॉल्स पर पंछी का पेठा, दालमोठ, भुसावार का आचार, हींग, उपभोक्ताओं द्वारा विशेष रूप से पसंद की जा रही है.
मेले में जयपुर के लोग अपनी आवश्यकता के अनुसार मसालों एवं अन्य उत्पादों की खरीद कर रहे हैं. रोजाना औसतन 18 से 20 लाख रुपये की बिक्री दर्ज की जा रही है और सात दिन में 1.20 करोड़ से अधिक मूल्य के मसालों की बिक्री हो चुकी है. उपभोक्ताओं को रोजाना लकी ड्रा भी निकाला जा रहा है.
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उपभोक्ता संघ के महाप्रबंधक अनिल कुमार ने बताया मेले में लोगों को बूंदी एवं बारां का चावल जिसे राजस्थान का बासमती चावल भी कहा जाता है, बहुत लुभा रहा है. गृहणियां विशेष तौर बूंदी के इस बासमती चावल की खरीददारी कर रही हैं. मेले में केरल से आई मार्कफैड के स्टॉल पर काली मिर्च, इलायची, लोंग, बड़ी इलायची, जावित्री, काजू, दालचीनी सहित केरल राज्य के विशेष उत्पाद लोगों के मन को खूब भा रहे हैं. कॉनफैड़ द्वारा पहली बार जैविक मसालों एवं जैविक कुकीज की बिक्री की जा रही है जिसे लोगों द्वारा बड़ी मात्रा में पसंद किया गया है.
इसके साथ ही उत्तराखंड से सूखे मेवे को खरीदने में लोगों का उत्साह बना हुआ है. इन सूखे मेवों में कीवी, काजू, बादाम, किशमिश, खुरमानी, अंजीर, पिस्ता विशेष आकर्षण के केन्द्र बने हुए है. मेले में अलग-अलग दिनों में राजस्थान की कला एवं संस्कृति को समृद्ध बनाने वाले लोक उत्सव भी आयोजित किये जा रहे हैं.
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