श्रीगंगानगर में होती है सबसे अधिक किन्नू की खेती. फोटो साभार- आजतकराजस्थान में दिन का तापमान 33 डिग्री तक पहुंच गया है. यह हाल तब है जब मार्च महीने की शुरूआत भी नहीं हुई है. इस साल फरवरी का औसत तापमान 26.1 डिग्री है जो कि पिछले पांच में सबसे अधिक है. ऐसे में बागवानी फसलों के लिए ये गर्म मौसम चुनौती बन गया है. इन्हीं बागवानी फसलों में किन्नू ऐसी फसल है जिसकी मांग पूरे देश में है.
साथ ही ये बांग्लादेश में सबसे अधिक निर्यात किया जाता है. इसीलिए बढ़ते तापमान में किन्नू की सही सिंचाई इसे खराब होने से बचा सकती है.
पिछले दो-तीन सालों में फरवरी के अंतिम सप्ताह से मार्च महीने में सामान्य से ज्यादा गर्मी हुई है. बढ़े हुए तापमान का किन्नू के बगीचों में फूल और फल के आकार और मात्रा में प्रतिकूल असर पड़ा है. इससे किन्नू उत्पादन करने वाले किसानों को आर्थिक नुकसान हुआ है. किन्नू राजस्थान के उत्तरी जिले श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ में बड़ी मात्रा में उगाया जाता है.
ये भी पढ़ें- Khadin Special: मजदूर से किसान बने गाजीराम, खड़ीन में खेती से कमा रहे सालाना 12 लाख
श्रीगंगानगर में उद्यान विभाग की सहायक निदेशक प्रीतिबाला कहती हैं, “तेज गर्मी के कारण किन्नू के अधिकांश बगीचों में फल नहीं के बराबर उत्पादित हुआ है. इससे किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. इसीलिए अधिक तापमान से फसलों को बचाने के लिए विभाग हर साल एडवाइजरी जारी करता है. इससे किसानों को पता चलता है कि बढ़ते हुए तापमान से मुकाबला कैसे किया जाए.”
प्रीतिबाला जोड़ती हैं कि फसलों को तेज गर्मी से बचाने के लिए किसान अपने जल स्त्रोतों में पानी रिजर्व रखें. बगीचों में सिंचाई करें. यह सिंचाई एक दिन छोड़कर की जानी चाहिए. साथ ही बगीचों के चारों ओर ऐसे पौधे लगाएं जिनसे गर्म हवाएं अंदर ना आने पाएं. इसके अलावा किन्नू के बगीचों में निराई-गुड़ाई का काम जरूर करें.
ये भी पढ़ें- Khadin special: रेगिस्तान में होने वाली खड़ीन खेती के बारे में जानते हैं! जानें कैसे होती है ये?
वहीं, मार्च महीने में सिंचाई करने के बाद पौधों के नीचे मल्चिंग करें. ये मल्चिंग प्लास्टिक शीट, पराली, चावल या सरसों के भूसे से की जा सकती है.
उद्यान विभाग के मिली जानकारी के अनुसार किन्नू की फसल में एक दिन छोड़कर सिंचाई करनी चाहिए. इसमें एक साल की उम्र के पौधों को फरवरी में प्रति पौधा दो लीटर, मार्च में चार और अप्रैल में छह लीटर पानी की सिंचाई करनी चाहिए. इसी तरह दो साल के किन्नू के पौधों में फरवरी में पांच लीटर, मार्च में आठ और अप्रैल में 13 लीटर पानी की सिंचाई होती है.
तीसरे साल में फरवरी में 10 लीटर, मार्च में 15 लीटर और अप्रैल में 23 लीटर पानी सिंचाई के रूप में देनी चाहिए. वहीं, चार साल की उम्र के किन्नू के पौधों में फरवरी महीने में 22 लीटर, मार्च में 44 और अप्रैल में 52 लीटर प्रति पौधा पानी देनी चाहिए. पांच साल के पौधों में क्रमश 38, 58 और 92 लीटर पानी एक दिन छोड़कर दिया जाता है.
छठे साल में फरवरी महीने में 38 लीटर, मार्च में 58 और अप्रैल में 92 लीटर पानी सिंचाई करनी होती है. इसी तरह सात साल के किन्नू के बगीचे में फरवरी में 58 लीटर, मार्च में 65 लीटर और अप्रैल माह में 100 लीटर पानी प्रति पौधा के हिसाब से सिंचाई करनी होती है.
जिन किन्नू के बगीचों में फूल आ रहा है उनमें किसानों को ड्रिप सिंचाई करने की सलाह दी जा रही है. ड्रिप सिंचाई के माध्यम से ही एक बार कैल्शियम नाइट्रेट 50 ग्राम प्रति पौधा और बोरोन 10 ग्राम प्रति पौधा देना चाहिए. इसके अलावा अगर किसी किसान को कोई समस्या है तो वह उद्यान विभाग के टोल फ्री नंबर पर संपर्क किया जा सकता है.
बीकानेर में किसान ने बिना मिट्टी उगाई घास, अब साल भर पशुओं को खिला रहा हरा चारा
कृषि ड्रोन किसानों के लिए कितना फायदेमंद, देखिए इसके काम करने का पूरा प्रोसेस
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today