पूरे देश में खरीफ सीजन जोरों पर है. अधिकतर जगह बुवाई पूरी हो चुकी है. कुछ जगह थोड़ी बहुत बुवाई बची है. ऐसे में जिन किसानों ने पहली बरसात के बाद ही बुवाई कर दी थी, उनकी फसल में अब फड़का कीट लगने की संभावना है. राजस्थान में फड़का कीट शिशु अवस्था में जयपुर, सीकर व झुंझुनूं जिलों में पहाड़ी क्षेत्रों के आसपास के खेतों एवं खेतों की मेड़ों पर देखा गया है. ऐसे में किसानों को सावधान और जागरूक रहने की जरूरत है. रोग की संभावना को देखते हुए राजस्थान सरकार भी किसानों को चेतावनी जारी कर रही है .
साथ ही कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने अधिकारियों को भी इससे निपटने के निर्देश दिए गए हैं.
कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक खरीफ फसलों में बाजरा और ज्वार में फड़का कीट लगने की संभावनाएं सबसे ज्यादा होती हैं. इसकी वजह से फसलों में काफी नुकसान हो सकता है. फसलों के लिए यह बहुत हानिकारक कीट है. इसीलिए यदि शुरूआत में ही सतर्क रहकर कीट नियंत्रण के उपाय कर लिये जायें तो खरीफ फसलों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है.
कीट का प्रकोप मानसून की बारिश के 15-20 दिन बाद शुरू होता है. इसके निम्फ प्रौढ़ फसलों की पत्तियों और फूलों को खाकर पूरी फसल को खराब या नष्ट करने की क्षमता रखते हैं. इसीलिए इस कीट को शुरू में ही नियंत्रण करना कारगर साबित होता है.
कृषि विभाग ने फड़का कीट नियंत्रण के लिए किसानों से अपील की है. विभाग के अनुसार फड़का कीट को रोशनी की ओर आकर्षित करने के लिए खेत की मेड़ों पर एवं खेतों में गैस लालटेन या का बल्ब जला दें. साथ ही इसके नीचे पानी में मिट्टी के तेल का पांच प्रतिशत मिश्रण परात में रखें ताकि रोशनी पर आकर्षित कीट मिट्टी के तेल मिले पानी में गिरकर नष्ट हो जायें.
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कृषि विभाग के वैज्ञानिक किसानों को देसी तरीकों के अलावा दवाइयां भी सुझा रहे हैं. फड़का कीट का प्रकोप अधिक होने पर कीट की रोकथाम के लिए मैलाथियॉन पांच प्रतिशत चूर्ण या क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण का 25 किग्रा प्रति हैक्टेयर की दर से भुरकाव करें. इसके अलावा किसान क्यूनालफॉस 25 प्रतिशत ईसी 1 लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव कर कीट पर नियंत्रण पा सकते हैं. आवश्यकता होने पर 5-7 दिन बाद दोबारा भुरकाव किया जा सकता है.
मॉनसून के साथ शुरू हुई बरसात में खरीफ फसलों में फड़का कीट फैलने की संभावनाओं को देखते हुए कृषि मंत्री लालचन्द कटारिया ने समय रहते इसे नियंत्रित करने के निर्देश दिये हैं.
उन्होंने कहा है कि कृषि विभाग के अधिकारी और कर्मचारी कीट के प्रकोप से बचाव के लिए सतर्क रहकर पहले से ही तैयारियां करें. कृषि विभाग की ओर से इस कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए नियमित सर्वेक्षण कर आवश्यकतानुसार कार्रवाई की जाए.
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मंत्री कटारिया ने कहा है है कि किसान भी अपने खेतों में किसी भी तरह के कीट से लगने वाले रोगों से बचाव की तैयारी करें. बता दें कि राजस्थान में पौध संरक्षण वाली दवाइयों पर सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है.
कृषि मंत्री ने किसानों से अपील की है कि किसान अपने क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षक या सहायक कृषि अधिकारी से संपर्क कर पौध संरक्षण रसायन पर अनुदान ले सकते हैं. किसानों को पौध संरक्षण रसायन के उपयोग लेने पर उसकी लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 500 रुपये प्रति हैक्टेयर(जो भी कम हो) अधिकतम दो हैक्टर क्षेत्र के लिए अनुदान डीबीटी के माध्यम से दी जाती है.
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