Mustard Sowing: राजस्‍थान में सरसों की बुवाई ने पकड़ी रफ्तार, 84 प्रत‍िशत बढ़ोतरी दर्ज

Mustard Sowing: राजस्‍थान में सरसों की बुवाई ने पकड़ी रफ्तार, 84 प्रत‍िशत बढ़ोतरी दर्ज

राजस्‍थान में रबी सीजन की सरसों की बुवाई ने इस बार जोरदार शुरुआत की है. अब तक 16.84 लाख हेक्‍टयर में बुवाई हो चुकी है, जो पिछले साल से 84% अधिक है. SEA का कहना है कि अच्‍छी मिट्टी नमी, बढ़े बाजार भाव और ऊंचे MSP ने किसानों का रुझान बढ़ाया है.

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Mustard Sowing: राजस्‍थान में सरसों की बुवाई ने पकड़ी रफ्तार, 84 प्रत‍िशत बढ़ोतरी दर्जसरसों की बुवाई में भारी बढ़ाेतरी. (सांकेतिक फोटो)

रबी सीजन की सबसे अहम तिलहनी फसल सरसों की बुवाई ने इस साल राजस्‍थान में जोरदार शुरुआत की है. राज्‍य कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 24 अक्‍टूबर तक राजस्‍थान में सरसों की बुवाई 16.84 लाख हेक्‍टयर क्षेत्र में पूरी हो चुकी है, जो पिछले साल की समान अवधि के 9.12 लाख हेक्‍टयर के मुकाबले करीब 84 फीसदी ज्‍यादा है. यह बढ़त इस बात का संकेत है कि इस सीजन में राजस्‍थान में सरसों की खेती रिकॉर्ड स्‍तर छू सकती है. 

'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्‍य में सरसों की औसत बुवाई क्षेत्रफल पिछले पांच साल (2019-20 से 2023-24) के दौरान 35.22 लाख हेक्‍टयर रहा है, जबकि पिछले रबी सीजन 2024-25 में यह आंकड़ा 33.72 लाख हेक्‍टयर तक पहुंचा था. इस बार सीजन की शुरुआत में ही आधा लक्ष्‍य पार हो जाने से कृषि विशेषज्ञों को उम्‍मीद है कि इस साल सरसों का रकबा पिछले वर्षों से काफी आगे निकल जाएगा.

किसानों का सरसों की ओर क्‍यों हुआ रुझान ?

एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि खेतों में अच्‍छी नमी, जलाशयों में पानी की भरपूर उपलब्‍धता और बाजार में आकर्षक दाम ने किसानों को सरसों की ओर रुख करने के लिए प्रेरित किया है. सॉल्वेंट एक्‍स्‍ट्रैक्‍टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के अनुसार, राजस्‍थान की मंडियों में 24 अक्‍टूबर को सरसों के भाव लगभग 72,000 रुपये प्रति टन रहे, जो पिछले साल के मुकाबले 6.43 फीसदी अधिक हैं.

केंद्र सरकार ने भी किसानों को राहत देते हुए रबी मार्केटिंग सीजन 2026-27 के लिए सरसों का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) 6,200 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जो पिछले साल के मुकाबले 250 रुपये ज्‍यादा है. इससे किसानों में उत्‍साह साफ देखा जा रहा है.

मौसम और सिंचाई की स्थिति अनुकूल

SEA के कार्यकारी निदेशक बी.वी. मेहता ने बताया कि देर से हुई बारिश के कारण मिट्टी में नमी भरपूर है. उत्‍तर और पूर्वी इलाकों में जलाशय भी भरे हुए हैं. अगर मौसम ने साथ दिया तो इस बार सरसों की पैदावार में भी उम्‍मीद से बेहतर बढ़ोतरी हो सकती है. उन्‍होंने कहा, “सोयाबीन की तुलना में सरसों उगाने वाले किसानों को इस साल बेहतर आमदनी हुई है, इसलिए वे अपने खेतों का बड़ा हिस्‍सा सरसों को समर्पित कर रहे हैं.”

सरकारी आंकड़ाें के मुताबिक वर्ष 2023-24 में देश में सरसों का उत्‍पादन 132.59 लाख टन था, जो 2024-25 में घटकर 126.06 लाख टन रह गया, लेकिन इस बार के शुरुआती रुझान बताते हैं कि अगर मौसम अनुकूल रहा तो सरसों की फसल और उत्‍पादन दोनों में शानदार इजाफा देखने को मिलेगा.

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