Climate change: सीताफल पर असर,अच्छी फ्रूटिंग नहीं, इस साल ठेके नहीं हुए

Climate change: सीताफल पर असर,अच्छी फ्रूटिंग नहीं, इस साल ठेके नहीं हुए

राजस्थान में चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ के सीताफल पूरे देश में प्रसिद्ध हैं. लेकिन इस साल सीताफल जलवायु परिवर्तन के असर से गुजर रहा है.  इस साल चित्तौड़गढ़ में सीताफल के बगीचों में ठेके नहीं के बराबर हुए हैं.

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Climate change: सीताफल पर असर,अच्छी फ्रूटिंग नहीं, इस साल ठेके नहीं हुएClimate change की वजह से सीताफल पर असर,अच्छी फ्रूटिंग नहीं, इस साल ठेके नहीं हुए. फोटोः नितिन शिंदे

राजस्थान में चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ के सीताफल पूरे देश में प्रसिद्ध हैं. लेकिन इस साल सीताफल जलवायु परिवर्तन के असर से गुजर रहा है.  इस साल चित्तौड़गढ़ में सीताफल के बगीचों में ठेके नहीं के बराबर हुए हैं. क्योंकि पहले बिपरजॉय के चलते सीताफल में अच्छी फ्रूटिंग हुई, लेकिन बाद में कम बारिश और तेज गर्मी से फल खराब हो गया. सबसे ज्यादा सीताफल उगाने वाला चित्तौड़गढ़ में इस बार इसकी फसल काफी बेकार है. चित्तौड़गढ़ किले में ऊपर सीताफल की खेती होती है. यह पूरी तरह ऑर्गेनिक होती है, लेकिन इस बार किले पर सीताफल की सिर्फ दो लाख रुपये में ठेका हुआ है. पिछली साल यह पांच लाख रुपये का था.

बिगड़े मौसम का असर ना सिर्फ किले के बगीचे बल्कि सीताफल एक्सीलेंस सेंटर और केवीके में मौजूद बगीचे पर भी पड़ रहा है. 

ठेके की राशि घटी, पैदावार पर पड़ेगा असर

चित्तौड़गढ़ में सीताफल के बगीचों के ठेके इस साल 60 प्रतिशत तक कम राशि में हो रहे हैं. क्योंकि किसान सीताफल की पैदावार को लेकर आशंकित हैं. दरअसल, सीताफल सर्दियों का फल है, लेकिन बिपरजॉय के कारण पहले फ्रूटिंग हो गई. हालांकि ये फल पकाव पर आने से पहले ही काले पड़ गए और ना ही इनका पूरी विकास हुआ. दिवाली के आस-पास सीताफल में फल आते हैं. लेकिन इस बार फसल खराब होने से बाजार में बहुत कम मात्रा में ही फल आएंगे. 

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उद्यान विभाग के अनुसार इस साल सीताफल का बाजार इस बार मंदा ही रहेगा. चित्तौड़गढ़ में सीताफल एक्सीलेंस सेंटर पर भी विभाग ने दो साल पहले 31 वैरायटी के 1224 पौधे लगाए थे. इसमें भी इस साल बेहद कम फ्रूटिंग हुई है. हालांकि अगस्त में जो फ्रूटिंग हुई, उनमें से कुछ फल जरूर पकने वाले हैं. लेकिन उत्पादन घटेगा. 

जलवायु परिवर्तन को नहीं समझ पा रहे पौधे

केवीके भीलवाड़ा हैड डॉ. सीएम यादव के अनुसार मौसम में बहुत तेजी से बदलाव हो रहे हैं. इसी साल मार्च, अप्रैल में बिपरजॉय और उसके बाद गर्मी हुई. अगस्त का महीना पूरी तरह से सूखा गया. इससे सीताफल में जल्दी हुई फ्रूटिंग खराब हो गई. पेड़ों की पत्तियां भी सूख गईं. यादव कहते हैं कि एक तरह से पेड़ों को यह बदलाव समझ नहीं आ रहा है.

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सबसे ज्यादा प्रभावित हाइब्रिड सीताफल के पौधे हो रहे हैं. इसीलिए यह देखने में आ रहा है कि जहां पौधों के लिए छाया और अच्छा पानी है, वहां अच्छी फ्रूटिंग भी हो रही है और उत्पादन भी अच्छा आ रहा है. हालांकि अक्टूबर में मौसम विभाग ने तापमान सामान्य से ज्यादा रहने का पूर्वानुमान दिया है. इसीलिए संभव है कि फसल आने के वक्त तक सीताफल और ज्यादा प्रभावित हो. 


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