Rajasthan: यहां खरीफ सीजन शुरू होने से पहले ही ले ली मूंगफली की उपज, पढ़ें ये खबर

Rajasthan: यहां खरीफ सीजन शुरू होने से पहले ही ले ली मूंगफली की उपज, पढ़ें ये खबर

राजस्थान के सिरोही जिले की रेवदर तहसील में कई गांव ऐसे हैं जो खरीफ सीजन शुरू होने से पहले ही खरीफ की एक मुख्य फसल मूंगफली की उपज ले लेते हैं. क्योंकि यहां पानी की व्यवस्था है, इसीलिए किसान फरवरी में मूंगफली बोते हैं और जून में उसकी खुदाई कर लेते हैं. पढ़िए 'किसान के पास किसान तक' सीरीज की ये रिपोर्ट.

Advertisement
Rajasthan: यहां खरीफ सीजन शुरू होने से पहले ही ले ली मूंगफली की उपज, पढ़ें ये खबरसिरोही जिले में अर्ली मूंगफली की उपज ली जाती है. GFX- Pankaj Sharma

राजस्थान में कुछ दिन पहले ही बरसात हुई है. खेतों में जुताई शुरू हो चुकी है. बाजरा, दलहन, मूंगफली, तिलहन फसलें बोई जा रही हैं. किसान खेतों में जमकर मेहनत कर रहे हैं. लेकिन राजस्थान के सिरोही जिले में एक गांव ऐसा भी हैं जहां खरीफ सीजन शुरू होने से पहले ही एक बार मूंगफली की उपज ली जा चुकी है.

यूं तो मूंगफली खरीफ की फसल है, लेकिन इस गांव में पानी की सुविधा होने के कारण प्री-खरीफ में किसान मूंगफली की फसल उगाते हैं. 

किसान तक पहुंचा किसान के पास, जानी अर्ली-खरीफ की बारीकी

किसान के पास किसान तक सीरीज के दौरान मैं सिरोही जिले की रेवदर तहसील के पीथापुरा गांव में पहुंचा. यहां कई सारे खेतों में मैंने थ्रेसर चलते देखा. उमस भरे दिन में बुवाई के वक्त खेतों में थ्रेसर चलते देखना मेरे लिए आश्चर्य था. इसीलिए मैं पहुंच गया इन किसानों के पास. ये रेवदर तहसील का पीथापुरा गांव है. खेत है किसान हीराभाई का. चेहरे पर सनी मिट्टी इन्हें किसान साबित करने के लिए काफी है. काफी देर अपने बारे में समझाने के बाद हीराभाई बात करने को राजी हुए. 

वे बताते हैं, “हमारे गांव पीथापुरा और आसपास के गांव में ट्यूबवैल हैं. पानी की उपलब्धता अच्छी है. इसीलिए रबी फसलों की कटाई के बाद पीथापुरा सहित आसपास के 8-10 गांवों में किसान मूंगफली बो देते हैं. जून के दूसरे या तीसरे सप्ताह तक ये फसल पककर तैयार हो जाती है. इसके बाद ही मॉनसून आता है और फिर खरीफ की बुवाई शुरू कर देते हैं.”

फरवरी में बोते हैं, जून में खोदते हैं मूंगफली

हीराभाई बताते हैं कि क्षेत्र में फरवरी में मूंगफली बोई जाती है. फिर जून में पकाव के बाद मूंगफली खोद ली जाती हैं. इस दौरान चार से पांच बार सिंचाई की जाती है और अच्छी फसल ली जाती है. इसीलिए पीथापुरा और आसपास के किसान गर्मी के मौसम में भी खेतों में दिखाई देते हैं. बारिश के बाद तो व्यस्तता और भी बढ़ जाती है. हीराभाई कहते हैं कि हम साल में दो की बजाय तीन फसलें लेते हैं. 

ये भी पढ़ें- Rajasthan: वन विभाग ऑनलाइन बेच रहा पौधे, देखें नजदीकी नर्सरी, खरीदने के लिए पढ़ें ये खबर

आठ बीघे में 70 बोरी मूंगफली होती हैं पैदा

हीराभाई किसान तक को बताते हैं कि मैंने आठ बीघा में मूंगफली बोई थी. फसल पकने के बाद इन्हें खोद कर थ्रेसर के माध्यम से अलग किया जाता है. आठ बीघे में मुझे करीब 70 बोरी मूंगफली मिलेंगी. बता दें कि मूंगफली की एक बोरी 35 किलो की होती है. फिलहाल भाव 1300-1500 रुपये में 20 किलो का भाव चल रहा है. 

गुजरात में बेचते हैं उपज क्योंकि रेवदर में भाव नहीं मिलता

यहां के किसानों की एक बड़ी समस्या मंडी का नहीं होना है. हीराभाई के साथ खड़े किसान महेन्द्र कहते हैं कि हम अपनी उपज लेकर गुजरात जाते हैं क्योंकि गुजरात की मंडी में भाव भी अच्छा मिलता है और दूरी भी कम है. राजस्थान में बेचने के लिए हमें रेवदर जाना पड़ता है जो करीब 20 किलोमीटर है.

ये भी पढे़ं- Rajasthan: क्या है ARS, बांसवाड़ा में खेती में नवाचारों को कैसे दिया इसने बढ़ावा? 

वहीं, गुजरात यहां से 8-10 किमी ही दूर है. इसके अलावा महेन्द्र बताते हैं कि हमें राजस्थान में कभी एमएसपी नहीं मिलती और ना ही मूंगफली पर एमएसपी के बारे में कोई जानकारी है. बता दें कि पिछले महीने ही केन्द्र सरकार ने साल 2023-24 के लिए खरीफ फसलों के लिए एमएसपी घोषित किया था. जिसमें मूंगफली रेट 6377 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई. यह पिछले साल से 527 रुपये अधिक है. 

POST A COMMENT