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Rajasthan: मोटे अनाजों को बढ़ावा देगी सरकार, इंदिरा रसोई में मिलेगी ज्वार-बाजरे की रोटी

Rajasthan: मोटे अनाजों को बढ़ावा देगी सरकार, इंदिरा रसोई में मिलेगी ज्वार-बाजरे की रोटी

राज्य सरकार मिलेट्स को लोगों तक पहुंचाने के ल‍िए प्रयास कर रही है. इसके लिए राजस्थान सरकार इंदिरा रसोई योजना में बाजरे और ज्वार की रोटी देगी. साथ ही दलिया भी मैन्यू में शामिल किया जा रहा है. इस बदलाव के लिए विभाग ने निर्देश जारी किए हैं.

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राजस्थान में इंदिरा रसोई में मिलेंगी बाजरे और ज्वार की रोटी. फोटो- माधव शर्मा राजस्थान में इंदिरा रसोई में मिलेंगी बाजरे और ज्वार की रोटी. फोटो- माधव शर्मा

साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट ईयर के रूप में मनाया जा रहा है. ऐसे में केंद्र से लेकर सभी राज्य सरकारे मिलेट्स यानी मोटे अनाजों को बढ़ावा दे रही हैं.पिछले दिनों राजस्थान सरकार ने दो दिन का मिलेट्स कॉन्क्लेव का आयोजन किया. अब राज्य सरकार मिलेट को लोगों के खाने से भी जोड़ने जा रही है. इसके लिए राजस्थान सरकार इंदिरा रसोई योजना में बाजरे और ज्वार की रोटी देगी. साथ ही दलिया भी मैन्यू में शामिल किया जा रहा है. इस बदलाव के लिए डीलबी विभाग ने निर्देश जारी किए हैं.

बता दें कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीते महीने बजट में इंदिरा रसोइयों के मैन्यू में मोटे अनाजों को शामिल करने की घोषणा की थी. इसलिए विभाग अगले महीने यानी अप्रैल से आम लोगों तक मोटे अनाज को पहुंचाने के ल‍िए इस योजना पर काम कर रहा है. 

मोटे अनाज शामिल होने से होगा स्वास्थ्य लाभ

इंदिरा रसोई योजना में मोटे अनाज शामिल होने से लोगों को स्वास्थ्य लाभ होगा. क्योंकि मिलेट्स में जरूरी खनिज, जिंक, कैल्शियम और अन्य पोषक तत्व होते हैं. इंदिरा रसोई में मिलेट शामिल होने के बाद खासकर बुजुर्गों को काफी फायदा होने वाला है. 

सीएम ने की थी मिलेट्स जोड़ने की घोषणा

बीते 10 फरवरी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान का बजट पेश करते हुए इंदिरा रसोई, स्कूलों में मिड-डे-मील योजना के तहत बच्चों को मोटे अनाजों की बनी खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने की घोषणा की थी. इसी के तहत अब इंदिरा रसोई योजना में बाजरे और ज्वार की सामग्री शामिल की जा रही है. 

क्या है इंदिरा रसोई योजना

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 20 अगस्त 2020 को इस योजना की शुरूआत की थी. चूंकि उस वक्त कोरोना वायरस का प्रकोप था और प्रवासी लोगों का पलायन बड़ी संख्या में हो रहा है. ऐसे में ‘कोई भी भूखा ना सोए’ की उद्देश्य के साथ योजना को शुरू किया गया था. योजना के तहत सिर्फ आठ रुपये में सुबह और रात का खाना दिया जाता है. इसका फायदा शहरों में रहने वाले प्रवासी मजदूर और अन्य लोग बड़ी संख्या में कर रहे हैं. शुरूआत में प्रदेश की 213 नगरीय निकायों में 358 इंदिरा रसोई खोली गई, लेकिन बाद में इसे 358 से बढ़ाकर एक हजार कर दिया गया. इंदिरा रसोई योजना के तहत 250 करोड़ रुपये से सालाना 9.25 करोड़ थाली भोजन उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है. 

राजस्थान में पैदा होता है 3.75 मिलियन बाजरा

राजस्थान एक शुष्क क्षेत्र है. इसलिए यहां बाजरे का उत्पादन देश में सबसे अधिक है. प्रदेश में पूरे देश का करीब 42 प्रतिशत यानी 3.75 मिलियन टन बाजरे का उत्पादन होता है. अकेले बाड़मेर जिले में करीब 10 लाख हेक्टेयर में बाजरा बोया जाता है और इसका सालाना करीब 500 करोड़ रुपये का बाजरा पैदा होता है. 
 

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