राजस्थान में पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से विभिन्न जिलों में 44 नए वेटलैंड्स घोषित किए गए हैं. अब राज्य में करीब 443 वेटलैंड हो गए हैं. नए घोषित हुए वेटलैंड्स की सीमा में अब किसान खेती नहीं कर सकेंगे. क्योंकि वेटलैंड घोषित होने के बाद इन जलीय जगहों को प्रवासी पक्षियों, वन्यजीवों, वनस्पितयों और जीवों के लिए संरक्षित कर दिए जाते हैं. इन नियमों का उल्लंघन होने पर आद्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियमों के तहत कार्रवाई की जाती है.
पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी है. इसके तहत विभिन्न जिलों में वेटलेंड्स को चिन्हित कर आद्रभूमि (संरक्षण और प्रबन्धन) नियम, 2017 के प्रावधानों के अनुसार ड्राफ्ट अधिसूचना जारी की गई है. इन वेटलेंड्स के संबंध में कोई भी व्यक्ति अपने सुझाव अथवा आपत्तियां 60 दिन के अंदर संयुक्त शासन सचिव, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को दे सकेगा. इस अवधि में प्राप्त सुझावों और आपत्तियों के आधार पर इन 44 वेटलेंड्स के संबंध में अंतिम अधिसूचना जारी की जाएगी.
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पर्यावरण एवं जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव शिखर अग्रवाल ने बताया कि अधिसूचना में वेटलेंड की सीमा और बफर क्षेत्र का जीपीएस विवरण देने के साथ वेटलेंड की सीमा और बफर क्षेत्र में प्रतिबंधित और विनियमित गतिविधियों की सूची संलग्न की गई है. इसके अनुसार वेटलेंड्स की सीमा में खनन कार्य, वाणिज्य कार्यों के लिए पानी का निकास, अपशिष्ट डालना, औद्योगिक गतिविधियां, पोचिंग और काश्तकारी को निषेध किया गया है.ॉ
पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के संयुक्त शासन सचिव ने बताया कि वेटलेंड्स् जंतु ही नहीं बल्कि पौधों की दृष्टि से भी एक समृद्ध तंत्र हैं. जहां उपयोगी वनस्पतियां और औषधीय पौधे भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं. इसीलिए इनके उत्पादन से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
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वेटलेंड्स बाढ़ के दौरान आने वाले ज्यादा पानी को अवशोषित करते हैं. इसी के कारण बाढ़ का पानी इंसानी आबादी में आने से रुकता है. इसीलिए इंसानी आबादी वाले क्षेत्रों में जन और माल हानि नहीं होती. ये क्षेत्र ‘कार्बन अवशोषण’ और ‘भू-जल स्तर में वृद्धि’ जैसी महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वहन कर पर्यावरण संरक्षण में अहम योगदान देते हैं. वेटलैंड्स के आसपास रहने वाले लोगों की आजीविका के लिए भी वेटलेंड्स अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां पाई जाने वाली वनस्पतियां और जीवों से इन लोगों को रोजगार के साधन मुहैया होते हैं.
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