गन्ना किसानों के बकाए पैसे के भगुतान की मांग को लेकर पंजाब के फगवाड़ा जिले में किसानों के संगठन भारती किसान यूनियन (दोआबा) ने चीनी मिल के दरवाजे पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी किसानों ने विरोध के तौर पर चीनी मिल के गेट पर ताला लगा दिया. इसके साथ ही गेट के सामने ही अनिश्चितकाली धरने पर बैठ गए हैं. किसानों का कहना है कि चीनी मिल ने गन्ना उत्पादकों के 43 करोड़ रुपए का भुगतान अब तक नहीं किया है. गन्ना किसानों का यह बकाया पिछले तीन साल से लंबित है इसलिए किसानों ने यहां पर विरोध प्रदर्शन किया और अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. धरना प्रदर्शन में शामिल भारती किसान यूनियन (डी) के अध्यक्ष मंजीत राय ने पीटीआई के मुताबिक कहा कि जब तक किसानों के बकाया राशि का भुगतान नहीं होगा वो मिल के गेट को नहीं खोलेंगे. उनक प्रदर्शन जारी रहेगा.
वहीं संगठन के महासचिव सतनाम सिंह साहनी ने जिला प्रशासन पर मिल मालिकों की संपत्तियों की नीलामी के मुद्दे पर टाल-मटोल करने का आरोप लगाया. इसके साथ ही प्रदर्शन कर रहे किसानों ने मिल मालिक के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने की मांग की. कपूरथला के डिप्टी कमिश्नर करनैल सिंह ने बताया कि पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां ने इस मामले को लेकर कुछ गन्ना किसानों को बैठक के लिए बुलाया है. गौरतलब है कि इसे पहले भी अगस्त महीने में किसानों ने गन्ना उत्पादकों के लंबित भुगतान की मांग करने करते हुए राज्य सरकार पर दबाव बनाने के लिए विरोध प्रदर्शन किया.
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स्थानीय मीडिया की खबरों के अनुसार फगवाड़ा मिल पर सबसे अधिक 43 करोड़ रुपये का बकाय़ा है जो सबसे बड़े बकाएदारों में से एक है इसलिए बकाया भुगतान की मांग कर रहे किसान फगवाड़ा मिल के गेट पर ताला लगाकर धरने पर बैठ गए हैं. यह भी जानकारी मिली है कि 43 करोड़ रुपये में से 36 करोड़ रुपये 2019-20 और 2020-21 पेराई सत्र के हैं. जबकि बाकि बकाया 2021-22 सत्र का है.
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भारती किसान यूनियन (दोआबा) के अध्यक्ष मंजीत राय ने बताया कि लंबित बकाए के भुगतान की मांग को लेकर फगवाड़ा मिल के साथ जारी यह लड़ाई पिछले चार वर्षों से चल रही है. इससे पहले भी कई बार विरोध प्रदर्शन किया गया है, प्रदर्शनों के जरिए प्रशासन और सरकार तक अपनी बात पहुंचना के प्रयास किया गया है पर इसके बावजूद आज तक उनकी दलीलें नहीं सुनी है. साथ ही कहा कि इस बार जो धरना प्रदर्शन हो रहा है उससे अगर किसी को परेशानी होती है इसके जिम्मेदार फगवाड़ा मिल के मालिक और सरकार होंगे.
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