पंजाब में आई भयावह बाढ़ से राज्य की 4 लाख एकड़ से अधिक कृषि भूमि डूब चुकी है, जिससे ना केवल पंजाब बल्कि पूरे देश की भी खाद्य सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है. पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह के अनुसार, प्रारंभिक आकलन के अनुसार, 4 लाख एकड़ से अधिक कृषि भूमि पर खड़ी फसलें जलमग्न हुई हैं, नुकसान का असली आकलन तो बाढ़ का पानी कम होने के बाद ही पता लगेगा. मगर पंजाब की इस बाढ़ में सबसे ज्यादा नुकसान धान की खेती को हुआ है, क्योंकि पंजाब में करीब 30 लाख हेक्टेयर में धान उगाई जाती है.
मगर धान कटाई के मौसम आने को था और उससे कुछ सप्ताह पहले पंजाब में सारे धान के खेत डूब गए. इस विनाश से ना केवल किसानों, बल्कि राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान हुआ है. जानकारों की मानें तो पंजाब में धान की इस क्षति की कीमत साधारण उपभोक्ता को भी चुकानी पड़ेगी.
इस बात में कोई दोराय नहीं कि देश की खाद्य सुरक्षा में पंजाब का योगदान सबसे अहम है. कृषि प्रधान राज्य होने के नाते यह केंद्रीय खाद्य भंडार में योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. चिंता की बात ये है कि पंजाब के सबसे प्रिय और महंगे चावल बासमती को बाढ़ ने भारी नुकसान पहुंचा है. यह चावल अपने लंबे दाने, भरपूर सुगंध और लाजवाब स्वाद के लिए विश्व-प्रसिद्ध है. लेकिन चार दशकों में सबसे भीषण अप्रत्याशित बाढ़ और उसके बाद भारी बारिश ने बासमती की फसलों को इतना नुकसान पहुंचाया है कि उसकी भरपाई करना नामुमकिन है.
अमृतसर, मुक्तसर, फाजिल्का, गुरदासपुर, तरनतारन और कपूरथला जैसे प्रमुख बासमती उत्पादक जिलों में भारी बाढ़ आई है और अमृतसर के अजनाला, रामदास और चोगावान ब्लॉक जैसे क्षेत्रों में 50 प्रतिशत से अधिक कृषि क्षेत्र जलमग्न हो गए हैं. पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के निदेशक अशोक सेठी के मुताबकि, अकेले अमृतसर में लगभग 75,000 एकड़ कृषि भूमि को नुकसान पहुंचा है, जिसमें बासमती धान की फसल सबसे अधिक प्रभावित हुई है.
पड़ोसी गुरदासपुर में भी लगभग 45,000 एकड़ फसल भूमि प्रभावित हुई है. तरणतारण में 25 हजार एकड़ में फसल खराब हुई है और पठानकोट में 10 हजार एकड़ की बासमती धान की फसल खराब हुई है. अशोक सेठी ने बताया कि पूरे पंजाब में लगभग 30 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है और इसमें भी बासमती धान की खेती लगभग 6.5 लाख हेक्टेयर में होती है.
पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के निदेशक अशोक सेठी बताते हैं कि इस बाढ़ से बासमती धान का लगभग 10 फीसदी नुकसान है. मगर जब पानी निकलेगा तब नुकसान की सही तस्वीर सामने आएगी. उन्होंने बताया कि ये धान में दाना लगने की स्टेज थी, मगर पानी इतना है कि प्रभावित क्षेत्रों में फसल बिल्कुल नहीं बची है. सेठी का अनुमान है कि लगभग 1000 करोड़ रुपये से अधिक की बासमती का नुकसान हुआ है.
बता दें कि पंजाब निर्यात के लिए लगभग 40% बासमती चावल की आपूर्ति करता है. उन्होंने कहा कि पंजाब का बासमती चावल अमेरिका, ईरान, इराक, ऑस्ट्रेलिया और कई अन्य देशों को निर्यात की जाने वाली एक प्रमुख उपज है. यह सीज़न जून में शुरू हुआ था और सितंबर में इसकी कटाई होनी थी. लेकिन कई इलाकों में बासमती की पूरी फसल ही बर्बाद हो गई है. चिंता की बात ये भी है कि बाढ़ से हुए नुकसान के कारण उत्पादन में भारी कमी आनी है जिससे बासमती की कीमतों में खासा उछाल आने की आशंका है. इसका सीधा असर उपभोक्ता की जेब पर पड़ेगा.
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