आप भी सोच रहे होंगे आखिर प्याज का भाव इतना आसमानी क्यों हो रहा है. अभी तक तो इसका रेट ठीक चल रहा था. लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ जो प्याज तमतमा कर लाल हो गया. तो जान लें कि इसका कोई तात्कालिक कारण नही है बल्कि कुछ वजहें पीछे से चलती आ रही हैं. हां, ये अलग बात है कि उन वजहों का असर अब दिखना शुरू हुआ है. महाराष्ट्र के किसानों की जुबानी सुनें तो आपको पता चल जाएगा कि हालिया महंगाई आज की देन नहीं है बल्कि इसके प्रभाव पहले से देखे जा रहे हैं. इसमें सबसे बड़ी वजह है प्याज किसानों का इस परंपरागत खेती से दूर होना और कोई और फसल आजमाना. इससे प्याज की पैदावार में गिरावट आई और दाम तेजी से बढ़ गए.
दरअसल, महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है, लेकिन किसानों को प्याज के बिजनेस, मंडी आदि की सटीक जानकारी नहीं मिलने से वे दूसरी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं. नासिक के किसान राजू शिंदे बताते हैं कि कुछ महीनों में टमाटर ने किसानों को अच्छी आमदनी दी है, जिसके चलते वे प्याज की खेती छोड़कर टमाटर में लग गए हैं. शिंदे का कहना है कि उनकी तरह और भी कई किसान हैं जो प्याज से हट रहे हैं. वजह है कि उन्हें प्याज की मंडी, उसके दाम और बिजनेस के बारे में कोई सटीक आंकड़ा या जानकारी नहीं मिल पाती. ऐसे में शिंदे जैसे किसानों को लगता है कि वे क्या बो रहे हैं और क्या काट रहे हैं और इसका क्या रेट मिलेगा, जब जानकारी नहीं मिले तो खेती करने का क्या फायदा.
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दूसरी ओर, महाराष्ट्र के प्याज की मांग कितनी अधिक है, इसे जानने के लिए इस आंकड़े पर गौर करें. महाराष्ट्र का प्याज भोपाल, जयपुर, लखनऊ और दिल्ली की मंडी तक जाता है. वहां से प्याज को हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, पंजाब और हरियाणा तक भेजा जाता है. यानी महाराष्ट्र का प्याज लगभग पूरे देश में सप्लाई होता है, लेकिन वहां के किसान इन सभी बातों से बिल्कुल अनजान है. इस बार हालत ये है कि खरीफ प्याज आने में देरी होगी और रबी सीजन का प्याज पहले ही खराब हो चुका है. लिहाजा पूरे देश में प्याज के भाव में तेजी देखी जा रही है.
नासिक के किसान और सामाजिक कार्यकर्ता शैलेष पाटिल कहते हैं कि हर साल किसान जहां-तहां से प्याज की जानकारी लेते हैं और उसी आधार पर खेती करते हैं. इधर-उधर से मिली जानकारी लेकर ही वे प्याज का रकबा तय करते हैं. कुछ किसानों ने अपना व्हाट्सअप ग्रुप बनाया है जिसमें जानकारी दी जाती है और किसान खेती करते हैं जबकि सरकारी स्तर पर उन्हें ऐसी कोई सटीक जानकारी नहीं मिल पाती.
इन सभी परेशानियों को देखते हुए महाराष्ट्र के कई किसान प्याज की खेती छोड़ चुके हैं. ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि हाल के वर्षों में प्याज के भाव ने किसानों को निराश किया है. पिछले तीन सीजन में किसानों को प्याज से मायूसी मिली है. इसका असर अब प्याज के भाव पर देखा जा रहा है. किसानों का कहना है कि सितंबर में प्याज के रेट और बढ़ेंगे और आम लोगों को जेब ढीली करनी होगी. यहां तक कि मांग तेजी से बढ़ेगी लेकिन सप्लाई ठीक नहीं होने से लोगों को घटिया ग्रेड के प्याज से काम चलाना पड़ेगा, वह भी अधिक रेट देकर.
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हाल के महीनों में टमाटर किसानों को अच्छी आमदनी हुई है, खासकर महाराष्ट्र और दक्षिण के राज्यों में. इसे देखते हुए प्याज के किसान अब टमाटर की खेती में लग रहे हैं. इससे प्याज का रकबा घट रहा है और सप्लाई कम हो रही है जबकि डिमांड या तो बढ़ी है या पहले की तरह ज्यादा है. ऐसे में प्याज के भाव में बढ़ोतरी लाजिमी है. अभी यही स्थिति देखी जा रही है.
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