
नासिक में प्याज के तैयार खेत को ज्योति देख रही हैं. ज्योति खुद एक किसान हैं, जो अपने परिवार के साथ प्याज की खेती करती हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से प्याज की खेती को लेकर ज्योति के मन में निराशा है. प्याज के तैयार खेत को देखते हुए ज्योति कहती हैं कि इस साल भी बेहतर दाम मिलने की उम्मीद कम है. ज्योति बताती हैं कि उन्होंने डेढ़ लाख रुपये की लागत से 6 एकड़ में प्याज की खेती की थी, लेकिन बेमौसम बारिश की वजह से लगभग 50 फीसदी प्याज सड़ गया था. अब दाम एक से दो रुपये किलो मिल रहा है. हमें प्याज की खेती में कितना नुकसान हुआ है, इसका अंदाजा किसान ही लगा सकता है कोई और नहीं. हालत ये हो गए हैं कि घर चलना मुश्किल हो गया है.
प्याज की खेती करने में खर्च बढ़ रहा है. मजदूरी बढ़ रही है, लेकिन दाम पहले से भी काफी कम हो गया है. इस साल बेमौसम बारिश की मार अलग चोट दी है. पैसों की किल्लत की वजह बच्चों को अब इंग्लिश मीडियम स्कूल से निकालकर सरकारी स्कूल में डालना पड़ रहा है.
ज्योति एक सांस में ही खेती को लेकर अपना सारा दर्द बयां कर देती हैं. ज्योति नासिक जिले के निफाड़ तालुका स्थित चरोटी गांव की रहने वाली हैं. इस तालुका में बड़ी संख्या में महिला किसान दिखीं और मिलीं. सबका एक ही रोना था कि दाम अच्छा नहीं मिल रहा है. खेती-किसानी में जेंडर की बात छोड़कर आजकल यहां की महिला किसान सिर्फ कम दाम पर चर्चा कर रही हैं. जबकि महिलाओं का खेती करना पुरुषों के मुकाबले काफी कठिन है. खेती में उनकी चुनौतियां ज्यादा हैं.
इसी गांव की एक और महिला किसान मनीषा भी कुछ इसी तरह का अपना दर्द साझा करती हैं. 'किसान तक' से बातचीत में वो बताती हैं कि महिलाओं को खेती करने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, लेकिन अभी सभी दिक्कतों के ऊपर प्याज का दाम है. दाम इतना कम है कि सब किसानों के घर का गणित गड़बड़ा गया है. हम लालच नहीं रखते, लेकिन जो लागत लगाते हैं, उस पर कुछ तो मुनाफा मिलना ही चाहिए. इस साल सरकार सिर्फ लागत ही दिला दें. वहीं हमारे लिए बड़ी बात होगी. घर चलाना मुश्किल हो गया है. काफी किसानों ने लोन लेकर खेती की है. अच्छा भाव नहीं मिला तो वो लोन कैसे चुका पाएंगे?
मनीषा बताती हैं कि उन्होंने तीन एकड़ में प्याज की खेती की थी, जिसमें कम से कम 100 क्विंटल से अधिक उत्पादन का अनुमान था, लेकिन बारिश की वजह सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया. बाजार में भाव सिर्फ 1 से लेकर 4 रुपये तक का ही मिल रहा हैं. बेमौसम बारिश और बाजार दोनों मिलकर किसानों को रुला रहे हैं. अब आप ही बताइए कि इस दाम पर किसानों पर क्या बीतती होगी. कई साल पहले जो रेट मिलता था, यह उससे भी कम है. सिर्फ प्याज ही नहीं अंगूर की खेती में भी इस साल भाव कम मिल रहा है. एक एकड़ में अंगूर की खेती करने पर 3 लाख रुपये तक का खर्च आया है और बाज़ार में किसानों को सिर्फ 10 रुपये किलो का भाव मिल रहा है.
महिला किसान मनीषा ने बताया कि बारिश में अंगूर की फसल खराब होने के बाद किशमिश बनाने के लिए दिया था, लेकिन व्यापारी उसका भी कुछ भाव नहीं देते. यहां अधिकांश किसान लोन लेकर खेती करते हैं. लेकिन बारिश के असर के बाद खराब हुई फसल और ऊपर से बाजार में कम भाव के हालात में किसान टूट जा रहा है. किसानों को कम दाम पर प्याज बेचनी पड़ रही है, जबकि उपभोक्ताओं को महंगे दाम पर खरीदना पड़ रहा है. बीच में बिचौलिए मलाई खा रहे हैं. ऐसे ही हाल रहे तो किसान प्याज की खेती छोड़कर कोई और फसल उगाने पर मजबूर होंगे.
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