महाराष्ट्र की मंड‍ियों में स‍िर्फ एक रुपये क‍िलो बिक रहा प्याज, लागत नहीं न‍िकलने से किसान परेशान

महाराष्ट्र की मंड‍ियों में स‍िर्फ एक रुपये क‍िलो बिक रहा प्याज, लागत नहीं न‍िकलने से किसान परेशान

सबसे बड़े प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में सबसे कम हुआ दाम. कई मंडियों में सिर्फ 1 रुपये प्रति किलो किसानों को भाव मिल रहा है. गर्मियों के नए प्याज के दामों को लेकर किसान हुए चिंतित

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महाराष्ट्र की मंड‍ियों में स‍िर्फ एक रुपये क‍िलो बिक रहा प्याज, लागत नहीं न‍िकलने से किसान परेशानकब मिलेगा किसानों को प्याज़ का उचित दाम ?

देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में किसान दाम को लेकर बड़े संकट का सामना कर रहे हैं. एक तरफ सोयाबीन और कपास के दामों में गिरावट जारी है. वहीं प्याज के गिरते दामों के चलते किसानों को पिछले एक से साल राहत नहीं मिल रही है. हालांकि कुछ दिन पहले कीमतों में थोड़ा सुधार देखा गया था. लेकिन एक बार फिर भारी गिरावट आई है. राज्य के बहुत से मंडियों में प्याज की कीमत महज एक रुपये प्रति किलो है. वहीं किसानों का कहना है कि अभी एक महीने में नए लाल प्याज की हार्वेस्टिंग होना है. ऐसे में इतना कम भाव मिलने पर हम किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा. किसानों यह भी कह रहे हैं कि अगर नए प्याज का भी दाम ऐसे ही मिलेगा तो हम प्याज नहीं बेचेंगे. 

महाराष्ट्र स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के मुताबिक, 11 फरवरी को सोलापुर जिले में प्याज का न्यूनतम दाम सबसे निचले स्तर तक आ गया. काफी किसानों को सिर्फ 1 रुपये प्रति किलो के रेट पर प्याज बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा. औरंगाबाद मंडी में भी यही रेट रहा. किसानों के मुताबिक प्रति किलो प्याज उत्पादन की लागत  20 से रुपये से अधिक हो गई है, जबकि इस समय न्यूनतम एक से लेकर अधिकतम 11 रुपये किलो के रेट पर ही प्याज बिक पा रहा है. ऐसे में किसानों को सिर्फ घाटा हो रहा है. 

कैसे होगी किसानों की आय डबल

प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत द‍िघोले का कहना है कि इस समय कुछ मंडियों 1 रूपये से 3 रुपये प्रति किलो का भाव मिल रहा है, जबकि किसानों की प्रति किलो प्याज उत्पादन की लागत ही 20 से 22 रूपये प्रति किलो है. ऐसे में किसान का मुनाफा छोड़िए लागत भी निकल पाना मुश्किल है. अब नए गर्मियों के प्याज किसान ज्यादा समय तक स्टॉक नहीं कर सकते इसके चलते उन्हें कम दामों पर बेचना पड़ेगा. यहां सबसे ज्यादा प्याज की खेती की जाती है. एशिया सबसे बड़ी मंडी नासिक का लासलगांव है वहां किसानों को सिर्फ 3 रुपये प्रति क्विंटल भाव मिल रहा है.

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द‍िघोले ने आगे कहा कि सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कहा था, लेकिन साल 2023 तक भी किसानों को उनके उपज का उचित दाम नहीं मिल पा रहा हैं. ऐसे में कैसे किसानों का इनकम डबल हो पायेगी.

किसान मंडी में कितना मिल रहा है भाव  

•    महाराष्ट्र स्टेट एग्रीकल्चर मंडी बोर्ड के अनुसार पुणे की मंडी में 12 फरवरी को 584 क्विंटल प्याज की आवक हुई. जिसका न्यूनतम दाम 300 रुपये प्रति क्विंटल रहा. अधिकतम दाम 1000 रुपये प्रति क्विंटल रहा. औसत दाम 700 रुपये प्रति क्विंटल रहा.
•    औरंगाबाद मंडी में प्याज का न्यूनतम भाव 100 रुपये प्रति क्विंटल रहा. अधिकतम भाव 800 जबकि औसत दाम 450 रुपये रहा. 
•    सोलापुर मंडी में 5097 क्विंटल प्याज़ की आवक हुई. जहां न्यूनतम दाम 100 रुपये प्रति क्विंटल रहा. अधिकतम दाम 1300 रुपये प्रति क्विंटल रहा.औसत भाव 900 रुपये प्रति क्विंटल रहा. 
•    हुरी में 3290 क्विंटल प्याज़ की आवक हुई. जहां न्यूनतम दाम 100 रुपये प्रति क्विंटल रहा. अधिकतम दाम 1200 रुपये प्रति क्विंटल रहा. औसत भाव 700 रुपये प्रति क्विंटल रहा.
•    येवला में 12000 क्विंटल प्याज़ की आवक हुई. जहां न्यूनतम दाम 200 रुपये प्रति क्विंटल रहा. अधिकतम दाम 1052 रुपये प्रति क्विंटल रहा. औसत भाव 775 रुपये प्रति क्विंटल रहा.

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