
महाराष्ट्र सरकार ने एक फरवरी से 31 मार्च के बीच बेचे जाने वाले प्याज पर 350 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी देने की घोषणा की है. लेकिन इसमें शर्त ये रखी गई है कि किसानों के पास 7/12 यानी कि खेत का मालिकाना हक होना चाहिए. इसके अलावा, सब्सिडी पाने के लिए प्याज बिक्री रसीद और कृषि विभाग में ई-फसल का रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य है. अधिकांश किसानों ने ई-फसल का पंजीकरण नहीं कराया है, इसलिए कई पात्र किसान सब्सिडी के लाभ से वंचित हो सकते हैं. किसानों को इससे राहत देने के लिए धनंजय मुंडे ने राज्य सरकार से ई-फसल के रजिस्ट्रेशन की शर्त में ढील देने की मांग की है.
अपनी मांग को लेकर धनंजय मुंडे ने ट्वीट किया है. ट्वीट में उन्होंने लिखा है, सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बिजली और इंटरनेट की समस्या अभी भी बनी हुई है, ऐसे क्षेत्रों में किसानों के लिए ऑनलाइन फसल पंजीकरण मुश्किल है. उन्हें सिर्फ इसलिए सब्सिडी से वंचित करना अनुचित होगा क्योंकि उनके पास फसल का ई-पेरा रिकॉर्ड नहीं है. ई-पेरा रिकॉर्ड फसल बुआई का रिकॉर्ड होता है. मुंडे ने अपने ट्वीट में यह भी कहा है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के कई किसानों ने उन्हें इस बारे में जानकारी दी है. किसानों ने बताया है कि अनिवार्य नियमों के चलते उन्हें प्याज की सब्सिडी नहीं मिल पा रही है.
एनसीपी नेता और महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य धनंजय मुंडे ने मांग उठाई है कि राज्य सरकार प्याज की बिक्री के साथ-साथ ई-पीक पेरा पंजीकरण (फसल बुआई का रजिस्ट्रेशन) की अनिवार्यता में ढील दे और खरीफ और रबी सीजन के अंत में प्याज उत्पादकों को सब्सिडी दे, नहीं तो किसानों की स्थिति और खराब हो जाएगी. इस बार महाराष्ट्र में प्याज किसानों की हालत बहुत दयनीय हो गई है क्योंकि प्याज का भाव एक-दो रुपये किलो भी नहीं मिल रहा है. लागत का भी मूल्य नहीं निकल पा रहा है जिसके विरोध में किसानों ने नासिक से मुंबई तक पैदल मार्च निकाला था. बाद में सरकार ने सब्सिडी देने का ऐलान किया. लेकिन उस ऐलान में कुछ शर्तें जोड़ी गई हैं जिससे किसान परेशान हैं.
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धनंजय मुंडे का कहना है कि राज्य सरकार ने प्याज किसानों को राहत देने के नाम पर घोषित सब्सिडी में कई दमनकारी शर्तें लगा दी हैं. जिन किसानों ने 31 मार्च से पहले प्याज बेचा है, उन्हें ही सब्सिडी मिलेगी. अगर वे महाराष्ट्र के बाहर प्याज बेचते हैं, तो उन्हें सब्सिडी नहीं मिलेगी. इन नियमों को किसानों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. धनंजय मुंडे इससे पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर इस संबंध में मांग कर चुके हैं.
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एनसीपी नेता धनंजय मुंडे पहले ही सरकार से ऐसी मांग कर चुके हैं कि प्याज की बिक्री 15 दिन और बढ़ा दी जाए. अन्य मांगों में व्यापारियों द्वारा प्याज किसानों की लूट बंद की जाए और राज्य के बाहर बिकने वाले प्याज पर भी सब्सिडी दी जाए जैसा आग्रह सरकार से किया गया है. इस बीच अब ध्यान इस बात पर है कि सरकार ई-पेरा रजिस्ट्रेशन की समस्या का समाधान करेगी या नहीं. अगर ऐसा नहीं होता है तो अधिकांश किसान सब्सिडी के लाभ से वंचित रह जाएंगे.
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