महाराष्ट्र में उपज की कीमतों में गिरावट से किसानों को राहत मिलती हुई नजर नहीं आ रही हैं. राज्य में प्याज की कम कीमतों से किसानों को परेशान करके रखा हुआ है. इस बीच सब्जियों के दामों में भी कमी देखी जा रही हैं. वहीं कपास,प्याज,अंगूर, समते हरी धनिया का दाम किसानों को ना के बराबर मिल रहा हैं. ऐसे में अब धनिया उत्पादकों की समस्या बढ़ गई हैं. इसके चलते किसान धनियों की फसल को मजबूरन फ्री में बांटना या फेंकना बेहतर समझ रहे हैं. ऐसा ही एक मामला नासिक जिले के चांदवड से सामने आया है. जहां पर एक किसान ने APMC मार्केट के सामने ही हजारों गड्डी धनिया सड़क पर फेंक दिया.किसान ने बताया की बाजार में मंडी में उसे एक गड्डी धनिया का सिर्फ 1 रुपया भाव मिल रहा था. जिसकी वजह से उसने धनिया गड्डी को बेचने से ज्यादा सड़कों पर मुफ्त में बांटना और फेंकना पसंद किया.
नासिक मंडी में किसान अमर गंगुडे के साथ ये मामला हुआ है. किसान अमर गंगुडे ने 1 रुपया गड्डी धनिया का दाम मिलने पर 3 हजार धनिया गड्डी फेंक दी. उन्होंने बताया कि इस भाव में लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है. अमर गंगुडे ने बताया की उन्हें 2 बीघा में हरी धनिया की खेती की हैं, जिसमे कुल लागत 25 हज़ार से ज्यादा लगी है और जब बाजार में बेचने आए तो व्यापारी ने उन्हें सिर्फ एक रुपया में एक गड्डी का भाव देने की बात कही.
अमर ने बताया कि इतना कम भाव में कैसे गुजरा हो पाएगा. इसमें लागत भी निकल रही है. गंगुडे ने निराश हो कर 3 हजार हरी धनिया की गड्डी सड़कों पर फेंक दिया और एक हजार गड्डी गायों को खिला दिया.किसान ने बताया की अगर एक गड्डी धनिया का कम से कम 5 से 6 रुपये मिलेगा तब जाकर ही किसानों को फायदा होगा. गंगुडे का कहना है कि इस समय राज्य में सभी फसलों का दाम किसानों को कम मिल रहा है.
बीते एक हफ्ते से नासिक जिले के किसान धनिया का कम भाव मिलने की वजह से परेशान हैं. जिसके तहत अब तक कई किसानों ने अपनी हरी धनिया की फसल को बर्बाद करना या फ्री बांटना बेहतर समझा है. इससे पहले जिले में हरीश नाम का किसान 40 किमी का सफर पूरा कर मंडी पहुंचा था, लेकिन मंडी में हरी धनिये का भाव एक रुपये गड्डी लगाया गया. जिसके बाद उन्होंने एक हजार गड्डी धनिये को मार्केट कमेटी के बाहर सड़कों पर मुफ्त में बांटने का फैसला किया. वहीं अब अमर गंगुडे ने 3 हज़ार हरी धनिया गड्डी सड़कों पर फेंक दिया. वहीं दुसरी और व्यापरियों का कहना है कि मंडी में आवक में बढ़ोतरी के कारण कीमतों में गिरावट हैं.
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