रतलाम की कृषि मंडी में इन दिनों गेहूं की आवक जोरदार हो रही है. इसमें नया गेहूं भी शामिल है जो इस बार मौसम के परिवर्तन के कारण कुछ जल्दी फसल पकने से मंडी में आना शुरू हुआ है. हालांकि मौसम परिवर्तन की मार किसानों को आर्थिक नुकसान के रूप में झेलनी पड़ रही है. गेहूं की फसल की कटाई का सीजन फरवरी के अंतिम सप्ताह में शुरू होता है और मार्च के पहले हफ्ते से नए गेहूं की आवक अनाज मंडियों में आने लगती है. लेकिन इस बार इस क्रम में परिवर्तन आ गया है.
मौसम परिवर्तन की वजह से मौसम में अचानक बदलाव आया है. रतलाम मंडी में नया गेहूं लेकर पहुंचे किसानों के मुताबिक सर्दी के मौसम में अचानक गर्मी पड़ने से गेहूं को पकने का मौका नहीं मिला. जबकि गेहूं को जाती हुई हल्की ठंड की जरूरत होती है. लेकिन अचानक पड़ी तेज गर्मी की वजह से गेहूं की फसल सुख गई. किसानों का कहना है कि तेज गर्मी की वजह से ट्यूबबेल में भी पानी कम हो गया. कई जगह तो पानी देना ही बंद हो गया. इसलिए उनकी फसलों को अभी दो बार का पानी नहीं मिल सका.
फरवरी की गर्मी का असर फसलों पर रोकने के लिए सिंचाई की जरूरत होती है. लेकिन ट्यूबवेल में पानी नहीं आने से किसान गेहूं को पानी नहीं दे सके. इसका असर भी गेहूं की उत्पादकता पर दिखा है. कुल मिलाकर किसानों को गेहूं की उपज का भारी नुकसान झेलना पड़ा है. इस बार फसल का उत्पादन घट गया.
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रतलाम मंडी के सचिव आरके जैन ने कहा कि गेहूं की फसल की आवक मंडियों में मार्च के प्रथम सप्ताह में शुरू होती थी. लेकिन मौसम बदलने से और गर्मी अधिक पड़ने से गेहूं की फसल करीब 15 दिन पहले से ही आना शुरू हो गई है. वर्तमान में करीब दो से ढाई हजार क्विंटल गेहूं की आवक प्रतिदिन हो रही है. मौसम के परिवर्तन से फसलों की क्वालिटी पर फर्क पड़ा है. उत्पादन भी कम हो रहा है.
मंडी सचिव ने कहा कि गेहूं का दाना स्वाभाविक रूप से मोटा होना चाहिए जो कि छोटा ही रह जा रहा है. इससे किसानों को काफी नुकसान है. उत्पादन में गिरावट आने की वजह से किसानों को इस बार भारी आर्थिक नुकसान उठाना होगा. गेहूं की उपज जहां एक क्विंटल होनी चाहिए, वह अभी वर्तमान में 90 किलो ही हो रही है. किसानों को पांच से 10 परसेंट का नुकसान इस मौसम परिवर्तन के कारण हुआ है.
मंडी सचिव आरके जैन कहते हैं, भाव में अंतर फसल के उत्पादन और शासन की नीतियों से पड़ता है. अभी वर्तमान में गेहूं मंडियों में समर्थन मूल्य से ऊपर गेहूं बिक रहा है. लेकिन अगर उत्पादन कम हुआ तो भाव में अंतर काफी आ जाएगा. मौसम परिवर्तन से ठंड के बाद अचानक गेहूं को तेज गर्मी मिल गई. इससे दाना उसका बढ़ नहीं पाया और सिकुड़ कर रह गया.
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रतलाम के एक किसान कैलाश पाटीदार कहते हैं, हमने तो गेहूं की फसल जल्दी बो दी थी, लेकिन बारिश होने से फसल की आवक देर से हुई है. जल्दी उत्पादन आ जाता तो हमें फसल का भाव अच्छा मिल जाता. एक और किसान संजय कहते हैं, मंडी में मैं नई उपज लेकर आया हूं. गेहूं की बुआई जल्दी कर दी थी और फसल भी जल्दी आ गई जिससे अच्छा भाव मिल गया. लेकिन महीने भर पहले अधिक भाव चल रहा था. उससे अभी कम है. इस बार पानी की कमी काफी रही जिसके कारण दो बार सिंचाई नहीं हो सकी. इससे उत्पादन में फर्क पड़ा है.
किसान पप्पू कहते हैं, मैंने आठ बीघे में गेहूं की खेती की, लेकिन पानी की कमी के कारण केवल चार सिंचाई ही दे सके और फसल सूख गई. पानी की कमी के कारण फसल उत्पादन कम हुआ है और इस बार गर्मी भी जल्दी शुरू हो गई है.(रिपोर्ट/विजय मीणा)
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