अपने स्वादिष्ट और सोने जैसे सुनहरे शरबती गेहूं को लेकर पूरे देश में विशिष्ट पहचान रखने वाले मध्यप्रदेश में किसानों की चिंता बढ़ गई है. यह चिंता मौसम की मार को लेकर है. यहां सीहोर जिले में गेहूं की बंपर पैदावार पर मौसम की मार पड़ सकती है. अभी हाल में अचानक हुए मौसम में बदलाव से कुछ हद तक गेहूं के उत्पादन पर असर दिख सकता है. फरवरी में तेज पड़ती गर्मी गेहूं की चमक और क्वालिटी पर बुरा असर डाल सकती है.
सीहोर जिले के शरबती गेहूं की देश के कई हिस्सों में डिमांड रहती है. मगर अचानक मौसम में हुए परिवर्तन से फसल की पैदावार और इसकी सोने जैसी चमक के साथ क्वालिटी पर भी असर पड़ सकता है. जिन इलाकों में गेहूं की बुआई देर से की गई थी, वहां अभी गेहूं का दाना दुधियापन (milking stage) पर है. समय से पहले ही तेज धूप और गर्मी से गेहूं पक सकता है, मगर दाना बड़ा नहीं हो पाएगा. इससे गेहूं का उत्पादन घट जाएगा.
कृषि विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक इस बार तीन लाख 42 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बुआई की गई है. खेतों में 48 से लेकर 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार होने का अनुमान है जबकि पिछले साल जिले में तीन लाख 30 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बुआई की गई थी. पिछले साल 47 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन हुआ. यानी 15 लाख 51 हजार मीट्रिक टन गेहूं की पैदावर हुई थी. इस बार भी अच्छे उत्पादन की उम्मीद की जा रही है. लेकिन यह सबकुछ सामान्य तापमान पर निर्भर करेगा.
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सीहोर जिले का शरबती गेहूं, मुंबई, तमिलनाडु, गुजरात, चेन्नई, दिल्ली सहित अन्य प्रदेशों में भेजा जाता है. इस गेहूं के स्वाद के सभी दीवाने हैं. बताया जाता है कि शरबती गेहूं के आटे की रोटियां एकदम सफेद और नरम रहती हैं जिसका अपना अलग ही स्वाद रहता है. हर छोटी बड़ी दुकानों, होटलों और घरों में शरबती गेहूं का ही अधिकतर लोग उपयोग करते हैं. इस गेहूं की डिमांड पूरे देश के कई प्रदेशों में रहती है.
शरबती गेहूं की खासियत यह है कि इसकी चमक के साथ ही इसके दाने लगभग एक जैसे होते हैं. गेहूं की सभी किस्मों में यह सबसे महंगा बिकता है. लोकमन और अन्य किस्म के गेहूं का भाव जहां जो दो हजार से 2200 रुपये प्रति क्विंटल है. वहीं शरबती का न्यूनतम भाव 2800 रुपये होता है. यह आमतौर पर 3300 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक बिकता है.
सीहोर कृषि और मौसम केंद्र के तकनीकी अधिकारी डॉ. एसएस तोमर ने मौसम के प्रभाव के बारे में बताया कि आगामी तीन दिनों तक हवा की गति पश्चिम की तरफ से रहेगी. हवा की गति पश्चिम से होने की वजह से तापमान में बढ़ोतरी होगी. इसके कारण गेहूं के जल्दी पकने की स्थिति बनेगी जिससे प्रोटीन का परसेंटेज कम रहेगा और दाने का वजन भी कम होगा. इससे गेहूं की क्वालिटी गिरेगी.
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फसलों को बचाने के लिए कृषि और मौसम विशेषज्ञ डॉ. एसएस तोमर ने किसानों से निर्देश देते हुए कहा कि जो फसल देरी से बोई गई है और दूध वाली अवस्था में है, उन खेतों में किसान नमी बनाए रखें. तोमर ने बताया कि अभी तक फसल बहुत अच्छी चल रही थी. उपज में 15 से 20 प्रतिशत बढ़ोतरी की संभावना थी, लेकिन आगामी दिनों में तापमान तेजी से बढ़ता है तो औसत उत्पादन ही गिर सकता है.
फसलों के पकने को लेकर कृषि मौसम विशेषज्ञ डॉ. एसएस तोमर ने बताया कि तापमान अधिक बढ़ा तो अगले पांच से 10 दिनों में सभी फसल पक कर तैयार हो जाएगी. उन्होंने बताया कि अगर तापमान बढ़ा तो जो फसल पककर तैयार है, उन्हें तो नुकसान नहीं होगा, लेकिन जो दूधिया स्थिति में हैं, उनमें नुकसान होगा. यह नुकसान 25 से 30 परसेंट तक हो सकता है.
सीहोर मंडी में गेहूं की उपज बेचने आए गांव तुमड़ा के किसान प्रदीप राठौर ने कहा कि वे 40 एकड़ में गेहूं की खेती करते हैं. लेकिन अचानक मौसम में परिवर्तन के चलते हैं देरी से बोए गए गेहूं पर फर्क पड़ेगा. गेहूं की चमक फीकी पड़ जाएगी और दाना छोटा रहेगा. एक और किसान घनश्याम यादव ने बताया कि अचानक मौसम में बदलाव के चलते फसल के उत्पादन पर असर पड़ेगा. तेज धूप और बादल की वजह से उत्पादन कम होने के साथ ही क्वालिटी पर भी असर होगा. हरी फसल एकदम से पक जाएगी. 10 से 20 प्रतिशत नुकसान की संभावना है. गेहूं का दाना पूरी तरह से पतला रह जाएगा.
बड़नगर के किसान अशोक नामदेव ने बताया कि मौसम में परिवर्तन की वजह से दाना पतला पड़ जाएगा. फसल में पानी नहीं दे पाए तो गेहूं की चमक भी फीकी पड़ जाएगी. दाना हल्का रह जाएगा तो उत्पादन भी कम होगा.(नावेद जाफरी की रिपोर्ट)
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