टमाटर की बढ़ती कीमतें देश में इस वक्त चर्चा का विषय बनी हुई है. देश में टमाटर के बढ़ी हुई कीमत के कारण यह कई लोगों की थाली से दूर हो गया है. इस समय देश में टमाटर की कीमत बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं. वहीं ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में भी ग्राहको को टमाटर की अधिक कीमतों के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. राउरकेला के बाजारों में टमाटर इस वक्त पेट्रोल डीजल से भी मंहगा हो गया है. यहां पर टमाटर 110-120 रुपये किलो बिक रहा है. जबकि सुंदरगढ़ जिला टमाटर का एक बड़ा उत्पादक है. यहां पर काफी संख्या में किसान टमाटर की खेती करते हैं.
हालांकि जब गर्मी और मॉनसून के सीजन में जब खेत में टमाटर की खेती नहीं होती है तब लोगों को दूसरे जगहों से आने वाले सब्जियों पर निर्भर होना पड़ता है. पर इसके लिए उपभोक्ताओ को अधिक कीमत चुकानी होती है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक बागवानी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि नुआगांव ओडिशा का एक ऐसा क्षेत्र हैं जहां पर टमाटर और बागवानी फसलों का सबसे अधिक उत्पादन किया जाता है. यहां के बिसरा, कुआंरमुंडा, लुहनिपाड़ा, राजगांगपुर और बारगांव सहित अन्य प्रखडों में भी सब्जी का उत्पादन होता है पर वो कम मात्रा में होता है. सूत्र बताते हैं कि आमतौर पर सुंदरगढ़ जिले में अगस्त और नंवबर में टमाटर की खेती होती और अक्टूबर नंवबर में इसकी फसल आती है. इश समय में सामान्य तौर पर कीमतें बढ़ जाती हैं.
यह अलग बात हैं कि आपूर्ति और कीमत दोनों ही कारणों सब्जी में उतार चढ़ाव होता है और इसका फायदा या नुकसान किसान को ही होता है. क्योंकि कई बार बंपर फसल उत्पादन के कारण किसानों को अपने फसलों के अच्छे दाम नहीं मिल पाते हैं यां फिर उन्हें एक बेहतर बाजार नहीं मिल पाता है. नुआगांव के बारलीलेप्टा के एक किसान अनिल एक्का बताते हैं कि उनके क्षेत्र में किसान बड़े पैमानेपर टमाटर उगाते हैं. जिन्हें प्रदेश के जिलों के अलावा ओडिशा, बिहार और पश्चिम बंगाल के बाजारों में किया जाता है. हालांकि जब सब्जी व्यापारी स्थानीय किसानों से टमाटर खरीदते हैं तो उन्हें वो बेहद कम कीमत देते हैं.
टमाटर यह अन्य हरी सब्जियों को कम कीमत में बेचने के लिए किसानों को इसलिए भी मजबूर होना पड़ता है क्योंकि सब्जी तैयार होने के बाद उसे तोड़ना होता है और इसके बाद किसानों के बाद भंडारण की सुविधा नहीं होने पर जल्दी से जल्दी बेचना होता है. इसलिए किसान कीमत को अधिक प्राथमिकता नहीं दे पाता है. कई किसान बताते हैं कि अक्सर सब्जी के बंपर उत्पादनके कारण कीमत घटकर दो तीन रुपये किलो हो जाती है.
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