तेलंगाना में राज्य आपूर्ति निगम की ओर से धान की नीलामी की प्रक्रिया की जाती है. खरीफ धान की नीलामी के लिए फिर से प्रकिया शुरू होने वाली है. इसके साथ ही खरीफ धान की खरीद भी फिर से शुरू होने वाली है. खरीफ धान के भंडारण के लिए गोदाम को खाली करने की प्रक्रिया चल रही है. इसके तहत तेलांगाना सरकार ने रबी सीजन में खरीदे गए धान की बिक्री के लिए वैश्विक निविदा निकाली और उसके जरिए 10 कंपनियों को 25 लाख टन रबी धान आवंटित किया गया. पर इस निविदा में सरकार को घाटे का सामना करना पड़ा क्योंकि इस अनाज को किसानों से खरीदने में राज्य सरकार ने जितना खर्च किया था, उससे कम कीमत पर ही उसे अब समझौता करना पड़ रहा है.
गौरतलब है कि राज्य के गोदाम में अभी भी पिछले रबी सीजन का धान रखा हुआ है. अब नई फसल आने वाली है. ऐसे में पुराने स्टॉक को खाली करने के लिए वैश्विक निविदाएं निकाली गई थीं. इसके बाद इन 10 कंपनियों ने बोली लगाई थी. वैश्विक निविदा में 11 इकाईयों ने 54 बोली लगाए थे. बोली में दिए गए कोटेशन के अनुसार धान की बोली 1,618 रुपये से लेकर 1,732 रुपये प्रति क्विंटल की दर से लगाई गई थी. फिर जब निविदाएं खोली गईं तब तेलंगाना सरकार ने 10 सफल बोली लगाने वालों को 25 लॉट आवंटित किया. प्रत्येक लॉट में एक लाख क्विंटल धान है.
इस तरह से राज्य सरकार राज्य के भरे गोदामों को आने वाले खरीफ धान की स्टॉकिंग के लिए खाली करने में सफल साबित हई. स्टॉक की क्लियरिंग जिलावार आधार पर की गई. इसके लिए पांच और छह लॉट में इन्हें अलग किया गया था. पांच लॉट में प्रत्येक लॉट में चार लाख टन धान था, जबकि छह लॉट में पांच लाख टन प्रति लॉट धान रखा गया था. यहां धान की खरीद के लिए बोली लगाने वाली कंपनियों के एक महत्वपूर्ण मापदंड को पूरा करना होता है, जिसके तहत राज्य पुनर्निविदा प्लेटफॉर्म पर बोली लगाने वाली कंपनी का टेंडर पिछले तीन वर्षों में 1000 करोड़ का होना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि जब राज्य सरकार ने वैश्विक निविदाएं निकाली, उसके कुछ दिनों बाद ही केंद्र सरकार नें पैराबॉयल्ड धान के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया. इससे राज्य सरकार के सामने यह समस्या आ गई है कि वो इस नीलामी प्रक्रिया को आगे बढ़ाए या नहीं. एक तथ्य यह भी है कि रबी सीजन में उगाए गए धान की मात्रा खरीफ सीजन में उगाए गए धान से कम होती है. मिलिंग प्रक्रिया में जब कच्चा चावल जाता है तो यह उबले हुए धान की तुलना में अधिक टूटता है. इसके अलावा मार्च अप्रैल में अधिक तापमान होने के कारण भी रबी सीजन का धान भुरभुरा हो जाता है और अधिक टूटता है. इसके बाद जब केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वो सिर्फ सफेद चावल की ही खरीद करेगी. इसके बाद तेलंगाना सरकार के पास रबी धान के स्टॉक को खाली करने के अलावा कोई उपाय नहीं बचा था.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today