Forest Produce Collection: वनोपज संग्रह करने में छत्तीसगढ़ का ग्राफ बढ़ा, वनोपज पर आश्रितों की संख्या चार गुना बढ़ी

Forest Produce Collection: वनोपज संग्रह करने में छत्तीसगढ़ का ग्राफ बढ़ा, वनोपज पर आश्रितों की संख्या चार गुना बढ़ी

वन क्षेत्र की प्रचुरता वाले छत्तीसगढ़ में Forest Produce Collection भी पर्याप्त मात्रा में होता है. खासकर लघु वनोपज के संग्रह से अपनी आजीविका चलाने वाले आदिवासी परिवारों की आय में इजाफा करने के लिए छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने वनोपज की खरीद को प्रोत्साहन दिया है. सरकार का दावा है कि इसके फलस्वरूप वनोपज के संग्रह का दायरा लगातार बढ़ रहा है.

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Forest Produce Collection: वनोपज संग्रह करने में छत्तीसगढ़ का ग्राफ बढ़ा, वनोपज पर आश्रितों की संख्या चार गुना बढ़ीछत्तीसगढ़ में वनोपज संग्रह करतीं वनवासी समुदाय की महिलाएं, फोटो: साभार, छग. सरकार

छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से दावा किया गया है कि देश में लघु वनोपज के कुल संग्रह में छत्तीसगढ़ की हिस्सेदारी तीन चौथाई हो गई है. इसका श्रेय सरकार की नीतियों को देते हुए सरकार की दलील है कि लघु वनोपज के संग्रह को प्रोत्साहन दिए जाने के कारण राज्य में वनोपज संग्रह से आजीविका चलाने वालों की संख्या में 4 गुने का इजाफा हुआ है. इस वजह से ज्यादा संग्रह होने के कारण पूरे देश में होने वाले कुल वनोपज के संग्रह में छत्तीसगढ़ की भागीदारी तीन चौथाई हो गई है. इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्रों में आदिवासी समुदायों द्वारा पारंपरिक रूप से उगाए जाने वाले कुछ मिलेट्स की न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी Minimum Support Price (MSP) पर खरीद भी शुरू कर दी गई है. इन मिलेट्स में रागी, कोदो और कुटकी शामिल हैं.

67 लघु वनोपजों की एमएसपी पर हो रही खरीद

मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ सरकार मोटे अनाज यानी Millets में शामिल कोदो, कुटकी और रागी सहित कुल 67 लघु वनोपजों की खरीद एमएसपी पर कर रही है. सरकार का दावा है कि छत्तीसगढ़ में स्थानीय संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और उद्यमिता विकास के लिए किए गए प्रयासों की वजह से बीते साढ़े चार सालों में ग्रामीण और सुदूर वनांचल क्षेत्रों के जरूरतमंद लोग वनोपजों के संग्रह का लाभ उठा रहे है.

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वन उपज का भी दायरा भी बढ़ा

छत्तीसगढ़ में सरकार ने वन क्षेत्रों में उपजने वाली फसलों को एकत्र करने वाले वनवासी समुदायों के हित में लघु वनोपजों की संख्या में इजाफा किया है. इससे पहले राज्य में वनोपजों की श्रेणी में केवल 7 प्रकार की उपज शामिल थीं. अब इनकी संख्या बढ़ाकर 67 कर दी गई है. अब सरकार 67 लघु वनोपजों की खरीद एमएसपी पर कर रही है. राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल के प्रमुख वी श्रीनिवास राव ने बताया कि लघु वनोपज की एमएसपी पर खरीद का दायरा बढ़ने के फलस्वरूप बीते साढ़े चार सालों में वनोपज का संग्रह करने वालों की संख्या में भी 4 गुना से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है.

राव ने बताया कि साल 2018-19 में वनोपज संग्रह करने वालों की संख्या 1.5 लाख थी, जो अब बढ़कर 6 लाख हो गई है. वर्ष 2021-22 में कुल 42 हजार मीट्रिक टन लघु वनोपजों की खरीद की गई है. जबकि साल 2018-19 में यह मात्र 540 मीट्रिक टन थी. राज्य लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक अनिल राय ने बताया कि छत्तीसगढ़ में लघु धान्य फसलों को बढ़ावा देने के लिए Millets Mission भी चलाया जा रहा है. इसके तहत मिलेट्स में शुमार कोदो, कुटकी और रागी की खरीद एमएसपी पर की जा रही है.

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छत्तीसगढ़ देश का सबसे बड़ा वनोपज संग्राहक राज्य

राव ने कहा कि वनोपज का दायरा बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के फलस्वरूप छत्तीसगढ़ को, देश का सबसे बड़ा वनोपज संग्राहक राज्य होने का गौरव मिला है. उन्होंने कहा कि इस दिशा में किए गए प्रयासों के फलस्वरूप लगभग 13 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों एवं 06 लाख वनोपज संग्राहकों को अतिरिक्त आय होने लगी है. इसका सबूत, तेंदूपत्ता के संग्रह की दर 2500 रुपये प्रति बोरा से बढ़ाकर 4 हजार रूपए प्रति मानक बोरा किया जाना है. इसकी वजह से बीते 4 सालों में तेंदू पत्ता बीनने के मेहनताने के रूप में 2146.75 करोड़ रुपये का वनवासियों को भुगतान किया गया है.

छत्तीसगढ़ में वनवासी समुदाओं द्वारा तेंदूपत्ता सहित अन्य वनोपज संग्रह का दायरा लगातार बढ़ रहा है

तेंदूपत्ता बीनने के काम में लगे परिवारों के हित में सरकार ने शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना शुरू की. इसके तहत अब तक 4692 हितग्राहियों को 71.02 करोड़ रुपये की सहायता राश‍ि दी गई है. उन्होंने बताया कि वनवासी और आदिवासियों के वन अधिकारों को प्रभावी रूप से लागू करने के मामले में भी छत्तीसगढ़, देश का अग्रणी राज्य है. इसके तहत छत्तीसगढ़ सरकार ने लाख के उत्पादन को भी कृषि का दर्जा दिया है. इस कड़ी में राज्य सरकार ने लाख उत्पादक किसानों को अल्पकालीन ऋण देने की योजना भी लागू की है. इससे लाभान्वित होकर लाख उत्पादक किसान भी आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं.

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